• सुस्त पड़ा है मुख्यमंत्री का ‘बदलता ठाणे अभियान’
• कई परियोजनाओं की निविदाएं हैं लटकी
पंकज तिवारी / ठाणे
मुख्यमंत्री बनते ही एकनाथ शिंदे ने ठाणे मनपा के माध्यम से ‘मुख्यमंत्री का बदलता ठाणे’ अभियान शुरू किया था, जिसके तहत सड़क मरम्मत, सुंदरता जैसे कार्यों को ६ महीने में पूर्ण किया जाना था। दिसंबर महीने में इस अभियान की शुरुआत की गई थी तब से ६ महीने का समय पूरा होने को है लेकिन अभी तक अभियान के तहत कई कार्यों की टेंडर प्रक्रिया बाकी है। ऐसे में क्या वक्त रहते ‘मुख्यमंत्री का बदलता ठाणे’ अभियान पूरा हो पाएगा या नहीं? ऐसे में, ‘क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम…’ ऐसा सवाल ठाणेकर पूछते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि पिछले साल ३ दिसंबर के दिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ‘मुख्यमंत्री का बदलता ठाणे’ अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत सड़कों की मरम्मत, साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण पर जोर देने का निर्णय लिया गया था। सड़क, रंगाई-पुताई और शौचालय मरम्मत कार्य शुरू किए गए हैं। सड़क का काम दो चरणों में किया जाना है। इसके लिए ६०५ करोड़ रुपए का फंड खर्च किया जाएगा। इसमें २८३ सड़कों की मरम्मत का काम चल रहा है। मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने इन सड़कों का काम ३१ मई तक पूरा करने की डेडलाइन दी है। ठाणे मनपा को छह महीने का समय दिया गया था लेकिन आज भी सड़कों का काम चल रहा है। वहीं सौंदर्यीकरण के लिए १३० करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
फंडिंग के बावजूद शुरू नहीं हुआ काम!
सार्वजनिक शौचालय इस अभियान का अहम हिस्सा था। ठाणे मनपा ने शहर में ९०० शौचालयों का सर्वेक्षण किया है, और उनमें से ७०० की मरम्मत का काम शुरू किया है, इसके लिए ७३ करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च की जाएगी। यह फंड मनपा को उपलब्ध करा दिया गया है लेकिन अभी तक टेंडर के अलावा कुछ नहीं हुआ है।
ऐसे प्राप्त हुई निधि!
सरकार की ओर से २५ करोड़, मनपा पिछड़ा वर्ग कोष से १३ करोड़, अन्ना भाऊ साठे योजना से ९.०५ करोड़ और शहर विकास विभाग से २५ करोड़ शौचालयों की मरम्मत के लिए उपलब्ध कराए गए हैं।
कचरे के १०० स्पॉट अभी भी बाकी हैं!
अभियान के तहत स्वच्छता और शौचालय मरम्मत कार्यों को महत्व दिया गया है। सफाई के तहत हाइवे की सफाई, कचरा संग्रहण के लिए नए वाहनों की खरीदी, छोटे कंपेक्टर की खरीदी शामिल है। शहर में ३४० कूड़ाघर थे। अभी भी १०० स्पॉट खुले हैं और उन्हें बंद करने में तीन महीने का समय और लगेगा, ऐसा मनपा का कहना है।