मुख्यपृष्ठस्तंभवीकेंड वार्ता : आपकी आतिशी!

वीकेंड वार्ता : आपकी आतिशी!

एम.एम. सिंह

सन् २०२२ लगभग आधा अप्रैल बीत चुका था। हालांकि, गर्मी नहीं बढ़ी थी, लेकिन भारत की राजधानी की राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में गरमाहट बढ़ चुकी थी। वजह… दिल्ली के उत्तरी इलाके जहांगीरपुरी में एक हिंदू धार्मिक जुलूस को लेकर हिंदू और मुस्लिम व्यक्तियों के समूहों के बीच विवाद के बाद तनाव पैदा हो गया, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाए गए। कुछ दिनों बाद शहर के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत पड़ोस में बुलडोजर चलाए गए और एक स्थानीय मस्जिद के पास कई स्ट्रक्चर्स को ढहा दिया गया। उस समय कॉर्पोरेशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का नियंत्रण था। हालांकि, अदालत के आदेश के चलते उसे अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ी। इस बीच दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के तीन शीर्ष नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया और बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या को दोषी ठहराया। दोनों ही समुदाय मुख्यत: मुस्लिम थे और दंगों के लिए जिम्मेदार थे। भाजपा नेताओं ने भी उन्हीं समुदायों पर दोष मढ़ा था।
आप की तरफ से विधायक और प्रवक्ता आतिशी ने प्रेस कॉन्प्रâेंस में सबसे आगे रहकर काम किया। सूती साड़ी, छोटे बाल और मोटे रिमलेस चश्मे में आतिशी तब तक दिल्ली में पार्टी का एक बड़ा चेहरा बन चुकी थीं।
अपने आपको हिंदुओं का झंडा बरदार समझने वाली भाजपा को इस मामले में सीधे-सीधे पटकनी देने की कोशिश में आप सफल भी रही।
यह आतिशी की सार्वजनिक छवि के लिए एक निर्णायक क्षण था, जो एक अपेक्षाकृत राजनीतिक नवोदित नेता थीं। ‘मार्लेना’ उपनाम जो दार्शनिक कार्ल मार्क्स और प्रथम साम्यवादी राज्य का निर्माण करनेवाले व्यक्ति लेनिन के नाम का एक संयोजन था।
आतिशी ने उन्हें दी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन इतने बढ़िया ढंग से किया कि अब वह दिल्ली की चीफ मिनिस्टर बन गई हैं। आतिशी के सीएम बनाए जाने की कई वजहें हैं। यह माना जाता है कि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को उन पर सबसे ज्यादा भरोसा है। केजरीवाल और सिसोदिया के जेल जाने के बाद अतिशी ने दिल्ली सरकार के अहम मंत्रालयों की कमान बखूबी संभाली है। दिल्ली के लोग नहीं भूले हैं कि जून में उन्हें दिल्ली वालों को पानी दिलाने के लिए अस्पताल तक जाना पड़ा। जब हरियाणा सरकार ने हर रोज दिल्ली को १०० मिलियन गैलन पानी देने से मना कर दिया तो वह भूख हड़ताल पर बैठ गई थी। हालांकि, महिलाओं के लिए मुफ्त योजनाएं पेश कर केजरीवाल सरकार महिलाओं की चहेती तो बन गई, लेकिन केजरीवाल के पीए द्वारा स्वाति मालीवाल पर तथाकथित हमले से आप की इस छवि को भाजपा महिला विरोधी साबित करने में जुट गई। आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर केजरीवाल ने एक बड़ा दांव खेला है, वह यह कि उनकी पार्टी महिला विरोधी नहीं बल्कि महिलाओं को सम्मान देती है।

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