मुख्यपृष्ठनए समाचारसोशल मीडिया पर चढ़ा चुनावी पारा ...लोकप्रिय हो रहे रील्स, वीडियो पोस्ट

सोशल मीडिया पर चढ़ा चुनावी पारा …लोकप्रिय हो रहे रील्स, वीडियो पोस्ट

– प्रचार दूत किए गए नियुक्त
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही हर तरफ प्रचार शुरू हो गया है। इसी के साथ ही महाराष्ट्र के प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के नामों की सूची सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार का पारा चढ़ता जा रहा है। हालांकि, अभी तक आम सभाएं जोर-शोर से शुरू नहीं हुई हैं, लेकिन विज्ञापन और सोशल मीडिया पर विभिन्न वीडियो पोस्टों और रीलों के माध्यम से प्रचार शुरू हो गया है। इसके लिए प्रत्याशियों ने मानो बाकायदा प्रचार दूतों की नियुक्ति कर दी हो।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर हैं। सभी दलों के प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में ताकत दिखाने की कोशिश में लग गए हैं। इस बीच महाविकास आघाड़ी में शामिल सभी दलों ने विश्वास जताया है कि इस चुनाव में बड़ी संख्या में उनके प्रत्याशी चुनकर आ रहे हैं और राज्य में उनकी ही सरकार बन रही है। दूसरी तरफ मुंबई समेत पूरे राज्य में भी चुनावी बयार महाविकास आघाड़ी की ओर ही चल रही है। इससे महायुति में खलबली मची हुई है और उन्हें अभी से ही डर सताने लगा है। इन सबके बीच राज्य में सभी दलों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होते ही बिना देर किए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। इसी क्रम में भाई सोहर ग्राफिक्स वीडियो क्लिप के जरिए मतदाताओं के सामने विकास कार्यों का लेखा-जोखा पेश किया जा रहा है।
इंवेंट कंपनियों ने संभाली प्रचार की कमान
कई प्रत्याशियों के प्रचार की कमान इवेंट कंपनियों ने संभाल ली है। इससे सड़कों के हैंडलर्स का सम्मान काफी बढ़ गया है। एक इवेंट कंपनी उम्मीदवार के लिए गीत व भाषण लिखना, प्रचार रथ निकालना, मतदाता सर्वेक्षण करना जैसे काम कर रही है।
कम नहीं हुए हैं चौक सभाओं और मेल-मुलाकात का महत्व
वर्तमान में मेल-मुलाकात, चौक सभाएं आयोजित करने का महत्व कम नहीं हुआ है। लेकिन जैसे-जैसे उम्मीदवारों के सोशल हैंडलर फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि के माध्यम से पोस्ट कर रहे हैं, वे मानो उनके प्रचार दूत बन गए हों।

रोजगार के नए अवसर
विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए सोशल मीडिया सामग्री बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का ज्ञान रखनेवाले युवाओं का उपयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से इन युवाओं को रोजगार उपलब्ध हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल मीडिया का प्रभावी और कुशलतापूर्वक उपयोग करने की क्षमता कम है। इसके चलते कॉलेज के युवाओं को सोशल मीडिया टीम का हिस्सा बनाकर उन्हें रोजगार मुहैया कराया जा रहा है।

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