मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : मोदी का झूठा प्रचार ...महाराष्ट्र में पानीपत निश्चित!

रोखठोक : मोदी का झूठा प्रचार …महाराष्ट्र में पानीपत निश्चित!

संजय राऊत- कार्यकारी संपादक

मोदी लहर का बुलबुला लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में ही फूट चुका है इसलिए विश्वगुरु मोदी अपने प्रचार में ‘मुसलमान आपके मंगलसूत्र छीन लेंगे’ का मुद्दा ले आए। इसका मतलब है कि मोदी के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। पहले दोनों चरणों में मोदी के पूरी तरह से पिछड़ने की तस्वीर दिखाई दे रही है।

लोकसभा चुनाव प्रचार का दूसरा चरण खत्म हो गया है और नरेंद्र मोदी के पास प्रचार के सभी मुद्दे खत्म हो गए हैं। ऐसे में देश की महिलाओं के मंगलसूत्र का क्या होगा? यह सवाल उन्होंने निर्मित किया। मोदी का यह प्रचार असल में ढोंग और धोखाधड़ी है। मोदी ने अब तक कभी भी मंगलसूत्र के पवित्र बंधन को न स्वीकार किया और न सम्मान दिया, लेकिन अब वही मोदी चुनाव जीतने के लिए मंगलसूत्र पर उपदेश देते नजर आ रहे हैं। पहले चरण का चुनाव मोदी के हाथ से निकल गया और इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि उनका बेतुका प्रचार दूसरे चरण में भी काम आएगा। देश में बदलाव हो रहा है और महाराष्ट्र भी उस बदलाव में भागीदार बनता दिख रहा है। रामटेक, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर में १९ अप्रैल को मतदान हुआ था। २६ अप्रैल को बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल, वाशिम, हिंगोली, नांदेड़, परभणी में मतदान हुआ। इन दोनों चरणों में भाजपा पिछड़ गई है। मोदी के ‘चार सौ पार’ के स्वप्न को पहले दो चरणों में ही महाराष्ट्र में सेंध लग गई है। अगले तीनों चरणों में इससे भी बड़े झटके लगेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने प्रचार के लिए सबसे ज्यादा सभाएं महाराष्ट्र में कीं लेकिन मोदी की सभाओं का कहीं पर भी प्रभाव नहीं पड़ा और अमित शाह की सभाओं पर मतदाताओं ने ध्यान नहीं दिया। ‘मोदी की लहर अब नहीं रही। अब हमें अपने दम पर ही लड़ना होगा।’ ऐसा मत अमरावती से भाजपा उम्मीदवार सौभाग्यवती राणा ने व्यक्त किया है। आज महाराष्ट्र में ऐसा माहौल है कि मोदी-शाह का कोई नाम भी ले ले तो लोग नाराज हो जाते हैं।

हार निश्चित है!
नरेंद्र मोदी की हार निश्चित है और इसी डर से वे अपने विरोधियों के बारे में बेतुके बयान दे रहे हैं। जब मोदी कमजोर पड़ जाते हैं तो अमित शाह अगला सुर छेड़ देते हैं। ‘अगर केंद्र में कांग्रेस की सत्ता आई तो अधिक बच्चों वाले ‘घुसपैठियों’ को संपत्ति का वितरण किया जाएगा। महिलाओं के मंगलसूत्र छीन लिए जाएंगे।’ ऐसा एक बयान प्रधानमंत्री मोदी ने दिया है। प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति के पास प्रचार के लिए हिंदू-मुसलमान के अलावा और कोई मुद्दा न हो व ऐन प्रचार में वोटों के लिए धार्मिक प्रचार करना पड़े तो ये उनकी मानसिक स्थिति का परिचायक है। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहीं भी संपत्ति बांटने का, मंगलसूत्र का जिक्र नहीं है। फिर भी श्री. मोदी बेधड़क झूठ बोल रहे हैं। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के आड़े पुत्रप्रेम और कन्याप्रेम आ गया। इसी वजह से उनकी पार्टी टूट गई, ऐसा बयान अमित शाह किस आधार पर देते हैं? अपनी कुंठा को शांत करने के लिए मोदी-शाह ने महाराष्ट्र पर अपने द्वेष के कारण शिवसेना और राष्ट्रवादी का विभाजन कर दिया और परिवारों को तोड़ दिया। भाजपा के राजनीतिक ह्रास से राजनीतिक तालमेल भी नहीं बचा और अब सेज पर कोई भी चलेगा, ऐसी उनकी स्थिति महाराष्ट्र में हो गई है। महाराष्ट्र में राज ठाकरे भाजपा के नए डार्लिंग बन गए, लेकिन इससे उत्तर प्रदेश-बिहार में उन्हें नुकसान होगा! अशोक चव्हाण और अजीत पवार को साथ लेने से महाराष्ट्र में भाजपा को कोई लाभ नहीं होगा। अजीत पवार के गुट को लोकसभा की एक भी सीट नहीं मिलेगी। बारामती में सुनेत्रा पवार और रायगढ़ में सुनील तटकरे बुरी तरह हार रहे हैं। क्या एकनाथ शिंदे का राजनीतिक अस्तित्व भी लोकसभा चुनाव के बाद रहेगा? यह प्रश्न है। शिंदे के हिस्से में १६ सीटें आर्इं। उनके पांच सांसदों की उम्मीदवारी को भाजपा ने खारिज कर दिया। असली शिवसेना कहनेवालों की यह अवस्था है! ठाणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर भाजपा ने दावा ठोक दिया और शिंदे कुछ नहीं कर पाए। भाजपा ने यही कोशिश उद्धव ठाकरे के मामले में भी की थी। हर बार उद्धव ठाकरे मजबूती से खड़े रहे।
अजीत पवार और एकनाथ शिंदे से किसी स्वाभिमान की उम्मीद नहीं की जा सकती।

घराने खत्म हो जाएंगे
मुसलमान और आंबेडकर विचारधारावाले मतदाता पूरी तरह से महाविकास आघाड़ी के पीछे खड़े हैं, यह तस्वीर आशाजनक है। श्री. प्रकाश आंबेडकर ने कुछ सीटों पर अपने वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन उन्हें २०१९ की तरह मुसलमानों का समर्थन नहीं मिलेगा। क्योंकि देशभर का मुस्लिम मतदाता ‘इंडिया’ गठबंधन के पीछे ख़ड़ा है और एमआईएम जैसे मुस्लिम वोटों के ठेकेदार इस बवंडर में बह जाएंगे। इस चुनाव में रामदास आठवले का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म होता नजर आ रहा है। ऐसे में आठवले की चार पंक्तियां भी बंद हो गई हैं। २०१९ के चुनाव में महाराष्ट्र के कई घरानों और जागीरदारों के नतीजे देखने को मिलेंगे। दक्षिण नगर निर्वाचन क्षेत्र में नीलेश लंके जैसा एक गरीब उम्मीदवार विखे-पाटील को पराजित करेगा, यह तय है। नासिक में भुजबल पहले ही पीछे हट गए हैं। बारामती में सुनेत्रा अजीत पवार का कुछ भी चल नहीं पाएगा। कल्याण-डोंबिवली निर्वाचन क्षेत्र में मुख्यमंत्री के बेटे श्रीकांत शिंदे पर हार का साया मंडरा रहा है। सातारा के ‘राजा’ के लिए राह आसान नहीं है और कोल्हापुर में शाहू महाराज का चुनाव एकतरफा हो रहा है। विजयसिंह मोहिते पाटील और उनका परिवार एक बार फिर शरद पवार के साथ आ गया है। इसलिए सोलापुर में प्रणीति शिंदे और ‘माढ़ा’ निर्वाचन क्षेत्र में राष्ट्रवादी के धैर्यशील मोहिते विजयी होंगे। भारतीय जनता पार्टी को इस तरह कई निर्वाचन क्षेत्रों में भारी हार का सामना करना पड़ेगा। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी को ३० से अधिक सीटें सहज मिल जाएंगी। मोदी और शाह की सभाओं व प्रचारों का पटाखे फुसके ही निकले। कोकण में खुद मोदी भी खड़े हो जाएं तो भी शिवसेना के ही उम्मीदवार जीतेंगे। नारायण राणे रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग में कम से कम दो लाख वोटों से हारेंगे, ये अभी से तय है। उद्धव ठाकरे कोकण में आकर मोदी की आलोचना करके दिखाएं, ऐसा ओछा आह्वान श्री. राणे कर रहे हैं। राणे और उनके बेटे को शिवसेना ने तीन बार कोकण में ही हराया। कोकणी जनता को कभी भी मोदी से प्रेम नहीं था। इसलिए राणे जितना ‘मोदी-मोदी’ करेंगे, उतना ही उनको फटका बैठेगा। पूरे राज्य में मोदी विरोधी वातावरण है। महाराष्ट्र ने हमेशा देश को दिशा दिखाई है। वह दिशा इस बार भी महाराष्ट्र ही दिखाएगा।

जांच एजेंसियों का निजीकरण
दो चुनावी सत्रों में भाजपा द्वारा पुरस्कृत जांच एजेंसियों ने अजीत पवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया। सिंचाई घोटाला, शिखर बैंक घोटाला के आरोप खुद प्रधानमंत्री मोदी ने लगाए थे। इसका मतलब यह है कि मोदी और उनके लोग विपक्ष पर झूठे आरोप लगाते हैं। चुनाव जीतने के लिए जांच एजेंसियों का यह दुरुपयोग और निजीकरण खतरनाक है। फर्जी जाति प्रमाणपत्र भाजपा में जाते ही सच साबित हो गए, ऐसा आश्चर्य भी घटित हुआ है। भाजपा ने जो-जो किया, वो सारा घोटाला इस चुनाव में उन पर ही उलटकर सामने आएगा, ऐसा माहौल है। राष्ट्रीय स्तर पर मोदी-शाह और महाराष्ट्र में फडणवीस-शिंदे-अजीत पवार का राजनीतिक पानीपत (पतन) इस चुनाव में हो रहा है।
किए गए पापकर्मों का फल तो भोगना ही पड़ता है। यह चुनाव उसी के लिए है!

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