राजन पाकर / मुंबई
आखिरकार, जैसे-तैसे महाराष्ट्र सरकार की तिपहिया सरकार ने कल अपना मंत्रिमंडल विस्तार (सही अर्थों में समायोजन) कर ही लिया। जिसके बाद राजनीतिक हलकों में सबसे तेजी से जो सवाल उभरा है, वह यही कि इस मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सही अर्थों में पावरफुल कौन बना? वैसे तो चर्चा सरकार में शामिल भाजपा के अलावा शिंदे और अजीत पवार गुट इत्यादि सभी को लेकर हो रही है। तब भी इसमें मुख्य फोकस शिंदे व दादा गुट के बीच पावर शेयरिंग को लेकर ही है, क्योंकि इस मंत्रिमंडल विस्तार में जहां अजीत पवार गुट को छोटे-बड़े १५ विभाग मिले हैं तो वहीं शिंदे गुट ने महत्वपूर्ण ८ विभाग गंवाए हैं। यह शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
कल महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करके नवनियुक्त मंत्रियों के विभागों का आवंटन किया गया। राज्यपाल रमेश बैस की मंजूरी के बाद इसकी घोषणा हुई। जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास सामान्य प्रशासन, शहरी विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना और जनसंपर्क, परिवहन, सामाजिक न्याय, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, खनन और अन्य विभाग बचे हैं। जबकि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास गृह, कानून व न्याय, जल संसाधन और लाभकारी क्षेत्र विकास, ऊर्जा, शाही शिष्टाचार विभाग रखे गए हैं। इस सबमें सबसे पावरफुल मंत्रालय पाने में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनका खेमा सफल रहा है। पवार के हिस्से वित्त और योजना विभाग आया है, जबकि छगन भुजबल के पास खाद्य-नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण दिया गया है। दिलीप वलसे पाटील- सहकार, हसन मुश्रीफ- चिकित्सा शिक्षा और विशेष सहायता, धनंजय मुंडे- कृषि, धर्मराव बाबा अत्राम- खाद्य एवं औषधि प्रशासन, अदिति तटकरे- महिला एवं बाल विकास, संजय बनसोडे- खेल व युवा कल्याण, बंदरगाह और अनिल पाटील- राहत व पुनर्वास एवं आपदा प्रबंधन पाने में सफल रहे हैं। जबकि शिंदे गुट के गुलाबराव पाटील के पास जलापूर्ति और स्वच्छता, दादा भुसे- लोक निर्माण (सार्वजनिक निर्माण), संजय राठौड़- मृदा एवं जल संरक्षण, संदीपन भुमरे- रोजगार गारंटी योजना व फलोत्पादन, उदय सामंत- उद्योग, तानाजी सावंत- सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, अब्दुल सत्तार- अल्पसंख्यक विकास एवं औकाफ, पणन, दीपक केसरकर- स्कूल शिक्षा और मराठी भाषा व शंभुराज देसाई के पास राज्य उत्पाद शुल्क बचा है।
राजनीतिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली दरबार में तमाम विरोध जताने के बावजूद एकनाथ शिंदे की इस विस्तार में चल नहीं सकी। अमित शाह के साथ हुई बैठक में उन्हें अजीत पवार खेमे को महत्वपूर्ण विभाग देने पर हामी भरनी ही पड़ी। तर्क दिया गया था कि जब भाजपा वित्त विभाग अपने हिस्से से दे रही है तो उनको भी कुछ महत्वपूर्ण विभाग छोड़ने होंगे। कल मंत्रिमंडल समायोजन में उसी की छाप नजर आई। फिर भी भाजपा के पास कई महत्वपूर्ण विभाग बचे हुए हैं। इनमें सुधीर मुनगंटीवार के पास वन, सांस्कृतिक और मत्स्य पालन, चंद्रकांत पाटील- उच्च और तकनीकी शिक्षा, कपड़ा उद्योग और संसदीय मामले, मंगलप्रभात लोढ़ा- कौशल विकास, उद्यमिता और नवाचार, सुरेश खाड़े- कामगार, राधाकृष्ण विखे-पाटील- राजस्व, पशुपालन और डेयरी विकास, विजयकुमार गावित- जनजातीय विकास, गिरीश महाजन- ग्राम विकास एवं पंचायत राज, पर्यटन और अतुल सावे- आवास, अन्य पिछड़ा एवं बहुजन कल्याण समेत रवींद्र चव्हाण- लोक निर्माण विभाग के मंत्री बने हुए हैं।
अजीत पवार गुट को मिले विभाग
१) वित्त
२) योजना
३) अन्न व नागरिक आपूर्ति
४) उपभोक्ता संरक्षण
५) सहकार
६) चिकित्सा शिक्षा
७) विशेष सहायता
८) कृषि
९) अन्न व औषधि प्रशासन
१०) महिला एवं बाल विकास
११) खेल
१२) युवा कल्याण
१३) बंदरगाह
१४) राहत और पुनर्वास
१५) आपदा प्रबंधन
एकनाथ शिंदे गुट के कटे विभाग
१) कृष
२) अन्न व औषधि प्रशासन
३) खेल
४) युवा कल्याण
५) बंदरगाह
६) राहत और पुनर्वास
७) आपदा प्रबंधन
८) विशेष सहायता