धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई और उसके आस-पास के शहरों में डेंगू, मलेरिया, स्टमक फ्लू के साथ ही आई फ्लू से पीड़ित सैकड़ों लोग सामने आ रहे हैं। यही नहीं यदि बीमारी को लेकर असावधानी बरती गई तो इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
आई फ्लू के सबसे अधिक मामले पुणे और वर्धा में सामने आए हैं। दोनों जिलों में आई फ्लू की लहर आ गई है। केवल पुणे जिले में ही पांच दिनों के अंदर बीमारी की चपेट में २,५०० से ज्यादा लोग आ चुके हैं, जिसमें ज्यादातर ५ से १५ साल उम्र के बच्चे शामिल हैं। इस बीमारी को कंजंक्टिवाइटिस या ‘आंख आना’ कहा जाता है। फिलहाल बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है।
मरीजों की संख्या बढ़ी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि कपूर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से आई फ्लू के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। मुंबई मनपा और सरकारी अस्पतालों में ३० से ४०, निजी अस्पतालों में २० से ३० और आई क्लिनिकों में ४ से ५ मरीज रोजाना आ रहे हैं। इस बीमारी के शिकार लोगों को एंटीबायोटिक ड्रॉप दिया जा रहा है।
बीमारी के लक्षण
आंखें लाल होना, बुखार, सर्दी, खांसी इस बीमारी के लक्षण हैं। ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों को आंखों में जलन, सूजन, पानी आना, गंदगी निकलना, आंखों में सुई जैसा महसूस होना जैसी शिकायतें होती हैं। इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
अंधा बना सकती है लापरवाही
डॉ. शुभांगी आंबेडकर ने कहा कि आई फ्लू की गंभीरता से लेकर सही तरीके से इलाज नहीं कराया जाता है, तो इससे आंखों में इंफेक्शन होने, नजर कमजोर होने और कॉर्नियल अल्सर होने का खतरा होता है। उन्होंने यह भी कहा कि कॉर्नियल अल्सर होने के बाद भी लापरवाही बरती गई तो इससे आंखों की रोशनी जा सकती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभांगी आंबेडकर ने कहा कि कंजंक्टिवाइटिस को पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रमण है, जो कंजंक्टिवा में सूजन का कारण बनता है। कंजंक्टिव एक स्पष्ट परत है, जो आंख के सफेद भाग और पलकों की अंदरूनी परत को ढकती है। मानसून के दौरान कम तापमान और उच्च आर्द्रता के कारण, लोग बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी के संपर्क में आते हैं, जिससे इस तरह के संक्रमण होते हैं।