सामना संवाददाता / उल्हासनगर
उल्हासनगर में असक्षम इंजीनियरों व लापरवाह ठेकेदारों के भरोसे किए जा रहे काम के चलते उल्हासनगर शहर की दशा नहीं सुधर रही है। उल्हासनगर में मूलभूत कार्यों पर मोटी रकम खर्च होने के बावजूद विकास की ऐसी की तैसी हो गई है। मानसून पूर्व सड़कों की खुदाई फिर उसकी मरम्मत का काम ठीक से न किए जाने के चलते सड़क पर गड्ढे हो गए हैं, जिसमें थोड़ी सी बारिश होने पर ही पानी जमा हो जाता है और हादसों की आशंका भी बढ़ जाती है। उल्हासनगर के जागरूक नागरिक राजन अंबावने ने बताया कि उल्हासनगर शहर अनियोजित व्यापारिक शहर है। यहां के ठेकेदार, नगरसेवक, समाजसेवक, अधिकारी सभी लोग मानो विकास कार्य को व्यापार समझ रहे हैं। एक बड़ी रकम कमीशन में बांटी जाती है। शहर में कई जगह ऐसी भी हैं, जहां गटर में ही पानी की पाइप बिछाई गई हैं। इन्हीं में से होकर पानी लोगों के घरों तक जाता है। कई बार लीकेज होने की वजह से इन पाइपों में गटर का पानी घुस जाता है, जो घरों तक पहुंचता है, और दूषित पानी के कारण लोग बीमार होते हैं। आयुक्त अजीज शेख ने मानसून से पहले सफाई, निर्माण, जलापूर्ति सहित सभी विभागों को इस बात की विशेष हिदायत दी थी कि शहर में कहीं भी कचरा न जमा होने पाए। साथ ही पानी निकासी की भी पूरी व्यवस्था की जाए, इसके बावजूद शहर में जगह-जगह पर जलजमाव हो रहा है। शहर के सपना गार्डन, शांति नगर श्मशान भूमि, गोल मैदान, बिरला गेट सहित अन्य जगहों पर होने वाले जलजमाव से यह साबित होता है कि संबंधित विभागों को आयुक्त के आदेशों की कोई परवाह नहीं है।