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मोदी-शाह के गले की हड्डी बने योगी…यूपी के संगठन व सत्ता में कुछ बड़ा उलटफेर हो सकता है!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

2022 से ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने का कसरत कर रही टीम गुजरात (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) एक बार फिर योगी को हटाने का जोर लगाते दिख रही है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभवन जाकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात किया। सूत्रों ने दावा किया कि विधानमंडल के आगामी सत्र के लिए भेंट कर औपचारिक निमंत्रण दिया। इस समय यूपी की राजनीति को लेकर सत्ताधारी पार्टी में जंग छिड़ी है, उसका असर नीचे तक जा रहा है।
भाजपा कार्यकर्ताओं में अजीब सी हताश निराशा भर गई है, जिससे उबरने के लिए केंद्रीय नेतृत्व कुछ भी करने को तैयार है। लेकिन हर बार की तरह अभी तक उसका पताका फुस्स होता दिख रहा है। भाजपा नेताओं द्वारा ही लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से पिछड़ने और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का बहाना बना कर यूपी में बड़ा परिवर्तन करने का माहौल बना दिया गया है। दो दिन पहले संपन्न हुई प्रदेश कार्यसमिति में योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं के कंधे का इस्तेमाल कर एक-दूसरे पर वार किए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की उपस्थिति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि 2027 में सरकार नहीं बनी तो आज प्रदेश में जो सम्मान मिल रहा है वह नहीं मिलेगा। योगी ने कहा कि अतिआत्मविश्वास में हम 2024 के लोकसभा चुनाव में पिछड़े हैं। राजनैतिक गलियारों में कुछ लोग इसका तात्पर्य यह निकाल दिए कि उन्होंने नड्डा के सामने टीम गुजरात को भी संदेश दे दिया।
अबकी बार 400 पार के नारे ने कार्यकर्ताओं को शिथिल कर दिया, जिसकी आड़ में एक बड़े खेमे ने यह मान लिया कि मोदी तो आ ही रहे हैं, अपने प्रत्याशी का अहंकार तोड़ना जरूरी है। जिसके कारण बहुत प्रत्याशीयों को पराजय का मुंह देखना पड़ा। इसी कार्यसमिति में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि मुझे आपके दर्द का एहसास है, मैं भी कार्यकर्ता हूं। कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है। संगठन से बड़ा कोई नहीं है। केशव के वक्तव्यों का कार्यकर्ताओं ने जम कर समर्थन किया। इस बीच पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, कानपुर के विधायक अभिजीत सांगा, झांसी में विधानपरिषद सदस्य बाबू लाल तिवारी, विधायक रमेश मिश्रा, सदस्य विधानपरिषद देवेंद्र सिंह ने योगी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को निशाना बनाते हुए योगी पर परोक्ष हमला किया।जिसके बाद भाजपा में योगी और केशव का खेमा फिर एक-दूसरे पर आक्रामक हो गया। मंगलवार को केशव मौर्य दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात किए। भूपेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश में हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लिया।
सूत्रों की मानें तो इसके बाद भी टीम गुजरात यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबक सिखाना चाहती है। मोदी-शाह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर शिकंजा कसने के फिराक में है, लेकिन हर बार दांव उल्टा पड़ जाने से फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं। इस बार कार्यकर्ताओं का बढ़ता असंतोष उनके लिए सोने पे सुहागा का काम कर रहा है। जालौन में जिस पुलिस अधीक्षक द्वारा पार्टी के पूर्व विधायक और कार्यकर्ताओं का अपमान करने का आरोप लगा योगी ने उसे जालौन से बड़े जिले गाजीपुर का कप्तान बना दिया, जिससे कानपुर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में गुस्सा है।
भाजपा कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा वर्ग ये आरोप लगा रहा है कि जिस तरह योगी अधिकारियों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। यदि उनका यही रवैया रहा तो 2027 में भाजपा की हार कोई टाल नहीं सकता। यही बात जौनपुर की बदलापुर सीट के भाजपा विधायक रमेश मिश्रा ने भी वीडियो जारी कर कहा था। रमेश मिश्रा को राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल का खासमखास माना जाता है। बंसल 2014 में यूपी के तत्कालीन प्रभारी व वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह के सबसे विश्वसनीय योद्धा माने जाते हैं। चूंकि अमित शाह और मोदी में कोई अंतर नहीं माना जाता है। इससे रमेश मिश्रा के हमले को मोदी-शाह का हमला मान कर देखा जा रहा है।

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