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महंगाई पर सब क्यों हैं चुप? … आम जनता परेशान, केंद्र का मौन महान!

फीस-किताबें महंगी होने से बच्चों की पढ़ाई पर पड़ी मार
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र सरकार की गलत नीति के चलते अब शिक्षा पर भी महंगाई की मार पड़ने लगी है। कॉपी, किताब और स्टेशनरी सामग्री की कीमतों में ३० से ४० फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। जून में स्कूल का नया सत्र शुरू होने पर फीस, कॉपी, किताब और अन्य चीजों की बढ़ी कीमतों का बच्चों की शिक्षा पर भी असर पड़ता दिखाई देगा। महंगाई अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है। अभिभावकों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक स्कूल फीस बढ़ने के साथ ही यूनिफार्म, जूते-मोजे व कॉपी-किताबें भी महंगी हो गई हैं। दाम में करीब २५ से ३० फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इससे अभिभावक परेशान हैं।

पेन से पेंसिल तक के बढ़े दाम
अभिभावकों की मानें तो ब्रांडेड स्कूल बैग पहले जहां २०० से ३०० रुपए में मिल जाता था, अब वही बैग ४०० रुपए तक मिलने लगा है। प्लास्टिक के सामान जैसे बॉटल, लंच बॉक्स और पेंसिल बॉक्स आदि में भी १० से लेकर २० रुपए तक की वृद्धि हुई है। कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा किताबों में फेरबदल करने से नई किताबों की रेट काफी अधिक है। इसी के साथ कॉपी, पेंसिल, पेन, रबर, स्याही आदि के भाव में भी करीब १० प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पुरानी किताबों का लेन-देन बढ़ा
स्कूल फीस के साथ किताबों-यूनिफार्म व अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से अभिभावकों पर भार बढ़ गया है। अभिभावक इतने परेशान हैं कि नई किताब लेने की बजाय पुरानी किताबें ढूंढ़ रहे हैं। जिनके पास पुरानी किताबें हैं वे इसे बेच रहे हैं। पुरानी किताबें मंगा कर बच्चों को दी जा रही हैं।

स्टेशनरी १५ से २५ प्रतिशत महंगी
कई राज्यों में अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू हो जाता है। इससे पहले मार्च में स्टेशनरी की कीमतों में १५ से २५ प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कॉपी, किताब, पेन, पेंसिल जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने से पैरेंट्स परेशान नजर आ रहे हैं। कॉपियों के दाम २० से २५ प्रतिशत बढ़ी है और किताबों के दाम भी १० प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए। सभी चीजें महंगी हो गई। झा ने बताया कि कोरोना काल में कागजों की कई मिले बंद हो गर्इं इस वजह से भी बाजार पर बुरा असर पड़ा और कॉपी-किताबों के दाम बढ़ गए।

प्ले स्कूलों से लेकर कॉलेज तक प्रभावित
फीस, फर्नीचर, खिलौने, स्टेशनरी के दाम बढ़ने से प्ले स्कूलों से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेज तक सभी प्रभावित हुए हैं। शिक्षण संस्थानों पर भी बढ़ती महंगाई की वजह से फीस बढ़ाने का दबाव है। ऐसे में कई स्कूलों ने ट्यूशन फीस समेत अन्य फीस भी बढ़ा दी है।

फीस बढ़ने से छूटती है बच्चों की पढ़ाई -तनुश्री
तनुश्री ने बताया कि फीस बढ़ने से काफी समस्या हुई है। हमलोग तो नौकरी करते हैं। इससे घर का खर्च पूरा होता है। एक बार घर का बजट बन जाने के बाद सालोंभर उसी के तहत काम करना होता है। कई बार ऐसा होता है कि आर्थिक तंगी में आकर बच्चों का पढ़ाई भी छुड़वा देते हैं। कई परिवारों ने फीस की वजह से अपने बच्चों को स्कूल से हटा लिया।

फीस के साथ संस्कार नहीं बढ़ता -प्रभाकर
हरमू निवासी प्रभाकर ने बताया कि स्कूलों में फीस बढ़ा दी जाती है, लेकिन उसके साथ अनुशासन और संस्कार नहीं बढ़ाया जाता है। वहीं जब फीस की बात होती है तो हमलोगों से पूछा भी नहीं जाता है और नोटिस के साथ फीस की सूची थमा दी जाती है। हम मिडिल क्लास लोगों को काफी दिक्कत होती है। जब पैसे बाधक बनेंगे तो परिवार ओर देश का सपना कैसे पूरा होगा?

स्कूल में पैसा वसूला जाता है -सरिता दुबे
हटिया की रहने वाली सरिता दुबे भी स्कूल फीस से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि स्कूलों में हर साल एडमिशन के नाम पर मनमाना पैसे वसूले जाते हैं। पेरेंट्स भी बच्चों के भविष्य के लिए बिना कुछ बोले पैसे दे देते हैं। उनके पास कोई विकल्प नहीं होता है। हर जगह यही स्थिति होती है। सोचना चाहिए कि इस महंगाई के दौर में कितना मुश्किल है पैसे जुटाना।

कर्ज लेकर पढ़ा रहे हैं बच्चे -संजू राय
संजू राय ने बताया कि हमलोग मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। स्कूल में नए साल पर एडमिशन और प्रमोशन चार्ज के नाम पर एक मोटी रकम की मांग की जाती है। यह हम मध्यमवर्गीय परिवार को एक साथ देने में काफी कठिनाई होती है। बहुत बार हमें अपने रिश्तेदारों से पैसे कर्ज लेकर बच्चों की फीस भरनी पड़ती है। क्योंकि रकम बहुत बड़ी हो जाती है।

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