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वाह रे मोदी सरकार, ‘आत्मनिर्भर भारत’ की उड़ी धज्जियां…जहां बहती थीं दूध की नदियां वहां मिल्क प्रोडक्ट होंगे आयात!

  • २०२१-२२ में २२.१ करोड़ टन हुआ उत्पादन
  • मांग और आपूर्ति के बीच अंतर में वृद्धि

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी सरकार बार-बार ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना दिखाती रहती है। मगर व्यवहार में तो कुछ अलग ही नजारा दिखता है। खबर है कि अब सरकार विदेश से मिल्क प्रोडक्ट का आयात करनेवाली है। अब यह खबर इसलिए भी चिंतनीय है क्योंकि जिस देश में दूध की नदियां बहती थीं, वहां आज ‘आत्मनिर्भर भारत’ की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
बता दें कि हिंदुस्थान में दूध की कमी हो गई है, जिससे डेयरी प्रोडक्ट्स का आयात करना पड़ेगा। पिछले १५ महीनों में दूध की कीमत में १२ से १५ फीसदी तेजी आई है। जानकारों की मानें तो आगे भी यह बढ़ोतरी जारी रह सकती है। वित्त वर्ष २०२२-२३ में देश में दूध के उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि इस दौरान डिमांड ८ से १० फीसदी बढ़ गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में दूध उत्पादन वर्ष २०२१-२२ में ६.२५ प्रतिशत फीसदी बढ़कर २२.१ करोड़ टन रहा। उससे पहले २०२०-२१ यह में २०.८ करोड़ टन रहा था। अब देश में खासकर घी और मक्खन के आयात की नौबत आ गई है।
पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह का कहना है कि देश जरूरत पड़ने पर डेयरी उत्पादों के आयात पर विचार कर सकता है। इसकी वजह यह है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश में दूध उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। इस कारण डेयरी प्रोडक्ट्स की सप्लाई टाइट है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि जरूरी हुआ, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात करने के मामले में हस्तक्षेप करेगी। दक्षिणी राज्यों में अब उत्पादन का पीक टाइम शुरू हो गया है। उन्होंने कहा, ‘देश में दूध की सप्लाई में कोई बाधा नहीं है। स्किम्ड मिल्क पाउडर का पर्याप्त भंडार है। लेकिन फैट, मक्खन और घी का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले कम है।

क्यों बढ़ रही कीमत
पशुपालन और डेयरी सचिव के अनुसार इस समय आयात फायदेमंद नहीं है क्योंकि हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी आई है। अगर वैश्विक कीमतें ऊंची हैं, तो आयात करने का कोई मतलब नहीं है। हम देश के बाकी हिस्सों में उत्पादन का आकलन करेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे। उत्तर हिंदुस्थान में स्थिति में सुधार आएगा। इसकी वजह यह है कि पिछले २० दिन में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है। सिंह ने कहा कि चारे की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण दूध की महंगाई बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है क्योंकि पिछले चार वर्षों में चारे की फसल का रकबा भी स्थिर रहा है, जबकि डेयरी क्षेत्र सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
दूध का उत्पाद घटेगा
जानकारों का कहना है कि अप्रैल से सितंबर तक दूध के उत्पादन में ५० फीसदी तक गिरावट आ सकती है। अमूमन इस सीजन में दूध का उत्पादन कम रहता है। पिछले एक हफ्ते में भैंस के दूध की कीमत में ५-६ फीसदी बढ़ोतरी हुई है। आनेवाले दिनों में गाय के दूध की कीमत भी बढ़ सकती है। पिछले एक साल में मदर डेयरी और अमूल जैसी कंपनियों ने कई बार दूध की कीमत बढ़ाई है।

दूध उत्पादन में पहला नंबर
सीएसडी के आंकड़ों के मुताबिक हिंदुस्थान दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। २०२१-२२ में ग्लोबल मिल्क प्रोडक्शन में हिंदुस्थान की हिस्सेदारी २४ फीसदी थी। साल २०१४-१५ और २०२१-२२ के बीच देश में मिल्क प्रोडक्शन में ५१ फीसदी बढ़ोतरी हुई है। दुग्ध व पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने हाल में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी।

‘किसान हो जाएंगे बर्बाद!’
इस मामले में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने केंद्रीय दुग्ध विकास मंत्री को पत्र लिखकर अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। पत्र में शरद पवार ने लिखा है कि सरकार के इस निर्णय से दुग्ध उत्पादक किसान बर्बाद हो जाएंगे इसलिए इस निर्णय पर तत्काल विचार किया जाए, ऐसी जानकारी शरद पवार ने खुद ट्वीट करके दी है।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि कल मैंने एक अंग्रेजी अखबार में खबर पढ़ी। उसके अनुसार मेरी समझ में आया कि केंद्र सरकार ने दुग्धजन्य पदार्थ यानी मक्खन, घी आदि आयात करने का निर्णय लिया है। यदि केंद्र सरकार ने ऐसा निर्णय लिया, तो हम इसका विरोध करेंगे।

 

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