ग्रामीण इलाकों में हो रही है टैंकरों से जलापूर्ति
सामना संवाददाता / मुंबई
गरमी बढ़ने के साथ ही महाराष्ट्र में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। इसका मुख्य कारण बीते १० दिनों में प्रदेश के सभी बड़े जलाशयों में जलस्तर का तेजी से घटना है। जानकारी के मुताबिक, दस दिन पहले जहां इन जलाशयों में जलस्तर ३१ फीसदी था, वह अब २८ फीसदी पर पहुंच गया है। ऐसे में राज्य के साढ़े सात हजार गावों और वाड़ों में जल संकट पैदा होने से वहां करीब दो हजार से अधिक टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। इसके साथ मुंबई में भी अघोषित पानी कटौती से लोग परेशान हैं। इसके बावजूद शिंदे सरकार इस समस्या को हल करने पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में जल भंडारण का स्तर तेजी से घट रहा है। इसके चलते टैंकरों द्वारा पानी की आपूर्ति बढ़ गई है। कई वाड़ों और गांवों में पीने के पानी की कमी के कारण नागरिकों को परेशानी हो रही है। फिलहाल, राज्य के ७,४९५ गांवों और वाड़ों में २,७३७ टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। दूसरी तरफ पिछले दस दिनों में जलस्तर तेजी से घटने से वर्तमान में राज्य के प्रमुख जलाशयों में २८.४२ प्रतिशत, मध्यम परियोजनाओं में ३७.४४ प्रतिशत तथा लघु पाटबंधारे परियोजनाओं में २९.९६ प्रतिशत ही जल भंडारण उपलब्ध है, जो कि चिंता का विषय है। लेकिन सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पेयजल की बढ़ेगी समस्या
अभी मानसून की बारिश होने में देर है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आनेवाले दिनों में पीने के पानी की भारी कमी होने वाली है। बता दें कि २० अप्रैल को राज्य के जलशायों में ३१ फीसदी जल भंडारण था, जो अब घटकर २८ फीसदी पर आ गया है। ऐसे में कई परियोजनाओं में पानी की खपत प्रतिबंधित कर दी गई है। साथ ही नदी तटों पर बिजली कनेक्शन बंद कर दिए गए हैं। इससे फसलें खराब हो रही हैं और पशुओं के चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गई है।
इस तरह है टैंकरों से जलापूर्ति
एक अप्रैल तक राज्य में १,५२२ टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही थी, २९ अप्रैल को बढ़कर २,७३७ पर पहुंच गया। इसी तरह गांवों की संख्या भी १,२३३ से बढ़कर २,१८४ के ऊपर पहुंच गई। दूसरी तरफ वाड़ोें की संख्या भी दोगुनी हो गई है। पहले जहां २,७७५ वाड़ो में जलापूर्ति हो रहीr थी, वह अब बढ़कर ५,३११ पर पहुंच गई है।
मोदी का सूखा ‘जलजीवन मिशन’
मोदी सरकार द्वारा पेयजल की दिक्कत को दूर करने के लिए ३० सालों तक हर गांव में चलाई गई ‘जलजीवन मिशन’ योजना भी जल के अभाव में सूखती हुई दिखाई दे रही है। यह योजना ‘हर घर,नल से जल’ के नारे के साथ लागू की गई थी। इन तमाम कोशिशों के बावजूद कई जिले अभूतपूर्व पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।