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जल प्रबंधन: विकास की अदृश्य नींव और राजनीति के लिए नई प्रेरणा -भरतकुमार सोलंकी

मुंबई में प्रवासी मारवाड़ी समाज द्वारा नेताओं से किए गए सवालों ने देश की राजनीति को एक नई दिशा देने का संदेश दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब राजस्थान के नेताओं से उनके गृह क्षेत्र मारवाड़ के जल संकट पर सवाल किए गए, तो यह एक उदाहरण बन गया कि जनता अपनी स्थानीय समस्याओं को प्राथमिकता देकर नेताओं को जवाबदेह बना सकती है। यह केवल मारवाड़ की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। नेताओं का स्वागत फूल-मालाओं से करना सम्मानजनक हो सकता हैं, लेकिन अगर जनता उनसे बुनियादी समस्याओं पर सवाल नहीं करेगी, तो विकास के लिए जरूरी मुद्दे कभी प्राथमिकता में नहीं आएंगे।

जल संकट और जल प्रबंधन केवल राजस्थान जैसे सूखे क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं। यह समस्या आज देश के हर हिस्से में है। जल न केवल हमारी दैनिक जरूरतों के लिए आवश्यक है, बल्कि यह कृषि, उद्योग और शहरीकरण का आधार भी है। जल प्रबंधन, जल संग्रह और जल वितरण की प्रभावी व्यवस्था के बिना किसी भी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। दुर्भाग्यवश, हमारी राजनीति में इन बुनियादी मुद्दों पर चर्चा न के बराबर होती हैं। नेता केवल चुनावी वादों और तात्कालिक लाभों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि जल संकट जैसे दीर्घकालिक मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया जाता हैं।

दुनिया के विकसित देशों को देखें तो उनका विकास जल प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था पर आधारित है। चाहे वह यूरोप हो, अमेरिका या मध्य एशिया—हर जगह जल संग्रह और वितरण प्रणाली ने आर्थिक मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। वहां की हरियाली और शहरी विकास ऊपर से भले ही चमकदार दिखते हों, लेकिन उनकी जड़ें उस अदृश्य जल प्रबंधन प्रणाली में छिपी होती हैं, जो पूरे समाज को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं। भारत जैसे विशाल देश में यह सोच और व्यवस्था अभी भी प्रारंभिक चरण में है।

पानी केवल जीवन के लिए जरूरी तत्व नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। एक प्रभावी जल वितरण प्रणाली न केवल कृषि उत्पादकता को बढ़ाती हैं, बल्कि औद्योगिक उत्पादन, ऊर्जा निर्माण, और शहरी जीवन को भी सुदृढ़ करती है। यही कारण हैं कि जल संकट का समाधान केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। इस विषय पर जनता को जागरूक होना होगा और नेताओं को मजबूर करना होगा कि वे इस पर ठोस योजनाएं बनाएं और उन्हें लागू करें।

मुंबई की घटना ने यह दिखा दिया कि जब जनता सवाल करती हैं, तो नेताओं को जवाब देना ही पड़ता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर चुनावी सभा विकास और बुनियादी जरूरतों पर केंद्रित हो। जल प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दों पर नेताओं से सवाल पूछना हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है। यह समय हैं कि हम अपनी राजनीति को जागरूकता के स्तर पर ले जाएं, ताकि देश का विकास ठोस आधार पर टिक सके। जल प्रबंधन की यह अदृश्य नींव तभी मजबूत होगी, जब इसे प्राथमिकता दी जाएगी और इसे हर राजनीतिक एजेंडे का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाएगा।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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