मुख्यपृष्ठनए समाचारमुंबईकरों के पैसों की फिजूलखर्ची!  ...मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही...

मुंबईकरों के पैसों की फिजूलखर्ची!  …मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही है रेलवे

लाखों खर्च कर लगाएगी पैनोरामा डिजिटल डिस्प्ले

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबईकरों के टैक्स के पैसों को क्या रेलवे फिजूलखर्ची में उड़ा रही है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पश्चिम रेलवे ने मुंबई की लोकल ट्रेनों में पैनोरामा डिजिटल डिस्प्ले लगाने की पहल शुरू की है। इस परियोजना के तहत हर ट्रेन में आठ डिस्प्ले लगाए जाएंगे। हालांकि, इस महंगे प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि हमें भीड़ से मुक्ति चाहिए, रेलवे को आधारभूत सुविधाओं पर काम करना चाहिए, न कि इस तरह की फिजूलखर्ची पर पैसे बर्बाद करने चाहिए।
बुनियादी सुविधाओं में सुधार है महत्वपूर्ण मुद्दा
मुंबई के लाखों यात्रियों के लिए, ट्रेनों की संख्या बढ़ाना, समय पर संचालन और बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इस महंगे तकनीकी अपग्रेड की बजाय क्या रेलवे को यात्रियों की मूलभूत जरूरतों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए था? लोकल ट्रेनें पहले से ही भीड़-भाड़ से जूझ रही हैं और कई स्टेशनों पर सुरक्षा और स्वच्छता की हालत दयनीय है। ऐसे में क्या यह डिस्प्ले सिस्टम वाकई में यात्री अनुभव को सुधारने के लिए इतना ज़रूरी था या यह सिर्फ एक और महंगी योजना बनकर रह जाएगी? इस योजना पर अधिक खर्च करने के बजाय रेलवे को जनता की असली जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए ताकि उनकी यात्रा अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बन सके।
एक डिस्प्ले की कीमत करीब १.७५ लाख रुपए
फिलहाल, एक १२ कार वाले रेक में यह डिस्प्ले सिस्टम लगाया जा चुका है और १० और रेक्स में इसे लगाया जाना बाकी है। इस पूरी परियोजना के तहत सभी लोकल रेक्स में यह डिस्प्ले लगाए जाएंगे, पर क्या यह इतना बड़ा खर्च उचित है? एक डिस्प्ले की कीमत करीब १.७५ लाख रुपए है जिससे एक ट्रेन में आठ डिस्प्ले लगाने का कुल खर्च लगभग १४ लाख रुपए हो जाता है। यह लागत सिर्फ हार्डवेयर तक सीमित नहीं है, इसमें सॉफ्टवेयर भी शामिल है, जो ट्रेन के गार्ड द्वारा ट्रेन नंबर डालते ही डिस्प्ले को अपडेट कर देगा। लेकिन इस परियोजना की जरूरत और व्यावहारिकता पर सवाल उठ रहे हैं।

अन्य समाचार

आया वसंत