मुख्यपृष्ठनए समाचार`विष्णुसहस्र महायज्ञ' से होता है विश्व का कल्याण-बाबा कालीदास कृष्णानंद परमहंस

`विष्णुसहस्र महायज्ञ’ से होता है विश्व का कल्याण-बाबा कालीदास कृष्णानंद परमहंस

संदीप पांडेय / मुंबई
मुंबई के अंधेरी-पूर्व के मरोल में मिलेट्री रोड पर वसंत ओएसिस के सामने १४ जनवरी से २४ जनवरी २०२५ तक आयोजित `श्रीदशमहाविद्या विष्णुसहस्र कोटीहवन महायज्ञ’ की पूर्णाहुति आज सुबह १० बजे परम पूज्य गुरु श्रीश्रीश्री १००८ बाबा कालीदास कृष्णानंद परमहंस जी महाराज के हाथों से होगी। आज ही के दिन शाम को महाप्रसाद का भी आयोजन किया गया है। बाबा ने `दोपहर का सामना’ संवाददाता संदीप पांडेय से बातचीत के दौरान इस महायज्ञ की विशेषताएं बतार्इं, जिसके कुछ अंश यहां हैं।

`श्रीदशमहाविद्या विष्णुसहस्र कोटीहवन महायज्ञ’ के पीछे क्या प्रेरणा है और इसका उद्देश्य क्या है?
`श्रीदशमहाविद्या विष्णुसहस्र कोटीहवन महायज्ञ’ का उद्देश्य है कि देश में सभी का कल्याण हो, इसके लिए यह यज्ञ किया गया।

इस महायज्ञ में ग्यारह हवन कुंडों का महत्व क्या है और भक्तों को इससे वैâसे लाभ होगा?
इस महायज्ञ से एकादश शंकर भगवान प्रसन्न होते हैं, जिससे भक्तों को उनके सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से मानव कल्याण और जगत शांति के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
विश्व में शांति, समृद्धि, भाईचारा, एकता और अखंडता बनी रहे। संसार का कल्याण हो।

वर्तमान में चल रहे महाकुंभ के महत्व और इसकी विशेषताओं पर आप क्या विचार रखते हैं?
यह महाकुंभ १४४ साल बाद आया है इसलिए यह बेहद विशेष है। इससे संसार में सभी को बहुत लाभ मिलेगा। इस कार्यक्रम के आयोजक शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के नेपाल संपर्क प्रमुख अशोक सिंह नेपाली, सदस्य सचिव मिलिंद कुमार थापा, पूर्व नगरसेवक प्रमोद सावंत, समाजसेवक विजय शेट्टी ने `शिवाई सेवा संघ’ मुंबई और `श्री देहाती माता ट्रस्ट’ कोलकाता के सहयोग से इस कार्यक्रम में कुल ग्यारह कुंडों में हवन का आयोजन किया गया। बाबा के साथ उनके शिष्य मठाधिपति प्रकाश भाऊ शिंदे, बाबूलाल शर्मा, पवनवीर सिंह, पंडित महेश, दामू कार्की और अमन भी उपस्थित रहे। इस महायज्ञ के आयोजन में कई राजनेताओं और भक्तजनों ने आहुति देकर बाबा का आशीर्वाद लिया। इस महायज्ञ में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने भी पहुंचकर बाबा का आशीर्वाद लिया।

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