उद्धव ठाकरे ने कहा, संदेश नहीं खबर दूंगा…महाराष्ट्र के मन में जो है वही होगा!

-शिवसेना-मनसे युति को लेकर बोले…सहमति बनेगी!..लोगों की बढ़ी उत्सुकता!!

सामना संवाददाता / मुंबई

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और मनसे के संभावित गठबंधन को लेकर महाराष्ट्र के लोगों में जबरदस्त उत्सुकता है। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे एक साथ आएं, ऐसी भावना महाराष्ट्र की मराठी जनता की है और यही बात दोनों दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा बार-बार कही जा रही है। इसी संदर्भ में कल उद्धव ठाकरे ने मनसे के साथ गठबंधन को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि जो महाराष्ट्र के लोगों के मन में है, वही होगा। गठबंधन पर मैं कोई संदेश नहीं दूंगा, मैं सीधे खबर देता हूं।
शिवसेना छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हुर्इं सुजाता शिंगाडे कल अपने कार्यकर्ताओं सहित फिर से शिवसेना में लौट आर्इं। ‘मातोश्री’ निवास पर उद्धव ठाकरे ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने मनसे से गठबंधन पर भी टिप्पणी की। पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि शिवसेना और मनसे कब एक साथ आएंगे? क्योंकि इस विषय पर लोगों में खासा उत्साह है और मनसे की तरफ से यह कहा जा रहा है कि शिवसेना की ओर से गठबंधन का प्रस्ताव भेजा जाना चाहिए तो उद्धव ठाकरे ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ठीक है, देखेंगे… जो महाराष्ट्र की जनता के मन में है, वही होगा।
राज ठाकरे ने ली बैठक
शिवसेना और मनसे दोनों के एक साथ आने की चर्चा पिछले कई दिनों से शुरू है। महाराष्ट्र के तमाम लोगों की भावना है कि दोनों एक साथ आएं। इस संदर्भ में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने पदाधिकारियों के साथ बैठक कर उनका विचार जानने का प्रयास किया। इस दौरान दोनों पक्षों के एक साथ आने के संदर्भ में सकारात्मक विचार पदाधिकारियों की ओर से रखे गए। सबकी यही भावना है कि महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रांड टिकना चाहिए।

संपादकीय : व्हाइट हाउस की हार!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने सनकी और अहंकारी स्वभाव के कारण न केवल विश्व राजनीति में बल्कि खुद अमेरिका में भी दिन-ब-दिन अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। वे लाइव शो में आए हुए राष्ट्रपतियों से ताव में आकर लड़ बैठते हैं, हिदुस्थान-पाक युद्ध में युद्धविराम की घोषणा करते हैं और अरबपति उद्यमी एलन मस्क से सार्वजनिक रूप से बहस करते हैं, जिनकी मदद से उन्होंने चुनाव जीता था। ट्रंप के सनकी और अपरिपक्व व्यवहार के कारण, जो एक महाशक्ति के प्रमुख के लिए अशोभनीय है, दुनियाभर में अमेरिका की हंसी हो रही है और अब अमेरिकी लोग भी उनका मजाक उड़ाने लगे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप मनमाने तरीके से फैसले लेते हैं और फिर अमेरिकी अदालतें उनके पैâसलों को या तो रद्द कर देती हैं या स्थगित कर देती हैं। अदालत में बार-बार मुंह की खाने के बावजूद, ‘हम करें सो कायदा’ के तानाशाही रवैये के कारण ट्रंप हर दिन नए फैसले लेते रहते हैं और अदालतें उन्हें विफल कर देती हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के ताजा पैâसले के साथ भी यही हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार को एक फरमान जारी कर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले की घोषणा की। हार्वर्ड वास्तव में एक अव्वल दर्जे का वैश्विक विश्वविद्यालय है, लेकिन ट्रंप ने एक विचित्र दावा करते हुए कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों को प्रवेश देना अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा,
विदेशी छात्रों का प्रवेश
बंद कर दिया। यह प्रवेश बंदी ६ महीने के लिए लगा दी गई। आदेश में कहा गया था कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो यह तय करेंगे कि विश्वविद्यालय में वर्तमान में अध्ययन कर रहे विदेशी छात्रों के वीजा को रद्द किया जाए या नहीं। इससे हार्वर्ड, कैंब्रिज और मैसाचुसेट्स में पढ़नेवाले हजारों विदेशी छात्रों में डर का माहौल पैदा हो गया। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अगले दिन राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले के खिलाफ अमेरिकी संघीय अदालत का रुख किया और २४ घंटे के भीतर अदालत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर रोक लगा दी। हमारे यहां कितने भी जरूरी मामले हों, वे सालों तक अदालतों में अटके रहते हैं और भले ही असंवैधानिक सरकारें सब कुछ अवैध होने के बावजूद अपना कार्यकाल पूरा कर लें, लेकिन अदालत की तारीखें कभी खत्म नहीं होतीं। लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता। हमने ‘व्हाइट हाउस’ की कुछ मांगें नहीं मानी इसलिए राष्ट्रपति ट्रंप ने बदले की भावना से विदेशी छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अदालत से इस अवैध फैसले को रोकने का अनुरोध किया और अदालत ने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया। बुधवार को ट्रंप ने प्रतिबंध आदेश जारी किया और गुरुवार को अदालत ने देश के राष्ट्रपति के इस फैसले को रोक दिया। इसे अमेरिका में प्रगल्भ लोकतंत्र का एक बड़ा उदाहरण कहा जा सकता है। अदालत ने इसी तरह ट्रंप के पिछले आदेशों को नौकरी में कटौती, जन्म के चलते मिलनेवाली नागरिकता, टैरिफ संबंधित फैसलों और कई अन्य आदेशों पर रोक लगा दी है। हार्वर्ड
अमेरिका का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय
है, जिसकी प्रतिष्ठा विश्वभर में है। शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान की इस मौलिक धरोहर को सहेजने के बजाय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पीछे हाथ धोकर लग गए और अंत में उनकी ही जग हंसाई हुई। इससे पहले ट्रंप ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय को दिए जानेवाले १८,००० करोड़ रुपए के फंड को रोककर भी आलोचना झेली थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने उसके खिलाफ भी अदालत में अपील की है। इन सभी मामलों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साहस की भी सराहना की जानी चाहिए। जिस निर्भीकता के साथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने एक विश्व महाशक्ति के प्रमुख के सामने आत्मसमर्पण किए बिना ट्रंप का डटकर मुकाबला किया, उसका उदाहरण विश्व समुदाय को भी अपनाना चाहिए! जब सरकार बेलगाम हो जाए, तानाशाही तरीके से काम करने लगे और बदले की भावना से फैसले लेने लगे, उस समय अदालतों को सक्रिय होकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। इस मामले में अमेरिकी अदालतों की निष्पक्षता और नि:स्पृहता की सराहना की जानी चाहिए। राष्ट्रपति ट्रंप नए ‘तुगलक’ हैं और उनकी तुगलकी फरमानों को अमेरिकी न्याय व्यवस्था हर दिन कूड़े में फेंक रही है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने के हालिया फैसले को भी अमेरिकी अदालत ने २४ घंटे के भीतर ही रोक दिया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी विरुद्ध व्हाइट हाउस की लड़ाई में आखिरकार यूनिवर्सिटी की जीत हुई। तानाशाही की हार हुई। एक यूनिवर्सिटी महाशक्ति के सामने आत्मसमर्पण किए बिना और निखर गई है। अमेरिकी व्यवस्था की यही खूबी स्वीकारने योग्य है!

मोदी के मेक इन इंडिया पर चाइनीज ‘ठप्पा’

– एसबीआई के प्रोजेक्ट में नियम को तोड़ चाइना से माल हुआ आयात

-कोर्ट भी हुआ अचंभित, जांच का दिया आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई

भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की खरीद प्रक्रिया की नींव हिलानेवाले और चौंकानेवाले मामले का खुलासा हुआ है। २७५ करोड़ रुपए के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला सामने आया है, जो अब एक प्रकार से मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को धता बता रहा है। इस डील में टेंडर नियमों की धज्जियां तो उड़ाई ही गर्इं, साथ ही राष्ट्रीय बैंकिंग सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। एसबीआई के एटीएम में चाइनीज रूटर लगाए गए, जिसे कोर्ट ने भी गंभीर माना है।
दरअसल, भारतीय एडवांटेज एसबी कम्युनिकेशन कंपनी ने एसबीआई के ३,४०० से अधिक एटीएम में अपने स्वदेशी और सुरक्षित सिक्योरवैन एटीएम राउटर सफलतापूर्वक लगा रही थी। यह ‘मेक इन इंडिया’ का एक प्रेरणादायी राउटर था, लेकिन कुछ दिन बाद ही बिना किसी पूर्व सूचना के कंपनी का भुगतान रोक दिया गया और फिर कुछ समय बाद गुप्त रूप से जारी एक वर्क ऑर्डर के तहत यही प्रोजेक्ट एक अन्य प्रतिद्वंद्वी कंपनी को दे दिया गया।
इसमें चिंता की बात यह रही कि इस कंपनी ने धीरे-धीरे भारतीय तकनीक की जगह चीनी निर्मित पीसीबी, जीएसएम मॉड्यूल और ट्रांसफॉर्मर वाले राउटर लगाने शुरू कर दिए। चाइनीज राउटर का जमकर इस्तेमाल हुआ है। भारत की बैंकिंग व्यवस्था के भीतर यह एक रिस्क भरा कदम बताया जा रहा है, जबकि टेंडर में शर्त थी कि मेक इन इंडिया के तहत बने राउटर ही लगाने थे।
एडवांटेजएसबी कंपनी ने कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि जिस कंपनी को यह ठेका बाद में दिया गया है उस पर पहले भी एआई ट्रैफिक प्रोजेक्ट में धोखाधड़ी, सांठ-गांठ और अनैतिक सब-कॉन्ट्रैक्टिंग जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। मुंबई हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है और धोखाधड़ी, बौद्धिक संपदा की चोरी, साजिश और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को किस प्रकार से सांठ-गांठ के तहत चूना लगाया जा रहा है और इस पर चाइनीज ठप्पा लगाया जा रहा है।

मनपा चुनाव के मद्देनजर फडणवीस की चाणक्य नीति शिंदे गुट को चित करने की कोशिश!

-कल फिर मुंबई में १३ आयातित पुलिस अधिकारियों की हुई पोस्टिंग

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव को लेकर अब सरगर्मी तेज हो गई है। इस सरगर्मी के बीच सभी की निगाहें सबसे ज्यादा मुंबई और ठाणे मनपा चुनाव पर टिकी हुई है। दोनों जगहों के मनपा चुनाव इस समय राज्य में हॉट विषय बन गए हैं। इन सबके बीच चाणक्य मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शिंदे गुट की मुंबई में बढ़ती साख को धराशाई करने में जुट हुए हैं। इसके लिए शिंदे को चित करने के लिए भाजपा मुंबई में छोटे भाई की भूमिका निभा रही है। इसी कड़ी में एक सप्ताह पहले ही मुंबई पुलिस आयुक्तालय में उन्हीं के इशारे पर १३ पुलिस उपायुक्तों की शहर में ही उनके मनचाहे स्थानों पर पोस्टिंग की गई थी। इसके साथ ही २२ पुलिस निरीक्षकों का भी तबादला किया जा चुका है। इसी कड़ी में अब कहा जा रहा है कि सीएम फडणवीस ने अपने करीबी १३ पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बाहर से आयात कर उनकी पोस्टिंग मुंबई में की है, ताकि घाती गुट को उनकी जगह दिखाई जा सके।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र पुलिस बल में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले किए गए थे। उसके तुरंत बाद राज्य सरकार और गृह विभाग ने कुल २२ पुलिस अधीक्षकों और उपायुक्तों के तबादले के आदेश जारी किए थे। अब यह सिलसिला मुंबई पुलिस तक पहुंचा है। बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार किसी भी हालत में मनपा पर कब्जा जमाने की रणनीति बना चुकी है। उसी के तहत परदे के पीछे की हलचल तेज हो गई है। इस बीच पिछले महीने ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी देवेन भारती को मुंबई पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया। देवेन भारती को फडणवीस का करीबी माना जाता है और उनके लिए ही ‘विशेष पुलिस आयुक्त’ का नया पद भी बनाया गया था। अब उनके आयुक्त बनने के बाद उस विशेष पद का क्या होगा, यह सवाल भी उठने लगा है। इस बीच कल फिर एक साथ ११ पुलिस अधिकारियों को राज्य के विभिन्न हिस्सों से मुंबई में लाकर उनकी पोस्टिंग की गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह फेरबदल शहर की कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में किया गया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस पर अलग ही चर्चाएं हैं।
भीतरखाने जारी है कोल्ड वॉर
दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहो और एक-दूसरे की जड़ काटते रहो वाला फॉर्मूला महायुति सरकार में देखने को मिल रहा है। मजबूरी में एक दूसरे को साथ लेकर चलने वाले शिंदे गुट, अजीत पवार गुट और भाजपा के भीतरखाने कोल्ड वॉर चल रहा है। सबसे अहम बात यह है कि भाजपा महाराष्ट्र के बाद मुंबई के मनपा चुनाव में अपना वर्चस्व जमाना चाहती है और इसके लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बड़ा खेल खेलने की चाल चल रहे हैं। हालांकि, एकनाथ शिंदे को यह एहसास है कि उन्हें घेरा जा रहा है और उपेक्षा व अनदेखी की जा रही है।
विपक्ष के आरोप
राज्य में पहले घाती सरकार और अब महायुति सरकार के बाद से पुलिस बल में बार-बार हो रहे इन फेरबदल को लेकर विपक्ष ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह सब राजनीतिक दबाव और रणनीति का हिस्सा है, ताकि मनपा चुनावों से पहले सत्ता पक्ष को फायदा हो। इस फेरबदल की वजह से न केवल मुंबई, बल्कि राज्य के कई अन्य जिलों में भी प्रशासनिक हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। ये बदलाव आनेवाले मनपा चुनावों के लिहाज से बेहद अहम माने जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र पुलिस बल में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले किए गए थे। उसके तुरंत बाद राज्य सरकार और गृह विभाग ने कुल २२ पुलिस अधीक्षकों और उपायुक्तों के तबादले के आदेश जारी किए थे। अब यह सिलसिला मुंबई पुलिस तक पहुंचा है। बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार किसी भी हालत में मनपा पर कब्जा जमाने की रणनीति बना चुकी है। उसी के तहत परदे के पीछे की हलचल तेज हो गई है। इस बीच पिछले महीने ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी देवेन भारती को मुंबई पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया। देवेन भारती को फडणवीस का करीबी माना जाता है और उनके लिए ही ‘विशेष पुलिस आयुक्त’ का नया पद भी बनाया गया था। अब उनके आयुक्त बनने के बाद उस विशेष पद का क्या होगा, यह सवाल भी उठने लगा है। इस बीच कल फिर एक साथ ११ पुलिस अधिकारियों को राज्य के विभिन्न हिस्सों से मुंबई में लाकर उनकी पोस्टिंग की गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह फेरबदल शहर की कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में किया गया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस पर अलग ही चर्चाएं हैं।
भीतरखाने जारी है कोल्ड वॉर
दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहो और एक-दूसरे की जड़ काटते रहो वाला फॉर्मूला महायुति सरकार में देखने को मिल रहा है। मजबूरी में एक दूसरे को साथ लेकर चलने वाले शिंदे गुट, अजीत पवार गुट और भाजपा के भीतरखाने कोल्ड वॉर चल रहा है। सबसे अहम बात यह है कि भाजपा महाराष्ट्र के बाद मुंबई के मनपा चुनाव में अपना वर्चस्व जमाना चाहती है और इसके लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बड़ा खेल खेलने की चाल चल रहे हैं। हालांकि, एकनाथ शिंदे को यह एहसास है कि उन्हें घेरा जा रहा है और उपेक्षा व अनदेखी की जा रही है।

उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में सुजाता शिंगाडे की घर वापसी… शिवसेना छोड़कर गई थीं शिंदे गुट में

सामना संवाददाता / मुंबई

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) छोड़कर इस साल जनवरी में शिंदे गुट में शामिल हुर्इं पूर्व महिला विभाग संगठक सुजाता शिंगाडे कल फिर घर वापसी करते हुए अपनी मूल पार्टी शिवसेना में लौट आर्इं। ‘मातोश्री’ निवास पर शिवसेनापक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में उनकी घर वापसी हुई। उद्धव ठाकरे ने इस अवसर पर शिंगाडे का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि इस बार और अधिक जोश से काम करें।
मीडिया से बातचीत के दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुजाता शिंगाडे जैसी वरिष्ठ कार्यकर्ता ने शिवसेना क्यों छोड़ी, इस सवाल ने मुझे उस समय झकझोर दिया था, लेकिन पिछले तीन-चार महीनों में उन्होंने शिंदे गुट की दुर्व्यवस्था को नजदीक से देखा। वहां का विचित्र माहौल उन्हें बेचैन कर रहा था। उन्होंने फिर से शिवसेना में आने का जो साहस दिखाया है, उसकी सराहना होनी चाहिए और यह साहस सिर्फ एक शिवसैनिक में ही हो सकता है। जो लोग लोभ और स्वार्थ में शिंदे गुट में गए हैं, उनमें ऐसा साहस नहीं हो सकता। इस अवसर पर शिवसेना नेता और पार्टी सचिव विनायक राउत, शिवसेना विधायक अनिल परब, पूर्व विधायक विलास पोतनीस समेत कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।
असली शिवसेना मातोश्री में ही, शिंदे गुट में सब दिखावा
सुजाता शिंगाडे ने कहा कि जनवरी में मैंने शिंदे गुट में प्रवेश किया, लेकिन वह मेरी सबसे बड़ी गलती थी। एक मध्यस्थ एजेंट ने मुझे बहकाया। असली शिवसेना तो ‘मातोश्री’ में ही है। आज मैं अपने मायके लौट आई हूं और मुझे बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं किसी लोभ या पद के लालच में शिंदे गुट में नहीं गई थी। मैंने शिवसेना के लिए ३५ वर्षों तक काम किया है। मातोश्री ने मुझे कई जिम्मेदारियां दी थीं। पार्टी छोड़ने के बाद मुझे चार महीने तक चैन की नींद नहीं आई। मैं बस यही सोचती रही कि उद्धव ठाकरे और रश्मी ठाकरे से कब मिलूंगी। शिंदे गुट की स्थिति पर उन्होंने कहा कि वहां केवल दिखावा है। इस दौरान शिंगाडे और उनके कार्यकर्ताओं ने उद्धव साहेब आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं जैसे नारे भी लगाए।

घाती गुट का मंत्री घोटालेबाज!

– संजय शिरसाट पर फिर लगा नया आरोप

– नियम को ताक पर रखकर एमआईडीसी में खरीदी छह करोड़ की जमीन

सामना संवाददाता / मुंबई

महायुति सरकार में घाती गुट के सामाजिक न्याय मंत्री की इस समय बुरी ग्रहदशा चल रही है। बीते दिनों बेटे सिद्धांत के नाम पर होटल विट्स खरीद का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि जमीन खरीद से जुड़े एक और मामले का खुलासा हुआ है। आरोप लगाया जा रहा है कि मंत्री शिरसाट ने अवैध तरीके से करोड़ों की जमीन खरीदी है। शेंद्रा एमआईडीसी में नियमों को ताक पर रखते हुए छह करोड़ रुपए की जमीन को अपने बेटे सिद्धांत के नाम पर खरीदा है।
एमआईएम के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील के अनुसार, शेंद्रा एमआईडीसी ने २१,२७५ वर्ग मीटर यानी करीब ५ एकड़ २७ गुंठा जमीन ट्रक टर्मिनल के लिए आरक्षित की थी। इस जमीन पर लगभग १०५ करोड़ ८९ लाख रुपए का प्रोजेक्ट प्रस्तावित था। लेकिन संजय शिरसाट ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए इस जमीन का आरक्षण हटवाया और फिर अपने बेटे सिद्धांत और पत्नी के नाम पर यह जमीन मात्र ६ करोड़ ९ लाख रुपए में खरीद ली। कुछ दिन पहले ही शिरसाट के बेटे पर एक विवादित मामला सामने आया था। एक विवाहित महिला ने सिद्धांत शिरसाट पर शारीरिक शोषण, मारपीट और जबरन गर्भपात करवाने का गंभीर आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेजा था। इस मामले ने पूरे महाराष्ट्र में हड़कंप मचा दिया था।
हालांकि, संजय शिरसाट ने अपनी पूरी ताकत झोंककर महिला से शिकायत वापस करवाई और मामला शांत कराया गया। इसके बाद शिरसाट का एक और मामला सामने आया। आरोप लगा कि उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर रेलवे स्टेशन के पास स्थित ‘व्हिट्स होटल’, जिसकी बाजार कीमत करीब ११० करोड़ रुपए है, उसे मात्र ६४ करोड़ रुपए में खरीदने की कोशिश की।
जांच की उठी थी मांग
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने इस पूरे सौदे की जांच की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखते हुए कहा कि रेडीरेकनर के हिसाब से होटल की कीमत ११० करोड़ से अधिक है और इसकी बिक्री प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
हटना पड़ा पीछे
इस दबाव के चलते संजय शिरसाट ने विवादित होटल सौदे से पीछे हटने की घोषणा की, जिससे मामला ठंडा पड़ा। लेकिन अब इम्तियाज जलील द्वारा लगाए गए नए जमीन घोटाले के आरोप ने फिर से राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है।

मुंबई में बरकरार है २७९ जगहों पर भूस्खलन का खतरा…चपेट में आ सकती हैं हजारों झोपड़ियां!

-७५ खतरनाक और ४५ अति खतरनाक श्रेणी में

सामना संवाददाता / मुंबई

मानसून के दौरान हर साल मुंबई में खतरनाक इमारतों के साथ-साथ भूस्खलन का मुद्दा सामने आता है। विभिन्न इलाकों में पहाड़ियों की ढलानों पर करीब २७९ ऐसे भूस्खलन पाए गए हैं। विक्रोली, घाटकोपर और मानखुर्द में पहाड़ियों की ढलानों पर सैकड़ों झोपड़ियां भूस्खलन की छाया में हैं।
इस बीच पिछले साल नगरपालिका द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इनमें से ७५ स्थान खतरनाक हैं और ४५ स्थान अतिखतरनाक वाली श्रेणी में हैं। घाटकोपर में असल्फा गांव, एंटॉप हिल, चेंबूर-वाशीनाका, विक्रोली पार्कसाइट, भांडुप, चूनाभट्टी-कुर्ला में विशाल कसाई वाड़ा आदि जगहों पर पहाड़ियों के पास हजारों झोपड़ियां हैं। कुछ मिट्टी से बनी और कुछ कंक्रीट से बनी ये झोपड़ियां कई सालों से एक-दूसरे पर खड़ी हैं।
मनपा के नोटिस की अनदेखी करते हैं निवासी
मानसून का मौसम जब आता है, तब मनपा के अधिकारी झोपड़ियों पर नोटिस चिपका देते हैं कि यहां रहना खतरनाक है और उन्हें तुरंत स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, कोई वैकल्पिक स्थान न होने के कारण निवासी अपनी जान हथेली पर रखकर यहां रहते हैं। हालांकि, अगर कोई दुर्घटना होती है तो जान-माल का नुकसान होता है।
बैठक में मास नेट लगाने का निर्णय
मानसून के मौसम से पहले भूस्खलन स्थलों पर दीवारें बनाने, रस्सियां लगाने और मिट्टी के कटाव को रोकने जैसे उपाय किए जाते हैं। साथ ही भूस्खलन स्थलों पर सुरक्षात्मक बाड़ों से पानी निकालने वाले छेद अगर मिट्टी या किसी और के कारण अवरुद्ध हो जाते हैं तो उन्हें साफ किया जाता है। भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों में मास नेट लगाने का निर्णय मुंबई उपनगरीय नियोजन समिति की बैठक में लिया गया है। म्हाडा नौ मीटर से कम ऊंची दीवारों वाले क्षेत्रों में मास नेट लगाएगा, जबकि नौ मीटर से अधिक ऊंची दीवारों वाले क्षेत्रों में मास नेट लगाने का काम लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा।

पीयूष ने लिया संन्यास

३६ वर्षीय स्पिनर पीयूष चावला ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का एलान किया है। टी-२० विश्व कप २००७ और वनडे विश्व कप २०११ विजेता भारतीय टीम का हिस्सा रहे चावला ने भारत की ओर से ३५ अंतरराष्ट्रीय मैच खेले थे, जिनमें उन्होंने ४३ विकेट लिए थे। वह आईपीएल में सर्वाधिक विकेटों के मामले में तीसरे स्थान पर हैं। पीयूष चावला ने शुक्रवार को इंस्टा पोस्ट में लिखा- ‘दो दशक से ज्यादा समय तक मैदान पर रहने के बाद अब समय आ गया है कि मैं इस खूबसूरत खेल को अलविदा कहूं।’ पीयूष चावला २००७ में टी-२० वर्ल्ड कप और २०११ में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कोलकाता नाइटराइडर्स की ओर से आईपीएल के २ टाइटल भी जीते हैं। चावला ने भारत के लिए ३ टेस्ट, २५ वनडे और ७ टी-२० इंटरनेशनल मैच खेले हैं। पीयूष ने लिखा- टॉप लेवल पर भारत का प्रतिनिधित्व करने से लेकर २००७ टी-२० वर्ल्ड कप और २०११ वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा बनने तक, इस अविश्वसनीय यात्रा में हर पल किसी वरदान से
कम नहीं रहा है। ये यादें हमेशा मेरे
दिल में बसी रहेंगी।

आउट ऑफ पवेलियन : बेकहम आखिरकार बन जाएंगे `नाइटहुड’

अमिताभ श्रीवास्तव

जैसे भारत रत्न होता है, वैसे ही कुछ-कुछ ब्रिटिश में `नाइटहुड’ की उपाधि का क्रेज है। यह उपाधि भी लंबे समय तक विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले व्यक्ति को मिलती है, जैसे साहित्यिक क्षेत्र में भारत के रविंद्रनाथ टेगोर को भी दी गर्इं थी। हालांकि, उन्होंने इस उपाधि को लौटा दिया था। बात कहने की यह है कि नाइटहुड उपाधि से इंग्लैंड व्यक्ति को `सर’ के सम्मान से नवाजता है और इसको पाने के लिए लोग हमेशा लालायित रहते हैं। पिछले एक दशक से फुटबाल स्टार रहे डेविड बेकहम देश-विदेश में कई सामाजिक कार्यों में योगदान देते आ रहे हैं और उन्हें लगता है कि वो `नाइटहुड’ के दावेदार हैं। एक बार तो उनका नाम नामित हो गया था, मगर वो एक विवाद में फंस गए तो इस उपाधि से वंचित रह गए। अब अंतत: उन्हें `नाइटहुड’ की उपाधि दी जाएगी। ५० वर्षीय फुटबॉल दिग्गज को अगले सप्ताह किंग्स बर्थडे ऑनर्स सूची में `सर’ का दर्जा दिया जाएगा। उनकी स्पाइस गर्ल पत्नी विक्टोरिया को लेडी बेकहम के नाम से जाना जाएगा। यह खबर बेकहम परिवार के लिए भी खुशी लेकर आएगी, क्योंकि उनके सबसे बड़े बेटे ब्रुकलिन और उनकी पत्नी निकोला पेल्ट्ज के साथ घनघोर मतभेद चल रहे हैं। `गोल्डन बॉल्स’ के नाम से मशहूर बेकहम को लोग भी `नाइटहुड’ की उपाधि देने की मांग करते रहे हैं। चार बच्चों के पिता बेकहम ने इंग्लैंड के लिए ११५ मैच खेले हैं और चैरिटी के लिए दान भी बहुत दिया है। दिलचस्प यह है कि वो राजा चार्ल्स के गहरी दोस्त भी हैं। और ग्रामीण इलाकों से प्यार करने वाले बेकहम, जिन्हें बेक्स कहते हैं किंग्स फाउंडेशन के राजदूत भी हैं।
हंसी-हंसी में क्या कह गई पामर
हंसी-हंसी में उसने मंच पर खड़े होकर जो कह दिया, वो दुनिया को हैरान कर गया। अपने सम्मान भाषण में भला कोई ऐसा कहता है क्या? दरअसल, ब्रिटिश सोप अवॉर्ड चल रहा था, पैट्सी पामर को हास्य अभिनय का पुरस्कार मिला। वो मंच पर आर्इं, माइक संभाला और अपने भाषण में ऐसा कह गर्इं कि सब आश्चर्यचकित हो गए। पामर ने `योनि’ के बारे में अपने विचित्र भाषण से ब्रिटिश सोप अवॉर्ड्स की मेजबान जेन मैकडोनाल्ड सहित सबको आश्चर्यचकित कर दिया। बीबीसी धारावाहिक में मुखर बियांका बुचर की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री को उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनय का पुरस्कार दिया गया था। वो चमकीले नीले रंग के सूट में अपना पुरस्कार लेने के लिए मंच पर आर्इं। लेकिन टीवी की इस पसंदीदा अभिनेत्री ने अपने चुटीले भाषण से प्रशंसकों और दर्शकों को हैरान कर दिया। पैट्सी ने कहा, `सुनो, मैंने कोई भाषण तैयार नहीं किया है, क्योंकि मुझे लगा था कि जैक जीत जाएगा।’ पैट्सी ने आगे कहा कि मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी और मैं बहुत खुश हूं कि मैंने ऐसा किया, क्योंकि मैं अपने ४०वें जन्मदिन तक रुकी और यहीं पर हमने वास्तव में एक महिला की योनि का जश्न मनाया। मुझे लगता है कि योनि हमेशा से ही मजेदार रही है। इसके बाद स्टार जोर से हंसने लगीं, जबकि सिंडी बील का किरदार निभा रहीं मिशेल कोलिंस भी शर्मिंदा दिखीं। इयान बील अभिनेता एडम वूडियट भी अपने सह-कलाकार की टिप्पणी से अचंभित रह गए, जबकि मेजबान जेन मैकडोनाल्ड स्तब्ध रह गर्इं। यह संदर्भ स्पष्ट रूप से सोनिया फाउलर द्वारा ४०वीं वर्षगांठ के लाइव एपिसोड के दौरान पब में बच्चे को जन्म देने से संबंधित था।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

ब्रजभाषा व्यंग्य : लहरिया रोड

नवीन सी. चतुर्वेदी

सच तो ये ही है इनायत कर रहे हैं आदमी
चोट खाकर भी शराफत कर रहे हैं आदमी
बत्तो अपनी सरकार और वाके मंत्री सच्चऊं स्मार्ट हैं। जमानों है हू स्मार्ट’न कौ। स्मार्ट होनों ही चैंयें। नई परिभाषा के अनुसार, जो स्मार्ट है वौ अगड़ा और जो स्मार्ट नांय नें वौ पिछड़ा कहलावै।
घुटरू पहेली मत बुझाय। खुल कें बोल। काहु कौ डर है का? सच्ची बात कहवे में डर वैâसौ?
नांय बत्तो डर वैâसौ? अपुन ब्रजवासी तौ कृष्ण कों हू ‘द्वै बाप’न वारौ’ कह चुके हैं।
घुटरू ब्रजवासी छोड़, अवध और मिथिला वारे हू कम नांय नें। ‘एक भाई काला और एक भाई गोरा बता दे बबुआ’ के माध्यम सों राम कों हू लपेट चुके हैं। मगर एक बात है घुटरू, वा जमाने में लोग आलोचना सुन लेते। अबकी तरें नांय कि बोलवे वारे की बोलती ही बंद कर दीनी जाय।
बत्तो तेरी बात है तौ सत्य, किन्तु आंशिक। पहलें लोग’न की टीका-टिप्पणी पूर्वाग्रह सों ग्रस्त नांय होतीं। चित्त में तुच्छ और क्षणिक स्वार्थ नांय होतो। मुख्य उद्देश्य या तौ जन-जागरण होतो या जन-मन-रंजन। अपवाद छोड़ देंय तौ माहौल खुसनुमा रहतो।
खैर छोड़, मुद्दा की बात पै आ। सरकार और मंत्री’न की स्मार्टनैस के बारे में तू का कहनों चाह रह्यौ है?
विशेष तौ कछू नांय बस एक निरीक्षण है, जो तोसों बतरानों चाह रह्यौ हुतो। एक जमाने में डामर के रोड बनों करते। हर साल टूटते हर साल बनते। पब्लिक भलें ही परेसान होती परंतु अनेक लोग’न के पेट पालते वे डामर वारे रोड। फिर खर्चा बचायवे के लिएं महंगे सीमेंटेड रोड बनवे लगे।
घुटरू तू मुद्दा की बात पै आय रह्यौ है कि मैं जाओं?
बत्तो सरकार लोग’न सों कह-कह कें हार गई कि गाड़ी की स्पीड अस्सी सों नीचें रखौ मगर लोग मानें ही नांय नें। या मारें सरकार नें सीमेंटेड रोड जो पहलें समतल होते अब विनें हु अ-समतल बनवायवौ आरंभ कर दियौ है। मतलब लहरिया वारे रोड। यहां स्पीड बढ़ी वहां गाड़ी उछरी। अब दौड़ाऔ गाड़ी। अंजर-पंजर तौ ढीले होमंगे ही मुसाफिर’न के मूड फूटंगे सो अलग। झक मार कें अस्सी छोड़ साठ के नीचें गाड़ी चलानी परें अब। है नांय अपनी सरकार और वाके मंत्री स्मार्ट!
घुटरू मगर मैंनें तौ सुनी कि रोड पै चलती कार में कॉफी पियंगे और कॉफी छलक गई तौ ठेकेदार ते पैसा वसूल किए जामंगे।
हां बत्तो सुनी तो मैं नें हू हुती। मगर बोलै कौन?
हुजूरे-वालिया हमरी जुबान मत सिलिए
हमारी खामुशी नुकसानों तक पहुंचती है