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एसटी कर्मचारियों की दशा कब सुधरेगी?

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की लालपरी कही जाने वाली एसटी बसों एवं शिवनेरी बसों की हो रही दुर्घटना को लेकर बुधवार को विधान परिषद में विपक्ष सहित तमाम सदस्यों ने परिवहन मंत्री को सवालों के घेरे में ला दिया। राज्य में एसटी बसों और उनके कर्मचारियों की दुर्दशा को उजागर करते हुए सदस्यों ने मंत्री दादाजी भुसे से जवाब मांगे। सदस्यों का कहना था कि एसटी बस के कर्मचारी भी आखिरकार इंसान हैं, उनके साथ सरकार ज्यादती क्यों कर रही है।
सदन में कांग्रेस सदस्य भाई जगताप ने शिवशाही बस दुर्घटना का मुद्दा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत उठाया, जिसमें विपक्ष नेता अंबादास दानवे, अनिल परब, शशिकांत शिंदे, प्रवीण दरेकर सहित तमाम लोगों ने हिस्सा लिया।
विपक्ष नेता ने आरोप लगाया कि सरकार सही मायने में एसटी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में चूक रही है। साथ ही ज्यादातर एसटी बसें पुरानी होकर खराब हो चुकी हैं, जिसकी वजह से राज्य में एसटी बसें दुर्घटना का शिकार हो रही हैं। सदस्य अनिल परब ने भी कहा कि आखिरकार सरकार ने कुछ घातक मोड़ (ब्लैक पॉइंट) का चयन कर कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने की योजना लाई थी। इसके बावजूद घटनाएं क्यों हो रही हैं? सरकार एसटी कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में वास्तव में क्या करेगी? ऐसा सवाल उठाए जाने पर प्रवीण दरेकर ने कहा कि एसटी कर्मचारियों का मुद्दा महत्वपूर्ण है। निजी वाहन चालकों के भी कुछ दर्द और भावनाओं को भी समझने की जरूरत है। कॉन्ट्रैक्ट ड्राइवर को हम १०-१२ हजार रुपए वेतन देते तो हैं, मगर इससे उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी, उनका घर वैâसे चलता है, इसके लिए सरकार क्या कर रही है? एक अन्य सदस्य ने कहा कि सरकार सभी को रियायत देती है तो एसटी कर्मचारियों के बारे में भी मानवता की दृष्टि से विचार करने की जरूरत है। एसटी कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण के संबंध में सरकार वास्तव में क्या करेगी? इन सभी समस्याओं का हल मिलेगा, तभी एसटी कर्मचारियों का मानसिक संतुलन ठीक होगा और दुर्घटनाएं कम होंगी।
इस पर मंत्री दादाजी भुसे ने कहा कि सरकार ने हाल ही में एसटी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की है। इसके अलावा एसटी के बेड़े में कई नई बसें शामिल की जा रही हैं। लगभग ५ हजार इलेक्ट्रिक बसें बेड़े में शामिल करने का लक्ष्य है।

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