मुख्यपृष्ठनमस्ते सामना

नमस्ते सामना

रविवार के अंक नमस्ते सामना में प्रकाशित पाठकों की रचनाएं

माता ब्रह्मचारिणी दुर्गा का दूसरा रूप सलोना, ब्रह्मचारिणी माता कहलाई। कानों में कुंडल हाथ कमंडल श्वेतवसन में माता सुहाई।। दाहीन हाथ में जप की माला बाएं हाथ...

बीओसी रजिस्ट्रेशन के बिना हो रहे निर्माण को रोकें

मैं `दोपहर का सामना' के माध्यम से पालघर के जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारियों का ध्यान बोईसर के अवधनगर, धोड़ीपूजा, भैयापाड़ा में ‘बिल्डिंग एंड अदर...

जहरखुरानी गिरोह पर शिकंजा कसें

मैं `दोपहर का सामना' के माध्यम से मीरा-भायंदर, वसई-विरार के पुलिस आयुक्त मधुकर पांडे का ध्यान शहर में हो रही जहरखुरानी की घटनाओं की...

शनिवार को प्रकाशित नमस्ते सामना में पाठकों की रचनाएं

मेरी माता रानी! जब माता रानी है मेरी निगाहों में फिर क्या टिकेगा कोई मेरी राहों में जब माता रानी है मेरी आहों में फिर क्या टिकेगा दुख...

नमस्ते सामना : ब्रिज के पास कूड़े का लगा अंबार

मैं ‘दोपहर का सामना’ के माध्यम से कल्याण महानगरपालिका का ध्यान कल्याण (पश्चिम) में ब्रिज के बगल में पड़े कूड़े की तरफ दिलाना चाहता...

नमस्ते सामना : सड़क पर स्पीड ब्रेकर बनाया जाए

मैं ‘दोपहर का सामना’ के माध्यम से संबंधित विभाग का ध्यान वाल्केश्वर बाणगंगा तालाब रोड की तरफ दिलाना चाहता हूं। यहां पहले स्पीड ब्रेकर...

नतीजे

नतीजे आने लगे हैं लोग बुदबुदाने लगे हैं। जो किए हैं । फल पाने लगे हैं । अब तो कुछ लोग कड़ुवाहट गाने लगे हैं । पछताने लगे हैं । मगर वे जो अंधे हैं सकपकाने लगे...

 शहीदों को समर्पित आदरांजलि 

ये  वीर  जवान  जो शहीद'  हुए 'शहादत से मुलाकात' कर गए, वतन  पे  मिटने वाले 'इबादत' की बात कर गए. सुनी-अनसुनी वक्त के मंच पर एक 'कथा...

गुड़ी-पाड़वा विशेष: बधाई हो!

`गुड़ी-पडवा' पर हर तरफ छाया हर्ष है, बधाई हो सबको शुरू हुआ हमारा नववर्ष है। हर घर-संस्थान ने `गुड़ी' प्रतिष्ठित की है, सदियों की परम्परा की अभिव्यक्ति...

पाठकों की रचनाएं : आओ आज सीखते हैं

कैसे सीमेंट बनाएं चूना पत्थर डाल क्रशर में, छोटा पीस बनाएं। लैटेराइट के चूरे को, तोड़-तोड़कर लाएं।। आयरन ओर, एल्मुना, सिलका, उचित रखें अनुपात। पीसें खूब इन्हें रॉ मिल में, तभी बनेगी...

पाठकों की रचनाएं : पूजा का सामान चाहिए

पूजा का सामान चाहिए। दुनिया भर का ज्ञान चाहिए।। व्यक्तिवाद से ऊपर उठकर। सामूहिक सम्मान चाहिए।। उम्मीदों में जीने वाला। हंसता हुआ किसान चाहिए।। उत्साहों से भरा हुआ यह। प्यारा हिंदुस्थान...

पाठकों की रचनाएं : `मैं कवि, तुम वैज्ञानिक’

मन हमारा, हमारे पास है, हमारे शरीर में ही उसका वास है। चांद हमसे बहुत दूर है, ३८४,४०० किमी. दूर है। फिर भी मन के पास है, एक पल...

पाठकों की रचनाएं : गाना गाने वालों आओ

गाना गाने वालों आओ। अपना ढोल मंजीरा लाओ।। काफी शोर हुआ दिल्ली में। उसका थोड़ा अंश सुनाओ।। किसने सारा माल उड़ाया । आज इशारे में समझाओ।। चुप रहने का काम...

पाठकों की रचनाएं : ‘आई नवरात्रियां’

आई नवरात्रियां, माताजी की रात्रियां! चैत्र मास की नवरात्रियां, जगराते की रात्रियां! ढोल मंजीरे ले आओ, आज माता का जगराता है... माता की भेंटें गाओ! सब के सब आ जाओ, चोले को...

रविवार सामना के नमस्ते सामना में प्रकाशित पाठकों की रचनाएं

दिव्यांग अहा! कौन यह आता झुक-झुक, किए हाथ में लकुटी; मत हम ताने इसे देखकर घृणा भाव में भृकुटी। यह तो है प्रकृति का मारा, बना दया का पात्र; और नहीं...

अन्य समाचार