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आप खा रहे हैं कचरा! कृषि मार्केट के कूड़े से चुनकर फुटपाथों पर बिक रहे हैं फल-सब्जियां

मानसून के सीजन में टमाटर सहित कुछ फलों और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिन्हें खरीदना आम आदमी की हैसियत से बाहर हो चुका है। इसी बीच फलों के संदर्भ में कुछ ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर आप न केवल चौंक जाएंगे बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि पैसे के लालच में कुछ लोग किसी की जान के साथ खिलवाड़ करने में जरा भी नहीं हिचकते।
मामला है नई मुंबई के एपीएमसी फ्रूट  मार्केट का, जहां कचरे में फेंके गए फलों को फिर से उठा कर फुटपाथ पर खुलेआम बेचा जा रहा है। हैरत की बात यह है कि इन फलों को खरीदने वालों में अमीर और गरीब दोनों ही वर्ग के लोग हैं। इन फलों को खाने से इंसान बीमार पड़ सकता है। इस बारे में नवी मुंबई महानगरपालिका के हेल्थ ऑफिसर डॉक्टर प्रशांत जवाडे का कहना है कि इन फलों को खाने से गैस्ट्रो, डिसेंट्री, डायरिया, हेपेटाइटिस और टाइफाइड जैसी बीमारियां हो सकती हैं और समय पर इलाज न हो तो इससे जान भी जा सकती है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या महानगरपालिका लोगों की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर आंखें बंद कर बैठी है? क्या एपीएमसी मार्केट के कर्ता-धर्ताओं को इस बात की जानकारी नहीं है? इस बारे में बाजार समिति के अध्यक्ष महेश पानसरे कहते हैं कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि मार्केट से इस तरह के फल उठाकर बेचे जा रहे हैं और यह एक गंभीर प्रश्न है। लेकिन हम क्या कर सकते हैं, हमने इस बारे में महानगरपालिका को कई बार पत्र लिखा, लेकिन वह कोई एक्शन नहीं लेती है! हमारी कोशिश होती है कि हम ऐसे लोगों को मार्केट के अंदर न आने दें जो कचरे से फलों को उठाकर वापस बेचते हैं। अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए वे आगे बताते हैं कि एपीएमसी मार्केट के १० गेट हैं सभी जगह हमारे सिक्योरिटी गार्ड्स हैं लेकिन उनके पास उनको रोकने के अलावा भी बहुत काम है। हमने उन्हें निर्देश दे रखा है कि जब ये लोग अंदर से फल उठाकर ले जाते हैं उनकी चेकिंग करें और बाहर न ले जाने दें। लेकिन हमेशा उन पर नजर रखना संभव नहीं है।
पानसरे कहते हैं कि बड़ी बात तो यह है कि फल एपीएमसी मार्वेâट के भीतर नहीं बल्कि बाहर फुटपाथ पर बेचे जाते हैं जो महानगरपालिका की हद में है। यह मनपा की जिम्मेदारी है कि वे इस तरह से अवैध फल बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।
तो वहीं बाजार समिति अध्यक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए महानगरपालिका के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट उपायुक्त डॉ बाबासाहेब राजाले कहते हैं, ‘हमें एपीएमसी की ओर से कचरा डिस्पोजल को लेकर पत्र भेजे जाते हैं लेकिन एमएसडब्ल्यू २०१६ के तहत एपीएमसी मार्केट की जिम्मेदारी है कि वह उनके मार्वेâट से निकले हुए कचरे का डिस्पोजल खुद करें। १०० किलो से अधिक वेस्ट जनरेट करने वालों की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने कचरे का निपटारा खुद करें। एपीएमसी मार्केट एक प्रॉफिट मेकिंग संस्था है।’
डॉ. राजाले एपीएमसी पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि एपीएमसी अधिकारी इस बात का भी रोना रोते हैं कि उनके पास डिस्पोजल के लिए जगह नहीं है। एपीएमसी के पास जितनी भी जगह है उतने में भी वे नई तकनीक का उपयोग करके कचरे का निपटारा कर सकते हैं लेकिन उन्हें इस बात की कोई चिंता ही नहीं है।
महानगरपालिका के इस तर्क पर पानसरे कहते हैं कि जब महानगरपालिका हमसे प्रॉपर्टी टैक्स लेती है तो यह उसकी जिम्मेदारी है। मनपा जिस तरह वह अन्य सोसाइटियों के गेट से कचरा उठाकर डंपिंग ग्राउंड ले जाती है उसी तरह हमारे मार्केट के गेट से भी कचरा उठाकर डंपिंग ग्राउंड तक ले जाए। लेकिन वह ऐसा नहीं करती, हम खुद अपने कचरे को जमा कर डंपिंग ग्राउंड पर पहुंचाते हैं।
फुटपाथ पर फल बेचने वाले नरेश यादव बताते हैं कि हम कचरे से उठाए फलों को नहीं बल्कि सस्ते में फल खरीद कर गेट के बाहर बेचते हैं लेकिन ऐसे काफी लोग हैं जो कचरे से फलों को उठाकर हमसे भी सस्ते में बेच देते हैं। खरीदने वालों को भी सोचना चाहिए कि वह एकदम सस्ते फल क्यों खरीदते हैं?
इस पूरे मामले को लेकर नई मुंबई महानगरपालिका और एपीएमसी के अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए अपने आप को पाक साफ साबित करने में लगे दिखाई देते है।

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