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मोदी का परिवार!

सुशील राय ‘शिवा’

मेरा क्या? मैं तो झोला उठाऊंगा और चल दूंगा! ये डायलॉग तो आपने सुना ही होगा। ये डायलॉग चुनावों के दौरान खूब सुनने को मिलता है। नहीं भी सुने होंगे तो चलिए बता दें कि ऐसा बोलनेवाले महान व्यक्ति हैं देश के पीएम नरेंद्र मोदी। उन्होंने कई दशक पहले शायद कुछ इसी तरह झोला उठाया होगा और निकल गए होंगे! अपनी पत्नी को अकेला छोड़कर। वैसे लोकसभा चुनाव २०२४ से पहले भी एक डायलॉग कहें या कैंपेन ‘मोदी का परिवार’ खूब चर्चा में रहा। फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम जैसे तमाम सोशल साइट्स पर आम नागरिक से लेकर खास यानी भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं तक ने अपनी प्रोफाइल में ‘मोदी का परिवार’ का प्रयोग किया। ऐसा लग रहा था मानो देश के वे सभी लोग एक ही परिवार के सदस्य हों।
सोचनेवाली बात यह है कि जो व्यक्ति अपने परिवार के कुछ सदस्यों को साथ लेकर नहीं चल सका, वो पूरे देश को परिवार बनाने चला था। बीच-बीच में इस परिवार में फूट की भी चर्चाएं सामने आती रहीं और उसका ही असर रहा कि ४०० पार का दावा करनेवाली भाजपा एनडीए के साथ मिलाकर ३०३ पर सिमट गई। जैसे-तैसे नरेंद्र मोदी चंद्रा बाबू नायडू और नीतिश कुमार के सहारे फिर पीएम बन गए। जैसे ही मोदी पीएम बने और शपथ ली, वैसे ही उन्होंने परिवार से अलग होने का निर्णय लेते हुए फरमान जारी कर दिया और उन्होंने एक्स पर लिखा कि आप सभी लोग अलग हो जाएं यानी सोशल मीडिया हैंडल से ‘मोदी का परिवार’ हटा लें। वैसे कुछ लोग तो उनके कहने से पहले ही परिवार से अलग हो गए थे। सबसे खास बात ये है कि इस लिस्ट में अमित शाह, जेपी नड्डा और एस जयशंकर जैसे दिग्गज नेता शामिल रहे।
अब यदि उत्तर प्रदेश भाजपा या सीएम योगी आदित्य नाथ की बात करें तो शायद मोदी उनको भी फोन करके कहे होंगे कि मोदी का परिवार हटा लीजिए। कहा तो यहां तक जा रहा है कि आने वाले समय में मोदी बनाम योगी की स्थिति बन सकती है। स्मृति ईरानी की तो हालत ही पतली है। उनके लिए एक तरफ कुआं तो एक तरफ खाई है। अमेठी की जनता ने उन्हें हरवाकर पहले ही अलग कर दिया है। ऐसे में वो ‘मोदी का परिवार’ से अलग होंगी तो जाएंगी कहां? इनके अलावा देवेंद्र फडणवीस, विजय रुपाणी, रविशंकर प्रसाद एवं कंगना रनौत जैसे कई नेता हैं, जिन्होंने ‘मोदी का परिवार’ को नहीं छोड़ा है। खैर, कंगना रनौत को देखकर तो लगता है कि वो सच में मोदी परिवार से हैं। यदि वो सच में मोदी परिवार से हैं तो सवाल ये खड़ा होता है कि पार्टी में सबसे बड़ा एक्टर कौन है? अब आते हैं पीएम मोदी द्वारा जारी एक और फरमान पर। उन्होंने फरमान जारी किया है कि हर नेता बयानबाजी से बचे। उनके इस निर्णय से हर कोई हैरान है कि खुद इतना बोलनेवाले मोदी सबको चुप कराने पर तुले हैं। गौर करनेवाली बात ये है कि पीएम आजकल खुद चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी ये चुप्पी उनके अंदर के डर को दर्शा रही है।
चुनाव से पहले ‘मोदी का परिवार’ के साथ एक और कैंपेन ‘वॉर तो रुकवा दी न पापा’ खूब चला था। ये कैंपेन तो जैसे तमाचा जैसा रहा। यदि मोदी जी वॉर रुकवा दिए तो रुस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय नागरिक क्यों मारे गए? इसके अलावा कश्मीर के रियासी में टेरर अटैक क्या है? आतंकवाद के खात्मा का दावा करनेवाले मोदी चुप क्यों हैं? वॉर रुकवा दी न पापा की मिट्टी-पलीद खुद सरकार कर रही है। रुस-यूक्रेन युद्ध में भारतीयों के मारे जाने के बाद सरकार कह रही है कि रुस भारतीय नागरिकों की भर्ती बंद करे। अंत में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये बात कहने की जरूरत ही सरकार को क्यों पड़ी? सरकार यदि लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा देती तो भारतीय नागरिकों को उस युद्ध में अपनी जान गवाने की जरूरत नहीं पड़ती। खैर, देश के कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों के साथ भाजपा में चल रही फूट का भी असर दिखेगा।

 

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