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जहां जहां पांव पड़े गुड्डू के तहां तहां बंटाधार! …यूपी पुलिस की पहुंच से दूर गुड्डू मुस्लिम

• पुलिस और गुड्डू के बीच पक रही खिचड़ी
• प्रशासन पर उठ रहे सवाल

जय सिंह / मुंबई
उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की कहानी १० सेकंड में खत्म हो गई। उस दिन अस्पताल के बाहर पत्रकारों को देखता हुआ अतीक अपनी बात पूरी करता, उसके मुंह से गुड्डू मुस्लिम का नाम निकलता तब तक अरुण मौर्य, सन्नी सिंह और लवलेश तिवारी नामक शूटरों ने दोनों भाइयों पर गोलियों की बौछार कर दी। अतीक को किसने और क्यों मरवाया? हम इसकी चर्चा न कर उस बात की चर्चा करते है, जो आपको जानने लायक है। अब सवाल यह उठा तो बात यह भी कहानी शुरू हो गई है कि गुड्डू मुस्लिम ने अतीक अहमद के साथ धोखा किया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि वह पुलिस और गैंगस्टर दोनों का मुखबिर हो गया है। गुड्डू मुखबिर है या नहीं यह एक सवाल है लेकिन सत्य यह भी है कि गुड्डू जिस-जिस माफिया से जुड़ा रहा, उसको यमराज अपने पास ले गए यानी गुड्डू के जहां जहां पांव पड़े तहां तहां बंटाधार हो गया। इसके अलावा गुड्डू पुलिस की पकड़ में नहीं आया, जिससे प्रशासन पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर पुलिस और गुड्डू के बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है।
श्रीप्रकाश का हुआ था एनकाउंटर
गुड्डू मुस्लिम का जन्म प्रयागराज में हुआ। चार भाइयों में सबसे बड़ा गुड्डू शुरुआत में घर की मुर्गी शॉप पर बैठता था। हालांकि, १५ साल की उम्र में ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। इसके बाद उसका खौफ कायम हो गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, उसकी दहशत इतनी थी कि कोई भी उसकी आंखों में देखने की हिम्मत नहीं करता था। उसकी मुलाकात श्रीप्रकाश शुक्ल से हुई। धीरे-धीरे वह श्रीप्रकाश शुक्ला के गैंग में शामिल हो गया। उसे हर बड़े अपराध में श्रीप्रकाश शुक्ला का साथ मिलने लगा था। गुड्डू श्रीप्रकाश को अपना गुरु मानने लगा था। गुड्डू अक्सर श्रीप्रकाश के साथ ही रहता था। २३ अक्टूबर १९९८ को मुखबिर की सूचना पर एसटीएफ द्वारा दिल्ली में इंदिरापुरम के सुनसान इलाके में एक नीली कार को घेरकर कार में अपने दो साथियों के साथ बैठे श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर किया गया। हालांकि, इस बार भी गुड्डू मुस्लिम बच गया। सूत्रों की मानें तो एसटीएफ को गुड्डू मुस्लिम से ही श्रीप्रकाश शुक्ला की जानकारी मिली थी।
गुड्डू ने राजू पाल पर हथगोला फेंका
२००१ में खुफिया सूचना पर गोरखपुर पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम को पटना के बेऊर जेल के पास से गिरफ्तार कर लिया। जाति भाई के नाते अतीक ने गुड्डू को जमानत पर जेल से बाहर निकलवाया। इसके बाद गुड्डू अतीक का करीबी बन गया। २००५ में प्रयागराज पश्चिमी के विधायक राजू पाल की हत्या हो गई। उत्तर प्रदेश के सीनियर पुलिस अधिकारी बताते हैं कि गुड्डू ने राजू पाल पर हथगोला उसी तरह फेंका, जिस तरह उसने इस साल फरवरी में राजू पाल मामले के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या के दौरान फेंका था। २४ फरवरी को राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी फुटेज में गुड्डू मुस्लिम बम बरसाता नजर आता है।
असद का खात्मा हुआ
१३ अप्रैल को उत्तर प्रदेश एसटीएफ को जानकारी मिली कि गुड्डू मुस्लिम, असद और गुलाम झांसी में हैं। वे सभी पारीछा पावर प्लांट के ठेकेदार सतीश पांडे के घर में छुपे हैं। इसके बाद एसटीएफ की एक टीम छापेमारी के लिए झांसी पहुंच गई। इसकी भनक पहले ही गुड्डू मुस्लिम को लग गई और वह फरार हो गया। छापेमारी के दौरान टीम को पारीछा पावर प्लांट और सतीश पांडे के घर से कुछ नहीं मिला। इसके बाद टीम को असद और गुलाम के झांसी में ही चिरगांव के पास होने का पता चला। यहां एसटीएफ के पहुंचते ही दोनों ओर से क्रॉस फायरिंग हुई, जिसमें असद और गुलाम मारे गए। पत्रकारों के दावे पर विश्वास करें तो यहां भी गुड्डू ने खुद की जान की कीमत असद की मुखबिरी कर बचाई।

 

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