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स्कूल के बगल में लगा दिया अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र!..‘ईडी’ २.० सरकार पर भड़का हाई कोर्ट

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई उच्च न्यायालय इगतपुरी के अवलखेड़ा क्षेत्र में आदिवासी बच्चों के लिए संचालित स्कूल के बगल में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र लगाने को लेकर ‘ईडी’ सरकार पर भड़कते हुए उसकी क्लास लगा दी। हाई कोर्ट ने इस फैसले पर जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि बच्चे हमारा भविष्य हैं और उनको अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करना नगर परिषद की जिम्मेदारी है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक की पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह नगर परिषद के फैसले से सहमत होने के साथ-साथ सरकार की स्थिति की ओर इशारा करते हुए स्कूल के पास अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र के निर्माण की अनुमति नहीं देगी। वकील सतीश तालेकर और माधवी अय्यप्पन ने परिषद की ओर से अदालत को यह बताने की कोशिश की कि संबंधित स्थल पर एक अपशिष्ट प्रसंस्करण परियोजना शुरू की जाएगी। अदालत ने नगर परिषद को परियोजना के लिए वैकल्पिक स्थल खोजने की सलाह दी। तब भी काउंसिल की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि प्रोजेक्ट के लिए यह जगह सिर्फ इसलिए तय की गई, क्योंकि अन्यत्र कोई उपयुक्त साइट उपलब्ध नहीं थी। इस पर अदालत ने वैकल्पिक स्थल खोजने का सुझाव दोहराया।
आदिवासी बच्चों का विद्यालय
असीमा ट्रस्ट ने जो परियोजना के लिए निर्धारित स्थल के पास आदिवासी बच्चों के लिए एक स्कूल चलाता है, इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। यदि इस परियोजना को अनुमति दी गई तो स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाएगा। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि परियोजना से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ पास की नदी में छोड़ा जाएगा और जल प्रदूषण का कारण बनेगा।
एक दशक पहले खरीदी जमीन
एक दशक पहले, इगतपुरी नगर परिषद ने परियोजना के लिए अवलखेड़ा में संबंधित जमीन खरीदी थी। परिषद के प्रस्ताव को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने भी मंजूरी दे दी। इसके बाद प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ।

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