उपमुख्यमंत्री अजीत पवार या तो निराशाग्रस्त हैं या फिर करारी हार के डर से फ्रस्ट्रेट हैं। हमेशा की तरह उनकी नई रणनीति उन पर ही भारी पड़ गई है और अजीत पवार ने वोटरों को खुलेआम धमकाना शुरू कर दिया है। बारामती लोकसभा क्षेत्र से पवार की पत्नी सुनेत्रा पर हार का साया मंडरा रहा है। इसलिए पतिदेव अजीत पवार डर पैâलाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने वहां के किसानों को धमकी दी है कि अगर उन्होंने उनकी पत्नी को वोट नहीं दिया तो इंदापुर को पानी नहीं मिलेगा। अजीत पवार ने बारामती के उद्यमियों, छोटे व्यापारियों को धमकी देते हुए कहा, ‘ज्यादा उछलोगे तो याद रखना। हम नाक बंद करके मुंह खुलवाना जानते हैं।’ ऐसे में जबकि पवार खुलेआम ये धमकियां दे रहे हैं, क्या राज्य और देश का चुनाव आयोग भाजपा का बर्तन मांज रहा है? और फिर अजीत पवार इतने पर कैसे रुकेंगे! उनके कार्य आसमान छूने वाले हैं। इन सज्जन ने बारामती लोकसभा क्षेत्र के स्टोन क्रशर, बालू, रेत के व्यापारियों, छोटे बिल्डरों को दम देते हुए कहा, ‘अगर मेरी पत्नी को तुम्हारे गांव में बहुमत नहीं मिला, तो याद रखना। मैं तुम्हारे उद्योग बंद कर दूंगा।’ पवार ने सरकारी मशीनरी को हाथ में लेते हुए इनमें से कई उद्यमियों को नोटिस जारी किया और करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया। जिसके चलते ये उद्योग बंद हो गए। ‘यदि जुर्माना कम करना चाहते हैं, तो मेरी पत्नी का काम करो। वर्ना, भीख मांगो,’ अजीत पवार इस तरह से निर्लज्ज व्यवहार कर रहे हैं क्योंकि उनके पैरों तले रेत खिसक गई है। वोट दो, वरना घर के चूल्हे बुझा दिए जाएंगे, अजीत पवार का प्रâस्ट्रेशन यहां तक पहुंच गया है। बारामतीकरों को अब निर्भय होकर इस भीड़तंत्र को तोड़ना चाहिए। महाराष्ट्र में एड. असीम सरोदे, डॉ. विश्वंभर चौधरी और पत्रकार निखिल वागले ‘निर्भय बनो’ आंदोलन का एल्गार कर रहे हैं। इन तीनों को वास्तव में बारामती जाना चाहिए और बारामती के लोगों को साहस देने का काम करना चाहिए। मोदी देश में तानाशाही का झंडा फहराने की तैयारी कर रहे हैं और अजीत पवार जैसे लोग, उन्हें इस काम के लिए मिल गए हैं। अजीत पवार को जन (जनता) से नहीं, बल्कि कम से कम अपने मन से शर्म आनी चाहिए। जिस पिता समान चाचा ने उन्हें राजनीति में इतना बड़ा किया और ‘मोदी-मोदी’ करने लायक बनाया, उनके बारे में अजीत पवार के बयान उनके दिमाग के घूम जाने का संकेत है। अजीत पवार को ४ जून के नतीजों के बाद पता चल जाएगा कि राजनीति में उनकी अपनी उपलब्धियां शून्य हैं। हम हीं महाराष्ट्र के विकास पुरुष हैं। बारामती समेत पूरे राज्य का विकास सिर्फ ‘मैंने’ यानी ‘मैं ने’ ही किया है। वे कह रहे हैं कि शरद पवार और अन्य सभी झूठ हैं; लेकिन जरंडेश्वर कारखाना, शिखर बैंक घोटाला, सिंचाई घोटाला और उनके कायर सहयोगियों द्वारा किए गए करोड़ों के घोटालों का मतलब ही क्या विकास है? लोगों को ही उनसे यह सवाल पूछना चाहिए। अजीत पवार एक नंबर के भ्रष्ट और घोटालेबाज हैं और उनकी जगह जेल में है, ऐसी दहाड़ फडणवीस, मोदी और अन्य जानकारों ने मारी थी। तो यह सच है कि अजीत पवार अपनी कैद बचाने के लिए मोदी-फडणवीस भजन मंडली में शामिल हो गए। अब से कोई भी अजीत पवार को ‘दादा’ आदि शब्दों से नहीं नवाजे। वे दादा नहीं, कायर और भगोड़े हैं। कायर ही धमकियों से अहंकार दिखाते हैं। अजीत पवार वही कर रहे हैं। सत्ता और सरकारी संरक्षण के बिना अजीत पवार जैसे लोग जल बिन तड़पती मछली की तरह होंगे। विपक्षी दल के नेता का पलटी मारकर सरकार में घुस जाना लोकतंत्र के लिए भयावह कृत्य है। अजीत पवार कहते हैं, ‘किसी को कितना फंड देना है ये मेरे हाथ में है। इसलिए अगर आपको विकास के लिए बहुत फंड चाहिए तो मेरी पत्नी को वोट दो। मैं फंड बांटने वाला हूं। किसका फंड कितना बढ़ाना है यह मेरे हाथ में है इसलिए सबको फंड बढ़ाने वाले की पार्टी में आना चाहिए।’ अगर अजीत पवार वित्त मंत्री के तौर पर ये धमकियां दे रहे हैं तो चुनाव आयोग को उन्हें हटाने के निर्देश जारी करने चाहिए। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उनसे जवाब-तलब किया जाना चाहिए। उपमुख्यमंत्री पद पर बैठा हुआ एक व्यक्ति एक गुंडे की तरह व्यवहार कर रहा है और फडणवीस नाम का गृहमंत्री उस गुंडे के पालने को झुलाते हुए लोरी गा रहा है। ये है महाराष्ट्र में कानून और सुव्यवस्था की स्थिति। अजीत पवार जैसे सैकड़ों लोग भ्रष्ट तरीकों से धन प्राप्त करके भाजपा की शरण में हैं और भाजपा नेता मोदी ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ का दावा कर रहे हैं, वह ढोंग है। चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र माहौल में होंगे, लेकिन राज्य में अजीत पवार जैसे लोग उपमुख्यमंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए मतदाताओं को धमका रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि चुनाव आयोग की आंखों में ‘फूल’ बढ़ गया है। बारामती का यह करामती भतीजा ४ जून के बाद राजनीति से नेस्तनाबूद हो जाएगा। यह सच है कि उनका और शिंदे गुट का एक भी सांसद नहीं चुना जाना है। बारामती में अजीत पवार की पत्नी बुरी तरह हार रही हैं। अजीत पवार और एकनाथ मिंधे की पार्टी को देवेंद्र फडणवीस चला रहे हैं। ४ जून के बाद ये पार्टियां नागपुर में झाड़ पोंछ करती नजर आएंगी। फिलहाल, मतदाताओं को अजीत पवार की धमकियों पर ध्यान दिए बिना निर्भय होकर आगे बढ़ना चाहिए। महाराष्ट्र का इतिहास निडर लड़ाकों का है!