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मतदान 26 अप्रैल को…जम्मू लोकसभा सीट पर एससी और एसटी निर्णायक कारक होंगे

सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

जम्मू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में जम्मू और कश्मीर के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति के वोटों की सबसे बड़ी संख्या है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, तीन जिलों में अनुसूचित जाति की आबादी 2,283,876 व्यक्तियों की कुल आबादी का 22.75 परसेंट है। अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 9.24 परसेंट है। कुल मिलाकर वे 32 परसेंट हैं और प्रभाव रखते हैं। ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि एससी और एसटी इस लोकसभा सीट पर निर्णायक कारक हो सकते हैं। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। सबसे पुरानी पार्टी ने 1962, 1967, 1971 (इंद्रजीत मल्होत्रा), 1980 (गिरधारी लाल डोगरा), 1984, 1989 (जनक राज गुप्ता), 1996 (मंगत राम शर्मा), 2004 और 2009 (मदन लाल शर्मा) में निर्वाचन क्षेत्र जीता।
भाजपा ने इसे 1998 और 1999 (वैद विष्णु दत्त शर्मा), 2014 और 2019 (जुगल किशोर) में जीता। 1977 में ठाकुर बलदेव सिंह ने इसे निर्दलीय के रूप में जीता और 2002 के उपचुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के चौधरी तालिब हुसैन ने इसे जीता। 1991 में आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव नहीं हुए।
जम्मू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, जो जम्मू, सांबा और रियासी के तीन जिलों के अलावा राजौरी जिले के कालाकोट विधानसभा क्षेत्र में फैला हुआ है, जो मुख्य रूप से एक हिंदू हृदय भूमि है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले का गवाह बनने के लिए तैयार है। इस निर्वाचन क्षेत्र में एक दर्जन निर्दलीय सहित कुल 22 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें 17,81,545 मतदाता हैं, जिनमें 9,21,462 पुरुष, 8,60,055 महिलाएं और 28 ट्रांस-जेंडर शामिल हैं।
जबकि नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लाक के सदस्य होने के नाते, अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) और सैयद अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी भी निर्वाचन क्षेत्र में उनकी कमजोर स्थिति का हवाला देते हुए प्रतियोगिता से से दूर रही हैं। हालांकि, राजनीतिक पंडित डीपीएपी और अपनी पार्टी की मैदान में अनुपस्थिति को भाजपा उम्मीदवार जुगल किशोर को समर्थन देने के स्पष्ट प्रयास के रूप में देखते हैं। यहां यह कहा जा सकता है कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस अक्सर आजाद की डीपीएपी, बुखारी की अपनी पार्टी और सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस पर जम्मू-कश्मीर में भाजपा के प्रतिनिधि होने का आरोप लगाते हैं।
राजनीतिक जमीन पर पहेली बिल्कुल स्पष्ट होने के साथ भाजपा के निवर्तमान सांसद जुगल किशोर और कांग्रेस उम्मीदवार रमन भल्ला के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही है।

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