१७५ परिवार के लोगों को पब्लिक में बोलने से भी मनाही
एजेंसी / नई दिल्ली
करीब २० साल तक अफगानिस्तान में जंग लड़ने के बाद अमेरिका के हाथ कुछ नहीं लगा। जंग के दौरान उसने न तो तालिबान का कुछ बिगाड़ पाया और न ही अफगानिस्तान में कुछ बना पाया। जंग के दौरान तो सैकड़ों अमेरिकी सैनिकों ने अपनी कुर्बानी जरूर दी। एक रिपोर्ट के अनुसार १७५ नगारिक अब भी तालिबान की वैâद में हैं। सरकार उन्हें वहां से निकालने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। दरअसल, अमेरिका ने अगस्त २०२१ में अफगानिस्तान से अपने सारे सैनिकों को वापस बुला लिया था। इसके बाद तालिबान के सत्ता में आने के डर से दुनिया भर के देशों ने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए ऑपरेशन चलाए थे। अमेरिका ने भी सुरक्षा के डर से अपने नागरिकों समेत कई अफगानों को वहां से निकाला था।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने किया खुलासा
अमेरिका के विदेश मंत्री ने तालिबान की कैद में अमेरिका के नागरिकों के फंसे होने का खुलासा अमेरिकन डिप्लोमेसी पर एक चर्चा के दौरान किया। ये चर्चा अमेरिका फॉरेन अफेयर्स कमिटी करवा रही थी। ब्लिंकन ने बताया कि जो अमेरिकी अभी अफगानिस्तान में फंसे हैं सरकार ने उनके परिवार वालों की पहचान उजागर नहीं कर सकती है। साथ ही उन्हें इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बात करने से मना किया गया है। दरअसल, बाइडेन प्रशासन को घेरने के लिए रिपब्लिकन अमेरिका के अफगानिस्तान से अचानक से निकलने के पैâसले की जांच करवा रहे हैं। ट्रंप की पार्टी का आरोप है कि अफगानिस्तान से निकलने का पैâसला हड़बड़ी में लिया गया था, जिससे १३ अमेरिकी लोगों की मौत हुई थी।
बहाए लहू को बर्बादी मानते हैं अमेरिकी सैनिक
जेसन लाइली मरीन रेडर नाम के विशेष अमेरिकी बल का हिस्सा थे और उन्होंने इराक व अफगानिस्तान में कई अभियानों में हिस्सा लिया था। लाइली जब राष्ट्रपति जो बाइडेन के अफगानिस्तान से सेनाएं वापस बुलाने के फैसले के बारे में सोचते हैं तो जितना उन्हें अपने देश पर प्यार आता है, उतनी ही राजनेताओं के प्रति घिन भी जाहिर करते हैं। अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध में जो धन और लहू बहाया गया, उस पर लाइली को बहुत अफसोस है। वह कहते हैं कि उन्होंने जो साथी इस युद्ध में खोए हैं, वे बेशकीमती थे। लाइली कहते हैं हम यह युद्ध हार गए। मकसद तो तालिबान का सफाया था और वो हमने नहीं किया। तालिबान फिर से देश पर कब्जा कर लिया। बाइडेन का कहना है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना होगा और अमेरिका को एक न जीते जा सकने वाले युद्ध में एक और पीढ़ी बर्बाद नहीं करनी है।