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पालघर में पानी की किल्लत पशुओं के साथ लोग कर रहे पलायन! मौसम की मार से न मिल रहा पानी न चारा, अवारा पशु भी एरिया छोड़ने पर मजबूर

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
भीषण धूप और गर्मी में तपकर पत्थर जैसे बन चुके खेत, इन्हीं खेतों में चारा और पानी की आस में दूर-दूर तक भटकते मवेशी, सिर पर घड़े रखकर पानी की तलाश में निकली महिलाएं, सूखे हुए जलस्रोत पालघर के मोखाड़ा और जव्हार जैसे इलाकों में रहने वाले आदिवासियों की विभीषिका बताने के लिए काफी हैं। सरकार के साथ-साथ सामाजिक संगठन भले ही पेयजल समस्या को लेकर चिंतित नजर आ रहे हों, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कार्य जमीन पर नहीं दिख रहा है। चारा और पानी की किल्लत की वजह से यहां के नागरिक पलायन कर रहे हैं।
लगातार भूमि जलस्तर नीचे चले जाने के कारण कई इलाकों में जहां पेयजल संकट गहराता जा रहा है, वहीं जल स्त्रोतों के सूख जाने के कारण पशुओं को प्यास बुझाना मुश्किल हो रहा है। पालतू पशु तो किसी तरह पानी पी रहे हैं लेकिन जंगली व आवारा पशु इस गर्मी के मौसम में पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। मार्च से शुरू हुई पानी की किल्लत ने अब पालघर के ग्रामीण इलाको में विकराल रूप धारण कर लिया है।
चारे-पानी की किल्लत
आदिवासी बाहुल्य जव्हार और मोखाडा तालुका के हजारों आदिवासी हर वर्ष रोजगार के लिए यहां से शहरों की ओर पलायन करते है। अब बढ़ती पानी की किल्लत और चारे की कमी से लोग पशुओं सहित पलायन को मजबूर हैं। सायदे-जोगलवाडी ग्रामपंचायत क्षेत्र के सैकड़ों पशु चारे-पानी के लिए नदी किनारे पलायन कर गए हैं। सरकार ने मांग के अनुसार, पशुओं को पानी की आपूर्ति शुरू कर दी है लेकिन वो पर्याप्त नहीं हैं। हरे चारे की कमी के कारण, नियमित मानसून शुरू होने तक यानी लगभग तीन महीने तक के लिए पशु और चरवाहे पलायन करने लगे हैं। पालघर जिले में मोखाड़ा तालुका में विकराल रूप से पानी की किल्लत है। यहां के करीब १०० छोटे-बड़े गांव में रहने वाले लोग पानी के लिए भटकने को मजबूर है। उन्हें टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जाती है।
पानी की आपूर्ति अपर्याप्त
बढ़ती मांग के बाद सरकार द्वारा पिछले साल से बड़े पशुओं के लिए ३५ से ४० लीटर और छोटे पशुओं के लिए १५ से २० लीटर की मात्रा में टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है लेकिन पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पा रहा है। गर्मी का प्रकोप बढ़ने से सैकड़ों पशुओं के लिए हरे चारे व पानी का स्रोत सूख गया है। नदी, नाले सूख रहे हैं इसलिए मार्च के दूसरे सप्ताह से ही लोग पशुओं सहित नदियों के किनारे पलायन कर रहे हैं। एक वृद्ध महिला चांगुणा हाडोंगा ने कहा कि मानसून के आने के बाद हम वापस गांव आ जाएंगे।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
मोखाड़ा पंचायत समिति प्रशासन ने बताया है कि दापटी, स्वामीनगर, हेदवाडी, गवरचरीपाडा और ठाकुरवाड़ी में टैंकरों के माध्यम से पशुओं के साथ-साथ नागरिकों को पानी की आपूर्ति शुरू है। टैंकर का पानी कुएं में डाला जाता है, इस पानी को निकालकर पशुओं को पिलाया जाता है। पशु हरे चारे की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते हैं इसलिए कुएं से पानी निकालकर उन्हे पिलाना काफी मुश्किल होता है। मोखाड़ा में करीब ४० हजार मवेशी हैं। पंचायत समिति के उपसभापति प्रदीप बाघ ने बताया कि पेयजल की भीषण समस्या है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों के साथ साथ पशुओं को पानी देना एक बड़ी चुनौती है। चारे की कमी की वजह से लोग पशुओं को नदी किनारे ले जा रहे हैं।

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