सामना संवाददाता / मुंबई
महंगे कर्ज और महंगी ईएमआई से फिलहाल मुक्ति नहीं मिलने वाली है। यह संकेत भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिया है। उन्होंने कहा है कि आर्थिक माहौल में अस्थिरता और महंगाई दर के ५ फीसदी के करीब होने के चलते ब्याज दरों में कटौती के बारे में कुछ भी बातें करना जल्दबाजी होगी।
एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में शक्तिकांत दास ने कहा, हिंदुस्थान समेत पूरे विश्व में आर्थिक हालात मौजूद समय में अनिश्चित बने हुए हैं। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती को लेकर बात करना ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि खुदरा महंगाई दर अभी भी ५ फीसदी के करीब है और जो सर्वे सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक महंगाई दर ५ फीसदी के करीब बनी रह सकती है। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती को लेकर कुछ भी बात करना जल्दबाजी होगी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मैं कोई गलत गाइडेंस नहीं दूंगा, जिससे मार्वेâट प्लेयर्स, स्टेकहोल्डर्स और दूसरे लोग गलत ट्रेन की सवारी करने लगें। आरबीआई के इस रुख को लेकर गवर्नर ने कहा, इसकी वजह है। आरबीआई ने महंगाई दर को ४ फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय किया हुआ है और फिलहाल महंगाई दर ५ फीसदी के करीब बनी हुई है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि इसमें कमी आएगी और कमी आने भी लगी है। लेकिन महंगाई घटने की रफ्तार बेहद धीमी है। शक्तिकांत दास ने कहा, अगर महंगाई दर के टारगेट के करीब जल्द लाना है तो मॉनिटरी पॉलिसी को और सख्त करना होगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा, हमने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि हमें ग्रोथ और महंगाई के बीच बैलेंस रखना है और धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
४ फीसदी के लक्ष्य से दूर
आरबीआई गवर्नर ने कहा, हम ४ फीसदी के लक्ष्य से काफी दूर हैं। आरबीआई ने ७ जून, २०२४ को जारी की गई मॉनिटरी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं करने का पैâसला लिया था और रेपो रेट को ६.५० फीसदी पर बरकार रखा गया है। १२ जुलाई को खुदरा महंगाई दर के आंकड़े घोषित होंगे, जिस पर बाजार की नजर रहेगी।