रोखठोक

रोखठोक : कब्र के औरंगजेब को किया जिंदा!

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक औरंगजेब चार सौ सालों से कब्र में आराम कर रहा है। उस कब्र पर महाराष्ट्र में दंगे भड़काए गए। नागपुर का चुनाव...

रोखठोक : देश `हिंदू पाकिस्तान’ की दिशा में!

संजय राऊत- कार्यकारी संपादक मोदी-शाह का राज एक दिन जाएगा, लेकिन जाते-जाते वे देश को टुकड़ों में बांटकर जाएंगे। पिछले दस सालों में भारत में...

रोखठोक : सभी मुगलों से मिल रहे हैं … दिल्ली में महाराष्ट्र की बेइज्जती

  संजय राऊत दिल्ली में मराठी साहित्य सम्मेलन और महाराष्ट्र में मराठी भाषा गौरव दिवस मनाया गया, लेकिन इन सबमें मराठी लोगों का स्वाभिमान, गुरूर खो...

रोखठोक : दिल्ली में साहित्य सम्मेलन का सियासी कुंभ … मराठी को क्या मिला?

संजय राऊत -कार्यकारी संपादक दिल्ली में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन चल रहा है। देश की राजधानी में यह सम्मेलन होना खुशी की ही बात...

रोखठोक :  …और सपना बिखर गया!

संजय राऊत- कार्यकारी संपादक दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार का मतलब एक स्वप्न की मौत है। आदर्शवाद, नैतिकता, भ्रष्टाचारमुक्त शासन का सपना लेकर...

रोखठोक : भैंसे का सींग और मोदी का गंगास्नान! … बहका हुआ भारत देश

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक प्रधानमंत्री मोदी ने गंगास्नान का मुहूर्त निकाला भी तो दिल्ली विधानसभा चुनाव के दिन। चुनाव कोई भी हो, मोदी माथे पर भस्म...

फडणवीस-शिंदे के बीच मतभेद…बहुमत के बावजूद राज्य अस्थिर

संजय राऊत `महाराष्ट्र में भाजपा और उसके सहयोगियों को प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद राज्य आगे बढ़ता नजर नहीं आ रहा है, जिसकी वजह मुख्यमंत्री...

इंदिरा गांधी कौन हैं?

संजय राऊत इंदिरा गांधी एक असामान्य व्यक्तित्व थीं। पंडित नेहरू के बाद, वह इंदिरा गांधी ही थीं जिन्होंने आज के भारत की नींव रखी। अभिनेत्री...

रोखठोक : नमक हरामों की हवेली!

संजय राऊत -कार्यकारी संपादक कंगना रनौत कहती हैं, मोदी प्रधानमंत्री बनकर आए और तभी से देश में आजादी की सुबह हुई। सरसंघचालक ने शंखनाद किया...

रोखठोक : मस्जिदों की खुदाई किसलिए?… बीड की कब्र पहले खोदो!

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक मुख्यमंत्री फडणवीस को बीड जिले के मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। सरपंच देशमुख की हत्या की गाज उनके एक मंत्री पर...

रोखठोक :  शिमला : तब का और अब का! …स्वर्ग ऐसा भी होता है!

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक ब्रिटिशकाल में भारत में कई ‘हिल स्टेशन' स्थापित किए गए। शिमला इन सबसे अलग है। शिमला अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी, लेकिन...

रोखठोक : अधर्म का वर्ष ढल गया! …२०२५ सत्य की जीत का वर्ष!!

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक लोकतंत्र और स्वतंत्रता को कमजोर करने वाले वर्ष के रूप में २०२४ को दर्ज किया जाएगा। चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट को नियंत्रित...

रोखठोक : हमारा लोकतंत्र, कंगाल हो गया!

संजय राऊत भारत में लोकतंत्र के गौरवशाली दिन खत्म हो गए हैं। एक समय भारतीय लोकतंत्र दुनिया में एक प्रकाशस्तंभ की तरह खड़ा था। पिछले...

रोखठोक : मुंबई में मराठी माणुस का पतन … स्वाभिमान से जीने की चोरी

संजय राऊत - कार्यकारी संपादक विधानसभा चुनाव के नतीजे मुंबई से मराठी लोगों का पतन करनेवाले हैं। मुंबई में मराठी नहीं बोल पाएंगे। क्योंकि अब...

रोखठोक : शांति! ईवीएम गर्भवती है!

संजय राऊत -कार्यकारी संपादक विजय के सौ पिता होते हैं। पराजय लावारिस होती है। महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के बाद एक गूढ़ और भयानक शांति...
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