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कब रुकेगा यात्रियों की बलि का सिलसिला? … रेलवे में ३ साल में १३१ बड़े हादसे! … चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के ४ एसी डिब्बे पलटे

– अब तक ४ मरे, २० घायल
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में बुलेट ट्रेन लाने और कमजोर पटरियों पर हाई स्पीड ट्रेन चलाकर वाहवाही लूटनेवाले देश के पीएम नरेंद्र मोदी के राज में रेल हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं। रेल हादसों की इसी कड़ी में एक और बड़ा रेल हादसा उत्तर प्रदेश के गोंडा और झिलाही के बीच हुआ, जिसमें चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के चार एसी के डिब्बे पटरी से उतरकर पलट गए। खबर लिखे जाने तक इस हादसे में ४ यात्रियों की मौत हो गई। इस हादसे ने एक बार फिर रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैं। यह हादसा तब हुआ जब ट्रेन तेज गति से चल रही थी और अचानक पटरी से उतर गई। २०१४ से २०२३ की अवधि में एनडीए सरकार के दौरान ६३८ ट्रेन दुर्घटनाएं हुर्इं, जिसमें रेल सुरक्षा में सुधार करने और ऐसी घटनाओं की आवृत्ति को कम करने के महत्वपूर्ण प्रयास करने के वादे किए गए थे।
पिछले तीन वर्षों में रेलवे में हुए १३१ बड़े हादसे इस बात का संकेत देते हैं कि रेलवे सुरक्षा में अब भी कई खामियां हैं। रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में औसतन हर महीने तीन ट्रेनें पटरी से उतर रही हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि रेलवे में सुधार के प्रयासों के बावजूद सुरक्षा उपायों की अभी भी कमी है। आम जनता और विपक्ष ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और रेलवे की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई है और रेलवे मंत्री से इस्तीफे की मांग की है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि रेलवे में सुरक्षा और रख-रखाव के मामलों में लापरवाही बरती जा रही है, जिसके कारण इस तरह के हादसे हो रहे हैं। रेलवे सुरक्षा पर सवाल उठना कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में हुए कई बड़े हादसों ने रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे को अपने सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है और कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रशिक्षित करने की जरूरत है। इस हादसे ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय रेलवे को अपने यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

हादसा या साजिश
ट्रेन के लोको पायलट
के दावे से उठे सवाल
डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट ने जो दावा किया है, वो चौंकाने वाला है। डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट ने दावा किया कि हादसे से पहले उसने रेलवे ट्रैक पर धमाके की आवाज सुनी थी। धमाके के बाद ही ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर कर पलट गए। वहीं लोको पायलट के दावे के बाद रेलवे ने साजिश के एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है। अगर लोको पायलट का दावा सच साबित होता है तो इस हादसे के पीछे किसका हाथ, इसका पता लगाना भी पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।

गोंडा रेल एक्सीडेंड से पहले धमाका!
लोको पायलट ने सुनी आवाज

कल गोंडा के पास हुई रेल दुर्घटना तकनीकी खामियों के कारण हुई या फिर किसी साजिश का नतीजा थी, इस बारे में चर्चा तेज हो गई है। असल में दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के लोको पायलट ने दावा किया है कि उन्होंने हादसे से पहले एक धमाके की आवाज सुनी थी। इसके बाद ही ट्रेन पटरी से उतर गई।
रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, धमाके का दावा करनेवाले लोको पायलट का नाम त्रिभुवन है। इसके बाद अब रेलवे ने साजिश के इस एंगल से भी जांच शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसर, डिब्रूगढ़-चंडीगढ़ एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे एक यात्री ने भी दावा करते हुए बताया, ‘मुझे हाजीपुर जाना था। एक विस्फोट हुआ और उसके बाद एक जोरदार झटका महसूस हुआ और हमारा कोच पटरी से उतर गया। हम चंडीगढ़ से आ रहे थे।’ लोको पायलट और यात्री के इस दावे के बाद जांच दल घटनास्थल का बरीक निरीक्षण कर घटना के साक्ष्य जुटा रहा है। रेलवे सूत्रों का कहना है कि हम इस मामले में तोड़फोड़ के एंगल से भी जांच कर रहे हैं ताकि असलियत का पता चल सके। बता दें कि कल गुरुवार दोपहर गोंडा-मनकापुर रेल रूट पर मोतीगंज-झिलाही स्टेशनों के बीच चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही १५९०४ चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह हादसा दोपहर २:३७ बजे के करीब उस वक्त हुआ जब ट्रेन चंडीगढ़ से चलकर डिब्रूगढ़ की तरफ जा रही थी। इस हादसे में ट्रेन के एसी डिब्बे डिरेल होकर पलट गए। हादसे में ४ लोगों की मौत हुई है, जबकि २० से अधिक लोग घायल हुए हैं।

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