तेरी हंसी, मिलती है मुझे, झिलमिलाती धूपों में, लुढ़कती ओसों में
तेरी हंसी,मिलती है मुझे, फूलों के रंगों में यूं ही उमंगों में
तू चाहतों की चादरों में लिपटी,
तू मस्तियों में समाई, यूं सिमटी,
यूं हल्की सी उम्र तले, तेरी अदा
उलझी-उलझी-सी नादानियां तेरी
सहमी-सहमी-सी अंगड़ाइयां तेरी
तेरी हर इक सांसों में, मिल जाना है मुझे
तेरी बातों में आके,
तेरी जज्बातों में आके,
रंग-रंग-सा, यूं धुआं-धुआं-सा
यूं उड़ा-उड़ा-सा मैं,
बस तुझे ही देखकर…।
-मनोज कुमार
गोण्डा, उत्तर प्रदेश