बीती 4 जून को आईपीएल में आरसीबी की ऐतिहासिक जीत के बाद बेंगलुरु में हुए विजय जश्न के दौरान 11 परिवारों में मातम छा गया। इस समारोह के दौरान स्टेडियम के बाहर भगदड़ मच गई और इस घटना में 11 लोगों की जान चली गई। अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंचे थे। लेकिन अचानक भगदड़ मचने से बड़ी दुर्घटना हो गई लोग मरे और घायल हो गए। इस घटना को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं जिसमें सुरक्षा एजेंसियां घिरती नजर आ रही है। लेकिन सवाल यही है कि क्या किसी भी खेल या खिलाड़ियों के लिए फैन्स का इतना पागलपन होना चाहिए? अक्सर कई बार देखा जाता है कि लोग अपने पसंदीदा खिलाड़ी या कलाकार को देखने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। देश में हर वर्ष भीड़ में हुई घटनाओं को लेकर अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसी स्थिति तीर्थ स्थलों में भी देखने को मिलती है। ऐसी घटनाओं से दो तरह की बातें समझ में आती है कि सबसे पहले तो यह सुरक्षा के इंतजाम की विफलता है जो क्षमता से अधिक लोगों को किस आधार पर अनुमति दे देती है। वहीं दूसरा व अहम बिंदु यह है कि लोगों का पागलपन उनके ऊपर ही भारी पड़ जाता है और नौबत यह आ जाती है कि वह जिंदगी को इतना सस्ता मान लेते हैं कि वह फ्री में खर्च हो जाते है। हमारे देश में क्रिकेट को पूजा जाता है और इसको हर आयु वर्ग का व्यक्ति पसंद करता है। आज क्रिकेट कई तरह के फॉर्मेट में खेला जाता है लेकिन आईपीएल जैसा खिताब जो पूरी तरह से एक कमर्शियल है बावजूद लोग इसमें अपना एहसास ऐसा जोड लेते हैं जैसे भारत-पाकिस्तान का मैच हो। आज लोग किसी भी चीज में मनोरंजन ढूंढने लगते हैं और अपनी भावनाओं पर काबू नही पा पाते। लेकिन ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए किसी भी खेल को खेल तरीके से ही लेना चाहिए और भीड-भाड वाली जगह से बचना चाहिए चूंकि कुछ भी आपकी जान से कीमती व शौकियाना नही हो सकता। जरा सोचिए जिन लोगों की जानें गई हैं,उनके परिजनों का क्या होगा? किसी के घर का चिराग तो किसी का इकलौता चला गया तो किसी का घर का निर्वाह करने वाला चला गया। आखिर इतनी भावुकता किस लिए और किसके लिए? इससे पहले भी कई ऐसे स्पोर्ट हादसे हुए हैं जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। पेरू के लिमा शहर में अर्जेंटीना और पेरू के बीच टोक्यो ओलंपिक के फुटबॉल का क्वालीफाइंग मैच चल रहा था। मुकाबले में पेरू के प्लेयर्स ने आखिरी मिनटों में गोल दागा। जिसे रेफरी ने गलत कहा और होम टीम को गोल नहीं दिया। रेफरी के फैसले से नाराज फैंस ने हिंसा की और उसमें 328 लोगों की मौत हुईं थी।इसके अलावा कंजुरुहान स्टेडियम में अरेमा क्लब और परसेबाया सुरबाया के बीच फुटबॉल मैच खेला गया। हजारों दर्शक स्टेडियम में मौजूद थे लेकिन ज्यादातर फैंस अरेमा टीम के पहुंचे, लेकिन पर्सेबाया ने होम टीम को 3-2 से हरा दिया। 2 दशक में पहली बार अरेमा को पर्सेबाया से हार मिली। यह फैंस को बदार्शत नही हो पाया और फैंस ने ग्राउंड के बाहर पुलिस की कई कारों में आग लगा दी, भगदड़ बढ़ती गई, जिसमें 174 की मौत हो गई। 9 मई 2001 को घाना में फुटबाल के एक मैच के दौरान फैंस नाराज हो गए थे जिससे 126 लोगों की मौत हो गई थी। 15 अप्रैल 1989 को इंग्लैंड में एक फुटबॉल मैच के दौरान 96 लोगों की मौत हुई थी। 16 अगस्त 1980 को कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच फुटबॉल मैच हुआ जिसमें 16 की मौत हुई थी। इसके अलावा भी दुनिया में तमाम स्पोर्टस हादसे हो चुके हैं लेकिन किसी भी व खेल प्रेमियों ने सबक नही लिया। माना कि हमारे देश में क्रिकेट एक जूनून है लेकिन उस जूनून से हम अपनी अपनी जान की परवाह न करें तो ऐसा तो नही होना चाहिए। किसी भी खेल,खिलाड़ी या कलाकार के हैं लेकिन इस बात से इतना पागल होना कि आप अपनी कीमत ही भूल जाएं तो यह केवल एक मूर्खता ही समझी जाएगी। हाल ही में हुए आरसीबी की जीत के हादसे पूरा देश गम में डूबा। जितना बड़ा जश्न था उससे बडा गम हो गया और उसका कोई उस खिताब की जीत को एंजॉय नही कर पाया। इस घटना को लेकर विराट कोहली ने सोशल मीडिया पर कहा कि मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं। पूरी तरह से टूट गया हूं। कोहली ने हार्टब्रेक का इमोजी भी बनाया। पूर्व बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर कहा जो हुआ वह दुखद है। पूर्व तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ ने कहा कि भगदड़ दिल दहलाने वाली है। युवराज सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा जश्न का क्षण, त्रासदी में बदल गया। आरपी सिंह ने भी दुख जताया है। इसके अलावा भी कई बड़े दिग्गजों की इस घटना को लेकर प्रतिक्रिया आ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस घटना को लेकर दुख जताया है। यह हादसा बडे स्पोर्टस हादसे में शामिल हो गया और हर किसी को विचलित कर गया। कहते हैं कि हर घटना से सबक लिया जा सकता है और हम इस तरह के हादसों से सबक ले पाए तो आने वाले समय में हादसों से बचा जा सकता है। किसी भी खेल की कीमत उससे जुडे फैंस से होती है यदि आप ही इस तरह की घटनाओं को अंजाम देंगे तो काम कैसे चलेगा। बहुत तकलीफ होती है जब भी लोग बेमौत मारे जाते हैं। अप्राकृतिक मौत से परिजनों का जीवन पूरी दूभर हो जाता है इसलिए अपनी भावनाओं को उतना झलकाओ जिससे आपकी जिंदगी पर कोई बात न आए। इस घटना से हर कोई दुखी है और कैसे इस दुख का बंया करें समझ नही आ रहा लेकिन भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों व हमें ध्यान रखना होगा।
योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार