अजय भट्टाचार्य
मनोज कुमार की एल फिल्म के गीत की एक पंक्ति है- ‘देते हैं भगवान को धोखा इंसां को क्या छोड़ेंगे।’ सत्रहवीं लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का जोरदार प्रचार अभियान चुनाव घोषित होने के पहले ही शुरू हो गया था, जब अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन किया गया था। मंडली ने २२ जनवरी को ऐसा माहौल बनाया कि राम-नवमी और दीवाली एक साथ आ गई हों। कहते हैं कि अति बुरी होती है। २२ जनवरी को भावना का अतिरेक हुआ उसका परिणाम वही होना था, जो हुआ। भगवान को धोखा नहीं दिया जा सकता। १९८९ से २०२४ तक भाजपा और उसके पाल्य व पोषित संगठनों ने भगवान राम की भक्ति की आड़ में उनके नाम को वोटों की मंडी में किसी उत्पाद की तरह रखा। भक्ति और पाखंड के इस अंतर को समझने के लिए उस अयोध्या को समझना होगा। यह उन लोगों के लिए भी एक जवाब होना चाहिए कि ५०० वर्षों का दाग धुल गया। जिस धर्म और संस्कृति की पुनर्स्थापना की दुहाई दी गई, उसकी भी कलई अयोध्या ने उतार दी है। दरअसल, जो नई अयोध्या का निर्माण विकास का मुखौटा पहनाकर किया जा रहा है, उसमें गरीब आदमी के लिए कोई स्थान ही नहीं है।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर २०१९ में राम मंदिर की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पैâसले से लेकर मार्च २०२४ तक भूमि रजिस्ट्री के दस्तावेज देखने से पता चलता है कि अयोध्या और आस-पास के जिलों गोंडा और बस्ती के कम से कम २५ गांवों में भूमि की खरीद-फरोख्त की संख्या में ३० प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, जो मंदिर के १५ किलोमीटर के दायरे में आते हैं। इनमें से कई सौदे परिवार के सदस्यों या विभिन्न दलों के राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों से करीबी तौर पर जुड़े लोगों द्वारा किए गए हैं। इन जमीन खरीदने वालों में अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मीन, उनके बेटों चौ कान सेंग मीन और आदित्य मीन ने सितंबर २०२२ और सितंबर २०२३ के बीच अयोध्या और गोंडा को अलग करने वाली सरयू नदी के पार महेशपुर (गोंडा) में मंदिर से ८ किलोमीटर दूर ३.९९ हेक्टेयर जमीन ३.७२ करोड़ रुपए में खरीदी। २५ अप्रैल २०२३ को उन्होंने ०.७६८ हेक्टेयर जमीन ९८ लाख रुपए में बेची। बकौल, आदित्य मीन हमने पर्यटन विकास के लिए जमीन खरीदी है। हम एक होटल बनाएंगे और कुछ लैंडस्केपिंग भी करेंगे। इस साल जून में मीन ने नए अरुणाचल मंत्रिमंडल में फिर से उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह के बेटे करण भूषण नंदिनी इंप्रâास्ट्रक्चर के मालिक हैं, जिसने जनवरी २०२३ में मंदिर से ८ किलोमीटर दूर महेशपुर (गोंडा) में ०.९७ हेक्टेयर जमीन १.१५ करोड़ रुपए में खरीदी थी। इस जमीन में से उन्होंने जुलाई २०२३ में ६३५.७२ वर्ग मीटर-जमीन को ६०.९६ लाख रुपए में बेच दी। जून २०२४ में करण भूषण वैâसरगंज के नए भाजपा सांसद चुने गए। बृजभूषण राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख हैं, जिन पर शीर्ष पहलवानों ने यौन उत्पीड़न और हमले का आरोप लगाया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश पुलिस एसटीएफ प्रमुख अतिरिक्त डीजीपी अमिताभ यश (आईपीएस) की मां गीता सिंह ने फरवरी २०२२ से २ फरवरी २०२४ के बीच मंदिर से ८-१३ किमी दूर महेशपुर और दुर्गागंज (गोंडा) और मऊ यदुवंश पुर (अयोध्या) में ९.९५५ हेक्टेयर `कृषि’ भूमि ४.०४ करोड़ रुपए में खरीदी। इसी तरह कई नाम हैं, जो भाजपा से येन-केन प्रकारेण जुड़े हैं। संस्कृति की पुनर्स्थापना की इस परिकल्पना में बड़े-बड़े पांच सितारा होटल हैं, रिसोर्ट हैं जिनमें न राम होंगे और न राम की अयोध्या के लोग। सीधा-सीधा अयोध्या धार्मिक आस्था के दोहन के बाजार में बदल दी गई है। अयोध्या (पैâजाबाद) सीट पर सत्तारूढ़ भाजपा की हार और सपा उम्मीदवार की जीत हुई। हालांकि, जमीनी स्तर पर जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद एक बड़े पैमाने पर सार्वजनिक-निजी विकास पैकेज ने भूमि को प्रमुख रियल एस्टेट में बदल दिया है और कई विभाजन रेखाओं को धुंधला कर दिया है। जहां तक विकास की बात है तो बरसात की पहली फुहार में मंदिर के गर्भ गृह में जलाभिषेक करते इंद्र और सड़कों पर जलावातरण करते वरुण को देखा जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)