सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की जनता के मन में कई सवाल हैं। इन मुद्दों का समाधान आज सत्ता में बैठे लोगों द्वारा नहीं किया गया है। हाल के दिनों में महाराष्ट्र में पार्टियों में जोड़-तोड़, पार्टियों को तोड़ने, सत्ता के लिए अवांछित समझौते करने, विचारों और कार्यक्रमों से समझौता करनेवाले कारकों के बारे में हम जनता के सामने अपना पक्ष रखने जा रहे हैं। हमारी भूमिका लोगों को बदलाव के लिए तैयार करना है। महाविकास आघाड़ी की ओर से मैं महाराष्ट्र के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि हमारा गठबंधन किसानों, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, श्रमिकों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं की समस्याओं को हल करने के लिए अधिकतम प्रयास करेगा, जो महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करेगा। इस तरह का अश्वासन देते हुए राकांपा (शरदचंद्र पवार) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हमें सत्ता परिवर्तन करना ही है। इसके लिए जनता हमारे साथ है।
महाविकास आघाड़ी की ओर से कल बारामती में राकांपा की ओर से युगेंद्र पवार ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस मौके पर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, सुप्रिया सुले समेत पवार परिवार के सभी सदस्य और अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे। शरद पवार ने विश्वास व्यक्त किया कि बारामती विधानसभा क्षेत्र के लोग इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में युगेंद्र पवार को भारी मतों के अंतर से जिताएंगे। शरद पवार ने मीडिया से बातचीत करते हुए महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ बारामती ही नहीं, बल्कि मैं महाराष्ट्र के सभी जिलों की लगातार समीक्षा कर रहा हूं। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने महाविकास आघाड़ी को जबरदस्त प्रतिसाद दिया है। ४८ सीटों में से ३१ लोकसभा सीटें जिताकर हमें सफल बनाने के लिए महाराष्ट्र के लोगों का मैं आभारी हूं। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि हमने लोकसभा में आपके प्रदर्शन का रिकॉर्ड अपने दिल में रखा है। अभी महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। हम आघाड़ी की ओर से विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। हम तीनों पार्टियों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम ९५ फीसदी सीटों पर सहमत हो गए हैं। शरद पवार ने स्पष्ट किया कि हम कुछ सीमित सीटों के बारे में चर्चा कर रहे हैं, जो अगले एक या दो दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव के बाद बहन-भाई की आई याद
शरद पवार ने कहा कि वे पिछले चार साल से सत्ता में थे, तब उन्हें अपनी बहनों की याद नहीं आई, लेकिन जब लोकसभा चुनाव में इन्हें भाई-बहनों ने सबक सिखाया तब उन्हें इनकी याद आई है। इसलिए विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले इन्होंने ‘लाडली बहन योजना’ लाया, फिर भी कल के चुनाव में जनता फिर से इन्हें सबक सिखाएगी।