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नमस्ते सामना

राख

धूप जले अगरबत्ती जले कर्पूर जले जले लोबान कपास, काष्ठ , कोयला जले जल कर बनते राख। झोंपड़ी,घर, प्रसाद जले दावानल जला दे कानन बचती अंत में राख जिसे पवन उड़ा कर देती बिखरा। कह...

चल रही है जिंदगी।

चल रही है जिंदगी। अब क्या कहें हम आपसे।। क्या हुआ कैसे हुआ। अब क्या कहें हम आपसे।। रास्ते में ठोकरें हरदम हमें लगती रहीं। हादसा कैसे हुआ यह क्या बताएँ...

करवा चौथ पर सुहागिन की प्रार्थना

डॉ कनक लता तिवारी चाँद देखता धरती को मैं तकू चांद की ओर l दर्शन को प्यासे नैना यूँ जैसे चन्द्र चकोर ll पर्व सुहाग का आज है आया साजन...

तेरा साथ 

  हाथों में तेरा हाथ रहे, जवां इश्क़ महफूज रहे, कहानियाँ ख़त्म कर देना अपनी शिकवे-शिकायतों और अनकही रुसवाइयों की, दिल के आशियाने मे अब खुबसूरत यादों को ही सजा कर रखा...

करवा चौथ पर विशेष रचना : शरद चाँदनी

प्रभुनाथ शुक्ल तुम शरद की धवल चाँदनी मैं तेरा शीतल चंचल चंदा हूँ हरसिंगार की तुम मादकता मैं तेरे जुड़े का सुंदर बेला हूँ तुम मेरे जीवन सरिता की अधखिली...

भस्म करो अत्याचार

भस्म करो अत्याचार बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शाते हैं पर्व-त्योहार क्यों नहीं रोज आते हैं त्योहार? साल भर बेचैन हो, करते हम इनका इंतजार चंद लम्हे खुशियां...

बदरंग

यह मुमकिन नहीं गुलिस्तां में हमेशा हर रंग बरकरार रहे, कभी बारिश, कभी हवा कभी वक्त अपनी रंजिश निकाल लेते हैं। तितलियों के पंखों से झड़ते रंग देखें, फिर...

नफरत

वे लड़, कट और मर रहे हैं भीड़ और शोर में खप रहे हैं वे अंधे, गूंगे और बहरे हो गए हैं। मुल्क के घाव अब गहरे...

यामा

सलोनी, सांवली, सुंदरी यामा ओढ़ चुनरी तारों वाली कोमल पांवों में पहन पायल जगमग जुगनू वाली। चंद्रिका बनी पथ प्रदर्शक विपिन महके मंद समीर अभिसारिका सी चंचल यामा इत-उत झांके हो...

उजाले हो

सबके पास उजाले हो मानवता का संदेश फैलाते, मस्जिद और शिवाले हो। नीर प्रेम का भरा हो सब में, ऐसे सब के प्याले हो।। होली जैसे रंग हो बिखरे, दीपों...

चोरी चुपके से…

तू आती क्यूं है ऐसे में बेवजह-सी कभी नींदों की खिड़की खुल जाती है, जरा-सी कभी मस्तानी हवाएं यूं तेरी महकी खबरें यूं ले आती हैं, जरा-सी बोलना चाहूं जो मिलना...

युद्ध

शहर का वह पॉश इलाका था खूसूरत पार्क, रेस्टोरेंट और मॉल मुफ्त इलाज का वह अस्पताल बच्चों का स्कूल और गार्डेन लोग इसी पार्क में मॉर्निंग वॉक करते...

घमंड 

घमंड में जो समझते हैं खुद को बादशाह दूसरे के दर्द के प्रति होते वही लापरवाह। जीते जी होता जिनका जग में तिरस्कार मरने के बाद होता...

मेहनतकश : शिक्षक पिता के आदर्शों पर चलकर कर रहे हैं समाज सेवा

अशोक तिवारी कहते हैं कि इंसान के सर्वप्रथम गुरु उसके माता-पिता होते हैं। माता-पिता अपने बच्चों में जैसे संस्कार डालते हैं बच्चे भी जीवन में...

माता-पिता की कातिल निकली बेटी…बाप को दिया जहर…मां को चाकू से गोदा…लाश के साथ बिताए चार साल

संदीप पांडेय माता-पिता का रिश्ता अनमोल होता है। माता-पिता अपने बच्चों को बड़े प्यार और दुलार से पालते हैं। कोई भी बच्चा अपने माता-पिता के...

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