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राज्य में अब भी २.३६ लाख एड्स मरीज! …देश में रोजाना ११५ मरीजों की मौत

सामना संवाददाता / मुंबई
भारत में अभी भी एचआईवी एक घातक बीमारी है, जो देश पर भारी बोझ की तरह बनी हुई है। २०२३ में अनुमानित २५.४४ लाख एड्स रोगी हैं। १५ वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में यह ज्यादा है। यह आंकड़ा ४४ प्रतिशत है, जबकि लगभग ३ प्रतिशत मामले बच्चों में हैं। महाराष्ट्र में अब भी २.३६ लाख एड्स व एचआईवी मरीज हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना समेत अन्य राज्यों में वयस्कों में इसका प्रसार अनुमानित रूप से ०.४ प्रतिशत से अधिक है।
यह जानकारी साझा करते हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने कहा कि एचआईवी का प्रकोप भले ही कम हुआ हो, लेकिन इसे नजरअंदाज करना हमारी बड़ी भूल होगी। देश से एड्स को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन, सामाजिक संगठनों और एनजीओ सहित सभी को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। एड्स के पूर्ण उन्मूलन के लिए एकजुटता और सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं। ये विचार स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. नितिन अंबाडेकर ने व्यक्त किए।
‘विश्व एड्स दिवस २०२४’ के उपलक्ष्य में सोमवार को ठाणे जिला सामान्य अस्पताल के अंतर्गत जिला एड्स नियंत्रण एवं रोकथाम प्रकोष्ठ द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान उपनिदेशक डॉ. अशोक नांदापुरकर, जिला सर्जन डॉ. वैâलाश पवार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंगाधर परगे, डॉ. अर्चना पवार, रतन गाढवे और अशोक देशमुख सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान प्रमुख मार्गदर्शकों ने एचआईवी के होने के चार प्रमुख कारणों की जानकारी दी और कॉलेज के छात्रों को इस रोग के उन्मूलन के लिए मार्गदर्शन दिया।

क्या कहते हैं आंकड़े?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब भी यह वायरस हर साल लाखों लोगों को संक्रमित कर रहा है। २०२१ के आखिर तक दुनिया में ३.८४ करोड़ लोग ऐसे थे, जो इस वायरस से संक्रमित थे। २०२१ में दुनियाभर में ६.५ लाख लोगों की मौत का कारण एचआईवी ही था। २०२१ में भारत में एड्स के ६२,९६७ नए मामले सामने आए थे और ४१,९६८ लोगों की मौत हो गई थी। यानी हर दिन औसतन ११५ मौतें। आंकड़े बताते हैं कि २०२१ तक भारत में २४ लाख लोग एचआईवी संक्रमित पाए गए थे।

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