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३३ कोटि देवताओं को साक्षी मानकर लेते हैं कसम … चाहे लाठी पड़ जाए, नहीं छोड़ेंगे मैदान …-आशा व आरोग्यसेविका हड़ताल पर कायम

-हड़ताल पर आरोग्यसेविकाएं
-३३ करोड़ बकाया लेकर ही रहेंगे
-‘घाती’ सरकार की बढ़ी दी मुश्किल
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के आजाद मैदान में पिछले करीब एक महीने से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल कर रहीं आशा और आरोग्य सेविकाएं घाती सरकार की अनदेखी के कारण अब और भी ज्यादा आक्रामक हो गई हैं। हड़ताल पर कायम रहते हुए उन्होंने कहा है कि चाहे लाठी ही क्यों न पड़े, हम ३३ कोटि देवी-देवताओं को साक्षी मानकर कसम खाते हैं कि जब तक हमारा ३३ करोड़ बकाया नहीं मिल जाता, तब तक मैदान नहीं छोड़ेंगे। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आनेवाले समय में ‘घाती’ सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि आशा और आरोग्य सेविकाओं की अभी भी कई मांगें लंबित हैं। इस पर ध्यान आकर्षित कराने के लिए ११ जून से ही सैकड़ों ‘आशा’ और आरोग्यसेविकाओं ने आजाद मैदान में हड़ताल शुरू की है, लेकिन आज तक सूबे के असंवैधानिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इनकी सुध लेना भी उचित नहीं समझा। हाल ही में सरकार ने ‘लाडली बहन’ योजना शुरू की है इसलिए आशा और आरोग्यसेविकाओं ने एक-दूसरे के हाथों में राखी बांधी और सीएम शिंदे से मिलने का समय देने का आग्रह किया। ‘मनपा आरोग्य सेवा कर्मचारी संगठन’ के अध्यक्ष एड. प्रकाश देवदास ने विरोध जारी रखने की घोषणा करते हुए कहा कि इस सरकार को वे अपनी एकता की ताकत दिखाएंगे। फिलहाल, सभी सेविकाएं अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए हड़ताल कर रही हैं।
सरकार कर रही वादाखिलाफी
बता दें कि आशा सेविकाओं को मात्र १,६५० और आरोग्यसेविकाओं को १२ हजार रुपए मानधन मिलते हैं। सरकार ने आशा सेविकाओं को ५,००० मानधन देने की घोषणा की है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, आरोग्य सेविकाओं को न्यूनतम १८ हजार मानधन देने की भी मांग की गई। लेकिन इस संबंध में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार की वादाखिलाफी से आरोग्य सेविकाओं में आक्रोश है। महासचिव एड. विदुला पाटील ने कहा कि सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए चार हजार आरोग्य सेविकाएं और दो हजार ‘आशा’ कार्यकर्ता आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन कर रही हैं।
बेनतीजा रही मनपा से बातचीत
इससे पहले अतिरिक्त आयुक्त सुधाकर शिंदे से हुई चर्चा बेनतीजा रही थी। इसके बाद दोबारा उन्हीं मांगों को लेकर मनपा के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. शिंदे के साथ बैठक हुई। इस दौरान उन्होंने माना कि उनके ३३ करोड़ रुपए बकाया हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हम कोर्ट के पैâसले के बिना बकाए की अदायगी नहीं कर सकते।

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