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आदि गुरु भगवान शिव की नगरी काशी में धूमधाम के साथ मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व…गुलजार रहे मठ और आश्रम

-गुरु दर्शन के लिए सुबह से शाम तक उमड़े रहे लाखों शिष्य

उमेश गुप्ता / वाराणसी

आदिविश्वेश्वर शिव की नगरी आषाढ़ पूर्णिमा पर रविवार को गुरु-शिष्य परंपरा की साक्षी बनी। कण-कण शिव की नगरी गुरु वंदना में तल्लीन रही। मठ, मंदिर, आश्रम के साथ ही घरों में भी गुरु पूजन का आयोजन हुआ। कहीं शिष्यों की लंबी कतार रही तो कहीं मेला सा दृश्य रहा। सामने घाट से लेकर पड़ाव आश्रम तक लगभग 10 लाख से अधिक शिष्यों ने अपने गुरु के चरणों में शीश नवाया।
गुरु-शिष्य परम्परा का पावन पर्व, गुरु पूर्णिमा, यूं तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, पर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में इस पर्व का नजारा देखते ही बनता है। इस अति-आधुनिक वैज्ञानिक युग में, अति-प्राचीन, गुरु-शिष्य परंपरा को देखना, सुनना, समझना अदभुत लगता है। काशी भगवान शिव की नगरी है और इस शहर का कोना-कोना, गुरु-पर्व, पर गुलजार रहता है। हजारों मठ-मंदिरों की पनाहगाह, काशी, गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हमें अपनी शानदार विरासत पर इतराने का एक बेहतरीन मौका देती है। हालांकि, इस दिन काशी के हर मठ-मंदिर में शिष्य का गुरु के प्रति समर्पण देखते ही बनता है, लेकिन कुछ जगहें, काशी में ऐसी हैं, जहां सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेश के लोग भी ये दृश्य देखने के लिए आते हैं।
अघोर पीठ श्री सर्वेश्वरी समूह आश्रम, पड़ाव में गुरुपूर्णिमा पर्व हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा रविवार को वाराणसी के पड़ाव स्थित अघोर पीठ, श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम्, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम में गुरुपूर्णिमा पर्व श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया गया। अपने गुरुदेव का दर्शन-पूजन करने के लिए रात्रि लगभग 3 बजे से ही कतारबद्ध हो गए शिष्यों को अघोर पीठ के पीठाधीश्वर पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने लगातार 4.30 घंटे बैठकर गुरुकृपा रूपी अमृत वर्षा की।
गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर संतमत अनुयायी आश्रम मठ गढ़वाघाट में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने अपने गुरु के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए विनय से सिर नवाकर दर्शन-पूजन किया। मठ का गुरु दरबार विशेष रूप से सजाया-संवारा गया था, जहां रंग-विरंगे फूलों की सजावट ने वातावरण को सुगंधित और दिव्य बना दिया। इस दिव्य माहौल में भक्तों ने अपने आराध्य श्रीगुरुदेव महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये लंबी कतारें लगाईं।
गुरुपूर्णिमा के इस विशेष अवसर पर पीठाधीश्वर महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए गुरु की महिमा और उनके जीवन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु हमारे जीवन में अमूल्य स्थान रखते हैं। गुरु ही हमें अज्ञान के अन्धकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
आश्रम में पूरे दिन भक्तों का तांता लगा रहा और भक्तगण श्रद्धा पूर्वक दर्शन-पूजन में लीन रहे। इन्हीं जगहों में से एक है, रविन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ, ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’ । यहां के वर्तमान पीठाधीश्वर, अघोराचाचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी को अध्यात्म की दुनिया में साक्षात शिव माना जाता है।
यहां शुक्रवार से ही पूरी दुनिया के अघोरियों के सर्वमान्य तीर्थस्थान, ‘क्रीं-कुण्ड’ पर देश और दुनिया के श्रद्धालु- भक्तजन का जमावाड़ा लगना शुरू हो गया था । सबके अन्दर सिर्फ़ एक ही लालसा थी कि शिव रुप अपने गुरु, बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी, का दर्शन-पूजन करना ।
21 जुलाई, रविवार, को सुबह 4 बजे से ही आश्रम परिसर के बाहर लम्बी कतार में लोग अनुशासनबद्ध होकर गुरु के आसन पर विराजमान होने का इंतज़ार कर रहे थे । सुबह 8 बजे जैसे ही अघोराचार्य महाराजश्री अपने कक्ष से बाहर निकले, हर-हर महादेव के, गगनभेदी उद्घोष से पूरा परिसर गूंज उठा। परिसर में स्थित अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी तथा अघोरेश्वर महाप्रभु अवधूत भगवान् राम जी सहित सभी 55-60 समाधियों के  पूजन- दर्शन के बाद जब अघोराचार्य अपने औघड़ तख़्त पर आसीन हुए तो ढोल-डमरू- नगाड़े-शंख के साथ हर-हर महादेव का उद्घोष जारी रहा ।
कतारबद्ध भक्तों ने बड़े ही अनुशासन के साथ गुरु के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर शीश नवाया
संत रविदास पार्क नगवा लंका स्थित श्री दुर्गा मातृ छाया शक्तिपीठ में दो दिवसीय से गुरु पूर्णिमा महोत्सव मे रविवार को प्रातः काल 7 बजे देवी उपासिका साध्वी गीताम्बा तीर्थ ने अपने गुरु के चरण पादुका का विधि विधान से पूजन-अर्चन किया। इसके बाद साध्वी गीताम्बा तीर्थ का पूजन-अर्चन करने के लिए भक्तों में होड़ मच गई। दूर-दूर से आए भक्तों ने विधि विधान से देवी उपसिका का पूजा-अर्चन किया। भक्तों ने चरण धोकर एवं आरती कर अपने गुरु का आशीर्वाद लिया। इसके पश्चात पीठ में चल रहे रहे अखंड रामायण पाठ का समापन हुआ।
अस्सी घाट स्थित संत शिरोमणि श्री श्री 1008 बौराहा बाबा आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर काफी धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान भजन संध्या का भी आयोजन किया गया, दूर-दूर से पहुंचे भक्तों ने गुरु का आशीर्वाद लिया। भजन संध्या का कार्यक्रम सुबह से प्रारंभ होकर देर शाम तक चल जहां पर विभिन्न कलाकारों ने अपने कल की प्रस्तुति से गुरु का वंदन किया। बौराहा बाबा के दर्शन के लिए भक्त ललाई दिखे सैकड़ो की संख्या में भक्ति आज गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर आश्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि यह सदियों पुराने परंपरा है और बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता भगवान को भी धरती पर अवतार लेने के बाद गुरु बनाना पड़ा, इसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।

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