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गड़े मुर्दे :  ३४ साल पहले जब रिंकू पाटील हत्याकांड से थर्रा गया था देश!

जीतेंद्र दीक्षित

कोलकाता में एक महिला डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या के बाद महाराष्ट्र के बदलापुर में दो नाबालिग छात्राओं के यौन उत्पीड़न के मामलों ने फिर एक बार देश में महिला सुरक्षा को लेकर बड़ी बहस छेड़ दी है। दोनों घटनाओं के बाद भी लगातार देश में महिलाओं की प्रताड़ना की खबरें हर दिन अखबारों में छप रही हैं। इस विषय ने मुझे याद दिलाई मार्च १९९० के रिंकू पाटील हत्याकांड की, जिससे उस वक्त पूरा देश थर्रा गया था।
उल्हासनगर में रहने वाली १६ साल की रिंकू पाटील उस वक्त दसवीं कक्षा की छात्रा थी। उसके पड़ोस में रहने वाले २२ साल के युवक हरेश पटेल को उससे एकतरफा प्यार हो गया था। वह अक्सर रिंकू का पीछा करता और उससे बात करने की ताक में रहता। एक दिन उसने रिंकू से शादी करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन रिंकू ने मना कर दिया। इस बात से हरेश भड़क उठा और उसने रिंकू को धमकाया। जब रिंकू फिर भी न मानी तो हरेश ने उसे खत्म करने का पैâसला किया। इस खातिर उसने अपने दोस्तों के साथ एक साजिश रची।
दसवीं के महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं मार्च में शुरू हुई। रिंकू पढ़ने में मेधावी थी और बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक हासिल करने के लिए उसने खूब तैयारी की थी। ३१ मार्च को उल्हासनगर के जिस एसईएस स्कूल को परीक्षा केंद्र बनाया गया था, रिंकू वहां पहुंची। उसकी बहन भी दसवीं की छात्र थी और दोनों की परीक्षा एक ही क्लासरूम में थी। उस दिन ज्यामिति की परीक्षा थी। रिंकू ने परीक्षा लिखना शुरू ही किया था कि वहां हरेश पटेल अपने दो दोस्तों अनूप प्रतापसिंह वर्मा और अशोक वाघ के साथ पहुंच गया। उनके पास एक नकली पिस्तौल और छुरा था। परीक्षा केंद्र में घुसते वक्त पहले उन्होंने पिस्तौल दिखाकर वहां तैनात एकमात्र पुलिसकर्मी को भगाया और फिर क्लास में मौजूद परीक्षा दे रहे सभी बच्चों और परीक्षक को धमका कर बाहर भगा दिया। अब क्लास में सिर्फ रिंकू, हरेश और उसके दोनों दोस्त रह गए थे। उन्होंने अंदर से कड़ी लगा दी। हरेश ने रिंकू को पकड़ा और अपने साथ लाए पेट्रोल से भरे डिब्बे को उसपर उड़ेल दिया। रिंकू जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने लगी और बचने के लिए गुहार लगाने लगी, लेकिन उसे बचाने के लिए कोई नहीं था। रिंकू की बहन दरवाजे के बाहर से गिड़गिड़ाती रही लेकिन स्कूल के सारे शिक्षक और परीक्षार्थी तब तक भाग चुके थे।
पेट्रोल से नहाई रिंकू पर हरेश ने जलती हुई माचिस की तीली फेंक दी। तुरंत ही उसका शरीर लपटों से घिर गया। इसके बाद तीनों क्लासरूम से बाहर निकले और बाहर से कड़ी लगा दी, ताकि रिंकू भाग न सके। आधे घंटे के भीतर ही रिंकू जलकर राख हो गई।
घटना के बाद स्कूल की महिला प्रधानाध्यापक ने पुलिस को फोन करने के बजाय उल्हासनगर के बाहुबली पप्पू कालानी को फोन किया। तुरंत पप्पू का भाई नारायण कालानी वहां पहुंचा। उसने क्लासरूम का दरवाजा खुलवाया और पूरे कमरे की वीडियो शूटिंग करवाई। उल्हासनगर तब ठाणे पुलिस आयुक्तालय के कल्याण जोन में आता था और मशहूर पुलिस अधिकारी वाई.सी. पवार तब वहां के डीसीपी थे। पवार के मुताबिक, इस घटना के बहाने कालानी उनका तबादला कल्याण से करवाना चाहता था क्योंकि उसने कालानी के धंदों के खिलाफ सख्ती बरती थी। जिस क्रूरता के साथ रिंकू पाटील की हत्या की गई थी, उससे पूरा देश आक्रोशित था। ठाणे पुलिस और सरकार कठघरे में थी। पुलिस ने जब अपनी तहकीकात शुरू की तो हरेश के दोनों दोस्त तो उसके हाथ लग गए लेकिन हरेश पकड़ में नहीं आया। घटना के तीसरे दिन कल्याण के पास रेल पटरी पर हरेश की लाश बरामद की गई। माना गया कि उसने आत्महत्या कर ली।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)

 

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