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मिल मजदूरों के घरों के मुद्दे पर सरकार को चेतावनी …ठोस निर्णय नहीं हुआ तो सड़क पर उतरेंगे मजदूर

सामना संवाददाता / मुंबई
आगामी एक मई को कामगार दिवस है। उससे पहले राज्य की महायुति सरकार ने अगर मिल मजदूरों के घरों के मुद्दे पर बैठक नहीं बुलाई और कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो मजदूर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। ऐसी चेतावनी राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ के अध्यक्ष व विधायक सचिन अहिर ने कल मजदूरों और उत्तराधिकारियों की भव्य सभा में दी। सभागृह में मौजूद लोगों ने हाथ उठाकर इस संघर्ष को समर्थन दिया।
राज्य सरकार द्वारा मिल मजदूरों के घर के मुद्दे पर टालमटोल की नीति अपनाने से मजदूरों में असंतोष पैâला हुआ है। इसी पृष्ठभूमि में कल राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ की ओर से परेल स्थित महात्मा गांधी सभागृह में, घर के लिए आवेदन भरने वाले मजदूरों और उत्तराधिकारियों की एक सभा बुलाई गई थी। इस सभा में मुंबई और उपनगरों से बड़ी संख्या में मजदूर और कई के वारिसदार बड़ी संख्या में पहुंचे। इस मुद्दे पर महायुति सरकार की उदासीनता के कारण मजदूरों और उनके परिजनों में गहरी नाराजगी स्पष्ट रूप से नजर आई।
धारावी पुनर्वसन में बनने वाले घर मिल मजदूरों को दिए जाने की मांग करते हुए सचिन अहिर ने कहा कि बंद एनटीसी मिलों की जमीन पर मिल मजदूरों को प्राथमिकता से घर दिए जाएं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई की मिल की जमीन पर बनी पुरानी इमारतों का पुनर्विकास ज़रूर होना चाहिए और यह मांग भी इस आंदोलन में शामिल रहेगी।
संघ के महासचिव गोविंदराव मोहिते ने कहा कि अब भी मिल मजदूरों को मुंबई या उसके आस-पास घर मिल सकते हैं, लेकिन उसके लिए सरकार की सकारात्मक मानसिकता जरूरी है।
इस मौके पर कोषाध्यक्ष निवृत्ती देसाई, उपाध्यक्ष रघुनाथ अण्णा शिर्सेकर, बजरंग चव्हाण, सुनील बोरकर ने भी अपनी बात रखी। सुनील अहिर, राजन लाड, उत्तम गीते और चॉल प्रतिनिधि किरण गावडे भी इस समय मंच पर उपस्थित थे। संघ के सचिव शिवाजी काले ने अंत में उपस्थित लोगों का आभार प्रकट किया।

 

 

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