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घाती सरकार से महिलाओं की मांग … पैसे नहीं, दो सुरक्षा! …‘लाडली बहन योजना’ के मिले पैसे को लौटाया

-बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ किया अनोखा विरोध

प्रेम यादव / मीरा भायंदर
मीरा-भायंदर की महिलाओं ने एक साहसिक कदम उठाते हुए तहसीलदार कार्यालय में जाकर ‘लाडली बहन योजना’ के तहत मिले पैसे वापस कर दिए। इस अनोखी कार्रवाई का उद्देश्य था सरकार को यह बताना कि हमें पैसे नहीं, बल्कि सुरक्षा चाहिए। महिलाओं की इस ठोस और प्रभावशाली प्रतिक्रिया ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है।
महिलाओं की सुरक्षा में
असफल सरकार पर सवाल
बदलापुर के एक स्कूल में नाबालिग लड़कियों पर हुए यौन अत्याचार ने राज्यभर में सनसनी फैला दी है। यह घटना सिर्फ एक स्थान तक सीमित नहीं रही, बल्कि इससे समाज के हर वर्ग में आक्रोश की लहर दौड़ गई। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार की नाकामी पर सवाल उठाते हुए कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
जिम्मेदारी से बच रही सरकार
इस बीच बुधवार को मीरा-भायंदर में एक अनोखे तरीके से सरकार के प्रति असंतोष जाहिर किया गया। यहां की कुछ महिलाओं ने भायंदर-पश्चिम स्थित अपर तहसीलदार कार्यालय में जाकर ‘लाडली बहन योजना’ से मिले पैसे वापस कर दिए। महिलाओं ने इस बात पर जोर दिया कि पैसे लौटाने का पैâसला किसी दबाव में नहीं, बल्कि खुद के सम्मान और सुरक्षा की चाहत में लिया गया है। एक स्थानीय महिला ने कहा कि सरकार हमें कुछ रुपए देकर हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। हमें पैसे नहीं, हमारी सुरक्षा चाहिए। महिलाओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह महिलाओं को ‘लाडली बहन योजना’ के तहत पैसे देकर उनके वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटका रही है। भायंदर निवासी ममता मिश्रा ने कहा कि यह एक बेहद शर्मनाक स्थिति है। हमें पैसे देकर हमारी चुप्पी खरीदने की कोशिश हो रही है, लेकिन सरकार को यह समझना चाहिए कि पैसा सुरक्षा का विकल्प नहीं हो सकता।

महिलाओं ने सरकार को दिया संदेश
जब महिलाएं अपने पैसे लौटाने के लिए तहसीलदार कार्यालय पहुंचीं, तो तहसीलदार खुद वहां मौजूद नहीं थे। अपर तहसीलदार दिनेश गौड़ ने दावा किया कि उनके कार्यालय में कोई भी महिला पैसे लौटाने नहीं आई थी। इस दावे पर सवाल उठाते हुए स्थानीय नागरिक ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार अपनी गलतियों से बचने के लिए ऐसे बयान दे रही है। महिलाओं ने जो कदम उठाया है, वह न सिर्फ सरकार बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि अब वे जागरूक हो चुकी हैं।

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