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२ लाख आदिवासी छात्र गणवेश से वंचित…नहीं मिले पैसे, नहीं बने युनिफॉर्म… महायुति सरकार से नाराज अभिभावक

सुनील ओसवाल / मुंबई

निधि वितरण में देरी के कारण राज्य में दो लाख आदिवासी छात्र गणवेश से वंचित हो गए हैं। नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में आदिवासी विकास विभाग के तहत आदिवासी आश्रम स्कूलों में छात्र गणवेश से वंचित हो गए हैं। गणवेश वितरण में देरी के कारण छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी है वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि गणवेश कब तक उपलब्ध होगा।
राज्य में आदिवासी विकास विभाग के तहत कुल ४९७ आदिवासी आश्रम स्कूल हैं। इन स्कूलों में कक्षा एक से बारहवीं तक २ लाख ४ हजार ४५८ छात्र अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा विभाग के पास ४९० सरकारी छात्रावास हैं, जिनकी कुल प्रवेश क्षमता ५८ हजार है। आदिवासी विकास विभाग इन आश्रम शालाओं और छात्रावासों में विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री, गणवेश और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है। हालांकि, इस वर्ष गणवेश वितरण की प्रक्रिया में बड़ी समस्या आई है। आदिवासी क्षेत्रों में विद्यार्थियों के लिए गणवेश सिर्फ कपड़ों की बात नहीं है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और स्कूली माहौल में एकीकरण का भी हिस्सा है। यह स्कूल के पहले दिन से ही होता है। स्कूल के पहले दिन से ही गणवेश पहनकर स्कूल जाने से विद्यार्थियों में उत्साह पैदा होता है। हालांकि, गणवेश न मिलने के कारण कई विद्यार्थियों को पुराने या खराब कपड़े पहनकर स्कूल आना पड़ता है। अभिभावकों का कहना है कि इससे उनकी मानसिकता पर भी असर पड़ रहा है। गणवेश वितरण में देरी के कारण के बारे में प्रशासन को ठोस जानकारी नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार, आपूर्तिकर्ताओं से जुड़ी कुछ तकनीकी समस्याओं और फंड वितरण में देरी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। इससे पहले भी आदिवासी आश्रम शालाओं में विद्यार्थी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह चुके हैं। हालांकि, इस बार देरी से अभिभावकों और शिक्षकों में रोष की लहर पैâल गई है।

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