कैसा कलियुग आया

कैसा कलियुग आया
तेरे देश में राम
कुछ इंसान बने हैवान
करें कोम बदनाम
करें कोम बदनाम
कृत देखकर उनका
कांपे थर थर स्वान
कांपे थर थर स्वान
करो खात्मा उनका
हे मेरे भगवान
देख के हालत मौमिता की
सहमी सब की जान
सहमी सब की जान
सुरक्षित न है गुड़िया
और न उसकी आन
कब तक लेकर कैंडल हाथ में
घूमे सुबह से शाम
हैवानों को करो हवाले
किस्सा करो तमाम
कैसा कलयुग आया
तेरे देश में राम
कुछ इंसान बने हैवान
करें कोम बदनाम…

श्रवण चौधरी
प्रभादेवी

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