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मुंबईकरों की ७ प्रतिशत जमा पूंजी स्वाहा! …राज्य सरकार ने बकाया नहीं दिया तो मनपा ने तोड़ डाली ६,२३५ करोड़ रुपए की एफडी

शिवसेना ने जमा किए थे ९२,६३६ करोड़
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों की करीब ७ फीसदी जमा पूंजी स्वाहा हो गई है। यह कारनामा किया है राज्य की ‘ईडी’ सरकार ने। असल में जब शिवसेना मनपा संभाल रही थी तो उसने मुंबईकरों से टैक्स के रूप में प्राप्त रकम में से ९२,६३६ करोड़ की राशि की एफडी कर रखी थी। अब राज्य सरकार के पास मनपा का ८,९३६ करोड़ रुपया बकाया है, पर उसे देने की बजाय खर्च के लिए सरकार ने एफडी की करीब ७ फीसदी रकम निकाल ली है। इससे मनपा की आर्थिक स्थिति के चरमाराने का संकट पैदा हो गया है।
बता दें कि मुंबई मनपा के कामकाज में ‘ईडी’ सरकार का बड़ा हस्तक्षेप रहा है और करोड़ों रुपए के घोटाले भी हुए हैं। इन सबके बीच एक चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है कि मुंबई मनपा का ८,९३८ करोड़ रुपए ‘ईडी’ सरकार हजम कर गई है। इसमें प्रॉपर्टी टैक्स, वॉटर टैक्स और प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग समेत कई विभागों के बकायों का समावेश है। हालांकि, मनपा प्रशासन द्वारा इसे लेकर बार-बार फॉलोअप करने के बावजूद यह सरकार लगातार ठेंगा दिखा रही है। इसका सीधा असर मनपा की बचत और कार्यों पर पड़ रहा है। इससे मुंबईकरों को भारी नुकसान का सामना झेलना पड़ रहा है।
‘ईडी’ सरकार के काल में मनपा के खजाने और भविष्य सुरक्षित करनेवाली एफडी को तोड़कर खर्च किए जाने से यह ९२,६३६ करोड़ से घटकर ८६,४०१ करोड़ पर पहुंच गई है।
इससे मनपा की आर्थिक स्थिति गंभीर होने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा मनपा के अधिकार की राशि को नहीं दिए जाने से शहर में विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। इस बीच साल २०१९ में घाटे में रहनेवाली मनपा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सत्ता में रहते हुए साल २०२२ तक यानी १४ वर्षों में मुनाफे में थी। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में मुंबई का कामकाज नियोजनबद्ध तरीके से किए जाने के कारण जमापूंजी बढ़ गई। इसमें सबसे खास बात यह है कि इस दौरान हर साल १०,००० करोड़ रुपए के विकास कार्य भी शुरू थे। हालांकि, अब ईडी सरकार की मनपा की जमा निधि पर ही नजर है। मुख्यमंत्री के साथ ही खुद प्रधानमंत्री ने भी इस एफडी का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। आगामी समय में खर्च ऐसे ही बेधड़क शुरू रहा, तो मनपा के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं बचेंगे। इस तरह का भय भी व्यक्त किया जा रहा है। मुंबई मनपा की आय का प्रमुख स्रोत चुंगी वसूली साल २०१७ में बंद हो गया। इसके बाद राज्य सरकार की तरफ से क्षतिपूर्ति मिल रही है, फिर भी मनपा की आय पर असर पड़ा है। विकास कार्यों पर एफडी में से भारी राशि खर्च करनी पड़ रही है। इन सबके बीच मनपा के महत्वपूर्ण विभागों का बकाया है। इससे विकास कामों पर असर होने का संकट मंडराने लगा है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग का बकाया होने से शिक्षकों के वेतन पर भी संकट छा गया है। इस बकाया को प्राप्त करने के लिए मनपा की तरफ से एक स्वतंत्र सेल तैयार किया गया है। मनपा आयुक्त के हस्ताक्षर से हर तीन से ६ महीने के बाद सरकार के २६ बकाएदार विभागों को पत्र भेजा जाता है। इसके अलावा इसकी जानकारी नगर विकास विभाग को भी दी जाती है। हालांकि, इस पर किसी भी तरह का हस्तक्षेप राज्य सरकार अथवा नगर विकास विभाग की तरफ से नहीं किया जाता।

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