बेकार हुआ

ऊमस इतनी बढ़ी हुई है।
मौसम भी बेकार हुआ।।
रोटी के लाले हैं देखो।
धंधा भी बेकार हुआ ।।
भटक रहे हैं सोच रहे हैं।
जीना अब बेकार हुआ।।
गिरी हुई भाषा सुनते हैं।
मन भी अब बेकार हुआ।।
भूल हमीं ने कर डाली है ।
अब कहना बेकार हुआ।।
झूठ यहां पूजित है देखो।
सत्य आज बेकार हुआ ।।
अंधेपन का हर इलाज अब।
देखो तो बेकार हुआ।।
किसे उठाएं किसे जगाएं।
चिल्लाना बेकार हुआ हुआ।।
दुःख दर्दों का गाना गाना ।
लगता सब बेकार हुआ।।
बेकरी में समय कट रहा।
रोना अब बेकार हुआ।।
-अन्वेषी

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