रोग को रोकने में हो रहा फेल
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र समेत हिंदुस्थान के कई राज्यों में जीका वायरस पहुंच चुका है। अकेले महाराष्ट्र में ही इस वायरस से संक्रमित ५६ मरीज मिल चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप पुणे में देखा जा रहा है। यहां अब तक ५० मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय महाराष्ट्र समेत पूरे देश में वायरस के आंकड़ों को छिपाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ वायरस को लेकर किए जा रहे तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं, क्योंकि रोग को रोकने के लिए हर तरह के प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल २०२४ में जीका वायरस के केवल १३ मामले ही सामने आए हैं। इसमें कर्नाटक में तीन, जबकि महाराष्ट्र में १० मामलों का समावेश है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस साल राज्य में अब तक जीका से ५६ लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें २१ गर्भवती महिलाएं संक्रमित हुई हैं। बताया गया है कि सर्वाधिक ५० मरीज पुणे में दर्ज किए गए हैं। इसके बाद संगमनेर में चार, जबकि सांगली और कोल्हापुर में क्रमश: एक-एक मरीज का समावेश है। रोग की रोकथाम के लिए मौजूदा समय में रोजाना छह हजार से अधिक संदिग्धों के नमूनों की जांच की जा रही है। प्रदेश में अब तक १,२८,२३१ लोगों की जांच की जा चुकी है। इसमें से ९०७ गर्भवती महिलाओं का समावेश है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि महाराष्ट्र में १० मरीजों की जानकारी देकर आखिरकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय क्या छिपाने की कोशिश कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निवारक गतिविधियों जैसे घरेलू प्रजनन जांचकर्ताओं का प्रावधान, आशा, कीटनाशक, फॉगिंग मशीनों की भागीदारी, प्रशिक्षण सहायता, जागरूकता गतिविधियां आदि के लिए बजटीय सहायता प्रदान की जा रही है।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए बताया है कि मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।