सामना संवाददाता / लखनऊ
केंद्र में नरेंद्र मोदी और यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्ववाली भाजपाई सरकार के आने के बाद से खासतौर पर यूपी में सब कुछ ठीक-ठाक होने का दिखावा भाजपा के लोग उनके भक्त और उनका सोशल मीडिया सेल लगातार करता रहा है। हालांकि वहां आए दिन घटनेवाली सनसनीखेज आपराधिक घटनाओं से यूपी को आदर्श राज्य साबित करने के तमाम प्रयासों की पोल खुल जाती है। कोरोना काल में उपचार, औषधि एवं ऑक्सीजन के अभाव में मरे कोरोना संक्रमितों की गंगा में बहती लाशों के कारण योगी सरकार की पहले ही काफी फजीहत हो चुकी है। अब योगी के राज में खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का एक और मामला उजागर हुआ है। राज्य में लगभग साढ़े १६ करोड़ की दवाइयों का दम गोदाम में पड़े-पड़े ही निकल गया यानी एक्सपायर हो गई। इसका खुलासा राज्य के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक द्वारा की गई छापेमारी में हुआ है।
पहले भी मिली थीं एक्सपायर दवाइयां
गौरतलब हो कि यूपी में एक्सपायर औषधियों के मिलने का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले १२ मई को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक अचानक लखनऊ के डॉ. राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंच गए थे। यहां दवा स्टोर में उन्होंने बड़ी लापरवाही पकड़ी थी। करोड़ों रुपए की २ लाख ४० हजार ६६८ तरह की दवाएं न तो मरीजों को दी गर्इं न उन्हें विभाग को वापस किया गया, पड़े-पड़े एक्सपायर हो गईं । उप मुख्यमंत्री ने इस हीला-हवाली के लिए कड़ी नाराजगी जताई और चिकित्सा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को जांच करने का आदेश दिया था। इसी तरह २६ अगस्त २०२१ को मुजफ्फरनगर में प्रशासनिक अफसरों और ड्रग्स विभाग की टीम ने जिला परिषद में दो मेडिकल एजेंसियों पर छापा मारकर १८ लाख रुपए की एक्सपाइरी दवा पकड़ी थी। साधारण व्यक्ति की तरह राज्य के किसी भी अस्पताल या मेडिकल से संबंधित संस्थान में औचक निरीक्षण के लिए पहुंचनेवाले उप मुख्यमंत्री शुक्रवार को लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित सरकारी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गोदाम पर जायजा लेने पहुंच गए। इस दौरान उन्हें वहां पर १६ करोड़ ४० लाख रुपए से अधिक की दवाइयां एक्सपायर मिलीं, जो अस्पतालों में भेजी ही नहीं गई थीं।
उप मुख्यमंत्री ने कंप्यूटर से डाटा निकलवाकर डिटेल्स को वेरिफाई करने के लिए कंप्यूटर से मिलान करवाया और वीडियोग्राफी कराने के बाद उपलब्ध दस्तावेज भी जब्त किए। गोदाम में मिली अव्यवस्थाओं के बाद उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के पैसे की बर्बादी का हिसाब जिम्मेदार अफसरों से किया जाएगा। करोड़ों रुपए की एक्सपायर दवाइयों को देखकर तत्काल जांच के आदेश देते हुए समिति का गठन किया, वहीं ३ दिनों में जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।