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एमपी में गर्मी शुरू होते ही गायब हो गईं पानी की टंकियां! ‘मामा’ सरकार के दावे की खुल रही पोल

सामना संवाददाता / छतरपुर

एमपी में शिवराज सिंह ‘मामा’ की सरकार में गर्मी शुरू होते ही पानी की टंकियां गायब हो गईं। इससे लोगों का पानी के बिना जीवन संकट में होने पर ‘मामा’ सरकार के दावे की पोल खुल गई। जानकारी के अनुसार, छतरपुर जिले के घुवारा नगर परिषद ने हर वार्ड में पानी की समस्या से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए पानी की टंकियां रखवाई थीं। टैंकरों के माध्यम से पानी की टंकियां भर दी जाती थीं जिससे लोगों को पानी आसानी से उपलब्ध हो जाता था लेकिन एक सीजन में ही पानी की टंकियां निर्धारित स्थान से गायब हो गईं। गर्मी के दस्तक के साथ ही जगह-जगह जल संकट गहराने लगा है। गर्मी शुरू होते ही तालाब से नलकूप तक सूखने की स्थिति में आने लगे हैं। इसके कारण नगर से लेकर ग्रामीण इलाके में पानी की किल्लत शुरू हो गई है। लेकिन अभी तक सिस्टम की ओर से कोई तैयारी नहीं दिख रही है। नतीजा पानी की किल्लत दूर हो पाना इस भीषण गर्मी में भी संभव नहीं लग रहा है।
ग्रामीण इलाके में स्थिति और भी बदतर
पेयजल की समस्या शहर ही नहीं, गांव में भी एक जैसी दिख रही है। पूर्व में गांव-गांव में पंचायत व विधायक मद से लगाई गई पानी की टंकी उखड़ कर जमींदोज हो गई हैं। नियम को ताक पर रख कर लगाई गईं पानी की टंकी की जगहों पर निजी संपति बताकर कब्जा जमा लिया।

जमीन पर उतरते-उतरते बदहाल हो गई परियोजना सरकार की एक ऐसी परियोजना जिसे पूरा होने में ४ दशक से भी अधिक का समय लगा और जब परियोजना पूरी हुई तो धरातल पर इसका किसानों को लाभ ही नहीं मिल पाया। यानी जिस सोच के साथ इस योजना की शुरुआत हुई वह जमीन पर उतरते-उतरते बदहाल हो गई। सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल की लाइफ लाइन मानी जाती है, लेकिन चार दशक बीत जाने के बाद भी किसानों तक पानी नहीं पहुंचा है। योजना में अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन अभी भी नहर पूरी नहीं बन पाई है। ऐसे में ये महत्वाकांक्षी परियोजना दम तोड़ती नजर आ रही है। दरअसल, सरयू नहर परियोजना को शुरू किया गया था। लेकिन चार दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक नहरों में पानी का इंतजार किसान कर रहे हैं।

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