-अभिभावक-बच्चे हैं परेशान
-प्रशासन कर रहा है नजरअंदाज
सामना संवाददाता / मुंबई
जिला प्रशासन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ठाणे जिले में वर्तमान में कार्यरत कुल ३,५३८ में से ६०२ आंगनवाड़ी में शौचालय नहीं हैं। इस बुनियादी ढांचे की कमी के कारण छोटे बच्चों एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बेहाल हैं। आलम यह है कि यहां के बच्चों व कर्मचारियों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है, इसके बावजूद प्रशासन इस मूलभूत कमी को नजरअंदाज कर रहा है।
बता दें कि केंद्रीय और राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में छह साल से कम उम्र के बच्चों के पोषण और उत्तम स्वास्थ्य के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। इन सभी योजनाओं को एक ही स्थान से लागू करने के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आंगनवाड़ी स्थापित की गई हैं।
खुले में जाना पड़ता है शौच
बच्चों के विकास में आंगनवाड़ी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन आंगनवाड़ियों में ३ से ६ साल की उम्र के बच्चे आते हैं। बच्चों को यहां पौष्टिक भोजन, प्राथमिक शिक्षा और सामाजिक लाभ प्रदान किए जाते हैं। हालांकि, शौचालयों की कमी के कारण बच्चों को पेशाब या शौच के लिए खुले में या आस-पास की झाड़ियों में जाना पड़ता है। मानसून में कीचड़, गर्मियों में गर्मी और कई बार खतरनाक परिस्थितियों में जाने के कारण उनका स्वास्थ्य खतरे में रहता है। बच्चों को लगातार त्वचा रोग, कृमि संक्रमण, पेट की बीमारियों जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इससे लड़कियां खासतौर पर प्रभावित होती हैं इसलिए कई माता-पिता अपने बच्चों को स्वच्छता और सुरक्षा दोनों की कमी के कारण आंगनवाड़ी भेजने से कतराते हैं।
बच्चों सहित कर्मचारी रहते हैं परेशान
शौचालयों की कमी के कारण न केवल बच्चे, बल्कि आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिला कार्यकर्ता और सहायिकाओं को भी हर दिन मुश्किल हालात का सामना करना पड़ता है। उन्हें शौच के लिए आंगनवाड़ी से दूर जाना पड़ता है, जो महिला कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षित नहीं है। कुछ जगहों पर स्कूलों या अन्य सरकारी भवनों में शौचालयों का उपयोग किया जाता है, लेकिन वह सुविधा भी हर जगह उपलब्ध नहीं है। नतीजतन, ये महिलाएं अपने स्वास्थ्य से समझौता करके अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।