मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : बड़े बेआबरू होकर...

तड़का : बड़े बेआबरू होकर…

कविता श्रीवास्तव

नामी शायर मिर्जा गालिब ने लिखा है…

निकलना खुल्द से आदम का
सुनते आए हैं लेकिन,
बहुत बेआबरू होकर
तेरे कूचे से हम निकले।

इसका अर्थ कुछ इस प्रकार है कि खुदा ने नाराज होकर आदम (आदिमानव) को स्‍वर्ग से निकाल दिया और उसे फिर जमीन पर आना पड़ा। उसी तर्ज पर शायर को उनकी मेहबूबा ने बेआबरू करके निकाल दिया। जन्‍नत में खुदा ने आदम को बाहर निकाला था और यहां गालिब को महबूबा ने बेआबरू करके निकाला।
खैर मिर्जा गालिब साहब ने अपनी कलम से अपनी बात ईमानदारी से कह दी थी और उनकी यह शायरी मिसाल बन गई। आजकल कुछ ऐसी ही हालत महाराष्ट्र की राजनीति में है। हाल ही में हुए आम चुनावों में महाराष्ट्र में अधिकांश सीटों पर भाजपा, शिंदे गुट और अजीत गुट की महायुति की करारी पराजय हुई है। राज्य में महायुति का शासन है, फिर भी जनता ने अपने मतों की ताकत से उन्हें जमीन पर ला पटका है। इन नतीजों पर आरएसएस के मुखपत्र के लेख ने इन दिनों खूब तहलका मचाया है। लेख में अजीत पवार की एनसीपी को लेकर तल्ख टिप्पणियां की गई हैं। अजीत पवार गुट को लोकसभा की महज एक सीट पर सफलता मिली। बाकी सीटों पर मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। उनकी पत्नी भी अपने गृहक्षेत्र में अपनी ननद सुप्रिया सुले से पराजित हो गईं। महाराष्ट्र में उनकी बगावत को नहीं, बल्कि उनके धीरगंभीर चाचा और उनके राजनीतिक आका शरद पवार के प्रति लोगों ने विश्वास जताया। अजीत पवार से गठजोड़ का भाजपा को भी नुकसान हुआ। यही बात आरएसएस की पत्रिका के लेख में साफ तौर पर कही गई है। लेख में कहा गया है कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिंदे शिवसेना के गठबंधन को साफ बहुमत हासिल था। सरकार ठीक-ठाक चल रही थी। उसमें अजीत पवार को शामिल करना नुकसानदेह रहा। शरद पवार की एनसीपी को तोड़ने की छलयोजना और तिकड़म ने भाजपा की छवि बिगाड़ी। इससे ढेर सारे निष्ठावान भाजपायों में भी निराशा फैल गई, क्योंकि कई जगह टिकट बंटवारे में निष्ठावानों का हक छीन लिया गया। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली शिवसेना, शरद पवार के नेतृत्ववाली एनसीपी और कांग्रेस ने भारी सफलता के साथ महायुति की बोलती बंद कर दी है। लोगों ने पार्टी तोड़ने के भाजपा के तिकड़म की सजा भी उसे मतदान के जरिए दे दी है। महायुति अभी उस सदमें से उबरी नहीं थी कि आरएसएस ने सच्चाई खुलकर सामने ला दी है। अब सबकी निगाहें महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों पर लगी हुई हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना के बारे में असली-नकली की जो बात उठी थी, उसका पटाक्षेप तो चुनाव परिणामों से हो चुका है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टी को जनता सही मानती है यह उनके मतों ने सिद्ध कर दिया है। अजीत पवार को तो केंद्र में वैâबिनेट मंत्री भी नहीं मिला।

अन्य समाचार