धूप जले
अगरबत्ती जले
कर्पूर जले
जले लोबान
कपास, काष्ठ , कोयला जले
जल कर बनते राख।
झोंपड़ी,घर, प्रसाद जले
दावानल जला दे कानन
बचती अंत में राख
जिसे पवन उड़ा कर
देती बिखरा।
कह...
चल रही है जिंदगी।
अब क्या कहें हम आपसे।।
क्या हुआ कैसे हुआ।
अब क्या कहें हम आपसे।।
रास्ते में ठोकरें हरदम
हमें लगती रहीं।
हादसा कैसे हुआ
यह क्या बताएँ...
हाथों में तेरा हाथ रहे,
जवां इश्क़ महफूज रहे,
कहानियाँ ख़त्म कर देना
अपनी शिकवे-शिकायतों
और अनकही रुसवाइयों की,
दिल के आशियाने मे अब
खुबसूरत यादों को ही
सजा कर रखा...
प्रभुनाथ शुक्ल
तुम शरद की धवल चाँदनी
मैं तेरा शीतल चंचल चंदा हूँ
हरसिंगार की तुम मादकता
मैं तेरे जुड़े का सुंदर बेला हूँ
तुम मेरे जीवन सरिता की
अधखिली...
भस्म करो अत्याचार
बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शाते हैं पर्व-त्योहार
क्यों नहीं रोज आते हैं त्योहार?
साल भर बेचैन हो, करते हम इनका इंतजार
चंद लम्हे खुशियां...
यह मुमकिन नहीं गुलिस्तां में
हमेशा हर रंग बरकरार रहे,
कभी बारिश, कभी हवा कभी वक्त
अपनी रंजिश निकाल लेते हैं।
तितलियों के पंखों से झड़ते रंग देखें,
फिर...
तू आती क्यूं है ऐसे में बेवजह-सी
कभी नींदों की खिड़की
खुल जाती है, जरा-सी
कभी मस्तानी हवाएं यूं
तेरी महकी खबरें यूं
ले आती हैं, जरा-सी
बोलना चाहूं जो
मिलना...