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ढूंढते रह जाओगे! … जैसे एम्स बने थे, वैसे महाराष्ट्र में बनेंगे मेडिकल कॉलेज … केंद्र सरकार ने छोड़ी चुनावी ‘पुडी’

– मोदी सरकार पर जनता को नहीं रहा भरोसा
सामना संवाददाता / मुंबई
चुनाव के पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ‘पुड़ी’ छोड़ने में माहिर हैं। इसी के तहत उन्होंने २०१४ से ही दिल्ली के ‘एम्स’ की तर्ज पर देश के अन्य राज्यों में भी ‘एम्स’ बनाने का वादा किया था। हालिया लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने ऐसा वादा किया था। पर ये ‘एम्स’ कहां बने या बन रहे हैं, यह आप ढूंढते रह जाएंगे! अब विधानसभा चुनाव को देखते हुए इसी तर्ज पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में भी मेडिकल कॉलेज बनाने की ‘पुड़ी’ छोड़ी है। मगर अब जनता को इस ‘पुड़ी’ छोड़नेवाली सरकार पर भरोसा नहीं है।

हर साल ५ करोड़ लोगों को
बीमारी बनाती है गरीब!
सिर्फ चुनाव के समय नए अस्पतालों की छोड़ी जाती है ‘पुड़ी’

पिछले चुनाव में बिहार के दरभंगा में ‘एम्स’ निर्माण को मोदी की गारंटी मिली थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और थी। वहां अभी तक ‘एम्स’ साकार नहीं हो सका है। ठीक उसी तरह ही देश के अन्य हिस्सों में भी ‘एम्स’ बनाए जा रहे हैं। विधान सभा चुनाव को देखते हुए एम्स की तर्ज पर अब महाराष्ट्र में भी मेडिकल कॉलेज खोलने की पुड़ी केंद्र की तरफ से छोड़ी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बकायदा घोषणा की गई है कि देश में ११३, जबकि अकेले महाराष्ट्र में १५ मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाएंगे। लेकिन बीते दस सालों में जिस तरह से मोदी सरकार ने जनता से किए वादों को तोड़ा है, उसे देखते हुए अब इस सरकार के ऊपर से जनता का भरोसा ही टूट चुका है। बता दें कि हर साल देश की करीब साढ़े पांच करोड़ आबादी बीमारी के इलाज पर खर्च की वजह से गरीबी की चपेट में आ जाती है।
गौरतलब है कि कम आय वर्ग वाले परिवार चाहते हैं कि इलाज या तो कम खर्चे में या मुफ्त में हो जाए, जो गलत भी नहीं है। फिलहाल हिंदुस्थान के विभिन्न राज्यों में अब तक कुल २३ एम्स संचालित हैं, जहां उन्हें न सिर्फ किफायती, बल्कि मुफ्त और बेहतर इलाज मुहैया होता है। ऐसे में देश की आम जनता आस लगाए बैठी होती है कि उनके राज्य, जिले, शहर में काश एक एम्स खुल जाता तो उनको घर से दूर पुराने एम्स के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। बता दें कि साल २०१२ तक देश में छह ‘एम्स’ कार्यान्वित थे। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कई एम्स की नींव भी रखी गई थी। इन एम्स अस्पतालों का बाद में उद्घाटन करके मोदी सरकार ने उन पर अपने नाम की मुहर लगा दी। इस तरह अब तक देश के विभिन्न राज्यों में २३ में से २० एम्स शुरू कर दिए गए हैं। बहरहाल, अब नई घोषणा में से ११० मेडिकल कॉलेजों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे और ४३ कॉलेजों में पीजी पाठ्यक्रम की सीटें बढ़ाई जाएंगी। फिलहाल देश में १ लाख ८ हजार ९९० एमबीबीएस सीटें और पीजी की ६९ हजार ६९४ सीटें हैं।

हवा-हवाई रहती हैं केंद्र की योजनाएं
साल २०१४ में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से वादा किया था कि हर राज्य में एम्स का निर्माण किया जाएगा। इस बात को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में भी दोहराया गया था। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस सरकार की सभी योजनाएं केवल हवा-हवाई ही हैं। केंद्र ‘सरकार अपने एम्स’ के वादे को पूरा कर ही नहीं सकी है। ऐसे में अब महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा करके एक बार फिर से लॉलीपॉप देने का काम कर रही है।
-आशीष सिंह, मेडिकल छात्र, मानखुर्द

 

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