मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : राजा नंगा हो गया है!

रोखठोक : राजा नंगा हो गया है!

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक

देश में पिछले दस वर्षों से रंगदारी वसूली का राष्ट्रीय रैकेट चल रहा था। मुंबई के ‘अंडरवर्ल्ड’ की तरह जबरदस्त हफ्तावसूली से भाजपा ने आठ हजार करोड़ रुपए हासिल किए। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से आपराधिक स्वरूप का पैसा भाजपा के खाते में आया। वो मोदी-शाह के कारण आया। उसी आपराधिक पैसों से उनकी राजनीति चल रही है। सबसे पहले इनके खिलाफ ‘मनी
लॉन्ड्रिंग’ एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए और इस खेल का अंत होना चाहिए।

२०२४ का लोकसभा चुनाव घोषित हुआ, लेकिन यह चुनाव साधारण नहीं है। रूस में पुतिन ने चुनाव का तमाशा बनाया, लेकिन पुतिन द्वारा कराया गया चुनाव खुद को विजयी घोषित करने के लिए ही था। भारत के ‘पुतिन’ भी वही करने की राह पर हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी (निधि) नकदी घोटाले का पर्दाफाश करके भारतीय पुतिन पार्टी को पहला झटका दे दिया है। शिवाजी पार्क में ‘इंडिया’ गठबंधन का जोरदार सम्मेलन हुआ, जिसमें राहुल गांधी ने कहा, भारतीय पुतिन की जान ‘ईवीएम’ में अटकी हुई है। राहुल गांधी ने कहा, ‘मोदी एक मुखौटा हैं, उनके पीछे एक शक्ति है। उस शक्ति से हमें लड़ना होगा।’ इस पर मोदी ने कहा, यह तो हिंदुत्व का, नारी शक्ति का अपमान है। भारत का पुतिन पक्ष मनोरोगी है। गांधी ने कहा कि मोदी के पीछे धनशक्ति है, ये शक्ति अघोरी है। लेकिन खुद को विष्णु अवतार आदि मानकर घूमनेवालों को गांधी के शक्ति हमले का झटका लगा और उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ दुष्प्रचार शुरू कर दिया। उस झूठे प्रचार तंत्र के पीछे भी कोई शक्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बॉन्ड घोटाले का खुलासा करके भारतीय लोकतंत्र पर एहसान किया है। न्या. चंद्रचूड के इस उपकार को जनता कभी नहीं भूलेगी।
पैसा ही पैसा!
मैं देश में भ्रष्टाचार को खत्म करके एक स्वच्छ और पारदर्शी शासन करूंगा, ऐसा वचन २०१४ के चुनाव से पहले मोदी ने दिया था, लेकिन वह झूठ निकला और मोदी ही भ्रष्टाचारियों के सरताज निकले। एक उद्योगपति अडानी को मोदी ने देश के सभी मौके की जमीनें, उद्योग, सार्वजनिक उपक्रम बेच दिए और अडानी की ही आर्थिक अघोरी शक्ति मोदी के पीछे है। मुंबई में एक समय ‘अंडरवर्ल्ड’ जिस प्रकार वसूली, हफ्ता उगाही करता था, उसी प्रकार मोदी की पार्टी ने देश के उद्योगपतियों को धमकाकर हजारों करोड़ रुपए का चंदा वसूला। भाजपा के खाते में आठ हजार करोड़ रुपए अल्प कालावधि में जमा हुए, वो भी गुनहगारी मार्ग से। देश के आर्थिक अपराधी, दलाल, ठेकेदारों से उन्होंने पैसे जुटाए। उन पैसों से उन्होंने चुनाव लड़ा। सत्ता हासिल की। विरोधियों की सरकारें गिराईं। विधायक-सांसद खरीदे। इलेक्टोरल बॉन्ड जैसा भ्रष्टाचार करने का कानूनी पर उतना ही आपराधिक मार्ग उन्होंने अपनाया। कैसे, यह देखिए…
भारतीय जनता पार्टी को निधि देनेवालों में विमल पाटनी का नाम भी शामिल है। कइयों का सवाल होगा, कौन हैं यह विमल पाटनी? गुजरात का सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस आज कितने लोगों को याद है? इस मामले में भाजपा के कई नेताओं के साथ अमित शाह और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नाम सामने आया। गुजरात पुलिस और सीबीआई पर गंभीर आरोप इस मामले में लगे। सोहराबुद्दीन का साथी तुलसीराम प्रजापति भी इसमें मारा गया और सोहराबुद्दीन की पत्नी को भी गायब कर दिया गया। कोर्ट में मुकदमा चला, लेकिन बाद में सभी २२ आरोपियों को (शक्ति सरकार आने के बाद) निर्दोष बरी कर दिया गया। असली कहानी तो आगे है। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई का कहना था कि उसने राजस्थान के उद्योगपति विमल पाटनी से फिरौती मांगी थी। अब जानकारी सामने आई है कि पाटनी ने २०२३ में २० करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदकर भाजपा के पास जमा किए। पाटनी ने किस उपकार के बदले में यह रंगदारी दी? इस निधि रूपी रंगदारी का क्या सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से कोई संबंध है?
एक अस्पताल है। यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल। इस अस्पताल ने अक्टूबर २०२१ से अक्टूबर २०२३ तक इन दो वर्षों में १६२ करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे। एक अस्पताल को राजनेताओं को देने के लिए चुनावी बॉन्ड क्यों खरीदना पड़ा? अस्पताल की कमाई रुग्णसेवा से होती है। इस अस्पताल को कोरोना काल में कुछ बड़े ठेके मिले। इसलिए किन राजनीतिक दलों को ये चंदा दिया? कोरोना काल में कौन सी पार्टी अत्यंत निर्दयता से एक अस्पताल से करोड़ों का चंदा ले रही थी। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि अमानवीय मामला है। मुंबई में जंबो कोविड सेंटर, खिचड़ी वितरण मामले में ‘ईडी’ जांच करनेवालों को यशोदा अस्पताल और भाजपा के लेन-देन की जांच करनी चाहिए।
‘चंदा’ वसूली के लिए भाजपा ने ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया और प्रधानमंत्री मोदी उस समय ‘ईडी’ को शाबाशी देते रहे। यानी मोदी उस वसूली रैकेट के ‘मास्टरमाइंड’ थे। उनमें से कुछ प्रकरण पर गौर करें।
रुइया बंधुओं पर ईडी की कार्रवाई होती है और तुरंत उनकी एस्सार ग्रुप ५० करोड़ रुपए का बॉन्ड भाजपा को देता है।
भारती एयरटेल पर ७०० करोड़ की कस्टम ड्यूटी और कर चोरी का आरोप लगता है। भारती एयरटेल तुरंत ४० करोड़ रुपए देती है और केस खत्म हो जाता है।
मुंबई एयरपोर्ट चलाने वाली जीएमआर कंपनी पर ईडी की रेड पड़ती है। सीबीआई, जीएमआर के रेड्डी को धमकाती है। जीएमआर भाजपा को बॉन्ड के माध्यम से रंगदारी देती है और अगले ७२ घंटों में अपनी कंपनी अडानी को बेचकर खुद को आजाद कर लेती है।
फ्यूचर गेमिंग पर ईडी की रेड पड़ती है। कंपनी १०० करोड़ की फिरौती देती है।
आरपीएसजी समूह पर ईडी की रेड होती है। वे ४५ करोड़ रुपए की रंगदारी देते हैं और सोनिया, राहुल गांधी के ‘नेशनल हेराल्ड’ मामले में सरकार को चाहिए, वैसी गवाही देते हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देशभर में डीएलएफ समूह पर छापे पड़ते हैं। कंपनी ने २५ करोड़ की फिरौती दी।
इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग का कार्य बहुत बड़ा है। इस कंपनी ने अप्रैल २०२३ में ९६६ करोड़ रुपए दिए, फिर एक ही महीने में इस कंपनी को सिर्फ महाराष्ट्र में एक प्रोजेक्ट का १४ हजार ४०० करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट मिला।
कई दवा कंपनियों, सीमेंट कंपनियों, वेदांता जैसी कंपनियों ने पर्यावरण के नियम तोड़कर काम पाने के लिए चंदे और रंगदारी दी। सरकार ने ये काम करवा दिए, वो भी कोविड काल में।
रुपए न होने पर भी लाखों का दान
भाजपा को ‘रंगदारी’ देनेवाली कई कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अपने टर्नओवर से कहीं ज्यादा राशि भाजपा को दी। क्विक सप्लाई चेन का टर्नओवर ५०० करोड़ रुपए का, लेकिन इस दयावान कंपनी ने ४१० करोड़ रुपए भाजपा को दान किया। प्रकाश आंबेडकर ने शिवाजी पार्क की सभा में सवाल पूछा, ‘जिस कंपनी का नेट प्रॉफिट २१५ करोड़ रुपए है, वह कंपनी १,३६८ करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड वैâसे खरीद सकती है? और एक कंपनी का नेट प्रॉफिट केवल १० करोड़ रुपए होने के बावजूद उन्होंने १८५ करोड़ के बॉन्ड खरीदे और भाजपा को दिए। इसका मतलब इस ‘शेल’ यानी फर्जी कंपनी में भाजपा की लूट का काला धन जमा किया गया और बॉन्ड के माध्यम से उसे सफेद करके भाजपा के खाते में जमा कर दिया गया। पी. एम. केयर फंड में भी इसी तरह काला धन जमा हुआ। यह भयंकर है। भ्रष्टाचार हटाने का लॉलीपॉप दिखाकर सत्ता में आने वाले ही देश में भ्रष्टाचार और रंगदारी का सबसे बड़ा रैकेट राम का नाम लेकर चला रहे थे। गोमांस बेचनेवाली कंपनियों से भी उन्होंने रंगदारी ली और गोमांस रखने के उन्माद में कई निर्दोष मुसलमानों की बलि ली। ये घृणित है।
ईडी का इस्तेमाल
भारतीय ‘पुतिन’ पार्टी और ईडी पार्टी की हेराफेरी देखिए। ईडी ने १० नवंबर २०२२ को दिल्ली शराब नीति केस में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अरविंद फार्मा के निदेशक पी. शरद चंद्र रेड्डी को गिरफ्तार किया। पांच दिन बाद १५ नवंबर को अरविंद फार्मा ने चुनावी बॉन्ड खरीदकर ५ करोड़ का दान दिया। ये पैसा क्या भाजपा के खाते में गया? अगर ऐसा है तो भाजपा के कोषाध्यक्ष और अध्यक्ष महोदय ने शराब घोटाले में पैसे स्वीकारे, इसलिए उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में ‘आप’ के मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी कविता की गिरफ्तारी हुई। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को जल बोर्ड के काम के ठेकों के बदले पार्टी के लिए निधि स्वीकारने के आरोप में ईडी ने अब तक नौ समन जारी किए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के खाते में जो ८,००० करोड़ रुपए जमा हुए, वो ठेके और काम के बदले निधि इसी नीति के कारण हुए, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं। भारत की पुतिन पार्टी की यह नीति तानाशाही तरीके की है। भाजपा सत्ताधारी पार्टी है। इसलिए काम करने के बदले में रकम स्वीकारना, यह भ्रष्टाचार है। ईडी, सीबीआई की धमकियां देकर रंगदारी वसूलना अपराध है। भाजपा ने, मोदी और शाह ने यह अपराध किया है। उनके स्वच्छ कामकाज, भ्रष्टाचारमुक्त शासन का ढोंग जगजाहिर हो गया है। राजा पूरी तरह से नंगा हो गया है। उसके तन पर उंगलीभर भी चिंदी नहीं बची है। इस राजा को भारत देश पर राज करने का अधिकार नहीं है।
देश में पिछले १० वर्षों से रंगदारी का राज शुरू था और इस रंगदारी के सूत्रधार प्रधानमंत्री मोदी हैं।
ये सब अब खत्म होना ही चाहिए।

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