विधानसभा में पेश हुआ विधेयक
सामना संवाददाता / मुंबई
पेपर लीक को लेकर विपक्षी दलों ने न सिर्फ राज्य सरकार को, बल्कि केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया है। इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाना समय की मांग बन गया है। इसी सिलसिले में प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण विधेयक कल विधानसभा में पेश किया गया। इस विधेयक में पेपर लीक के अपराध के लिए १० साल की वैâद और १ करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
उत्पादन शुल्क मंत्री शंभुराज देसाई ने विधानसभा में विधेयक पेश किया। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। इस अपराध के लिए तीन से १० साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इसी तरह अपराधी पर १० लाख से १ करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बिल में कहा गया है कि जुर्माना न भरने पर जेल की सजा बढ़ाई जा सकती है।
जांच के लिए उप-अधीक्षक स्तर का एक अधिकारी ये करेंगे जांच
प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार की जांच केवल पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी द्वारा ही की जाएगी। इसी तरह विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार को इन मामलों की जांच किसी भी राज्य जांच विभाग को सौंपने का अधिकार होगा।
‘ये’ होंगे अपराधी
प्रतियोगी परीक्षा के पेपर लीक में अभ्यर्थी की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य व्यक्ति के सहयोग से संलिप्तता होना।
परीक्षा में किसी भी प्रकार की नकल करना, कॉपी के लिए अलिखित, नकल किए गए, मुद्रित सामग्री या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से प्राप्त सामग्री का गैरकानूनी उपयोग करना।
परीक्षा में कोई भी अनुचित और अन्य अनधिकृत सहायता लेना। साथ ही किसी भी अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक या मैकेनिकल संसाधन या उपकरण का उपयोग करना।